चंडीगढ़: शुक्रवार को चंडीगढ़ में हुई इस बैठक में हरियाणा के पशुपालन एवं डेयरी विभाग के मंत्री जयप्रकाश दलाल भी वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से जुड़े. बैठक के दौरान मुख्यमंत्री ने लंपी स्किन बीमारी को लेकर मुख्य सचिव को हर दिन मॉनिटरिंग करने के निर्देश दिए हैं. उन्होंने कहा कि मुख्य सचिव तत्काल सभी जिला उपायुक्तों, पुलिस अधीक्षकों, पशुपालन विभाग के सभी अधिकारियों की बैठक लें. मुख्यमंत्री ने पशुपालन विभाग को रणनीति के तहत काम करने के निर्देश दिए हैं. उन्होंने कहा कि कोरोना महामारी की तरह हमें इस बीमारी से लड़ने के लिए मिशन मोड में काम करना है. बाजार में लंपी वायरस की वैक्सीन जितनी उपलब्ध है, उसे तत्काल खरीदा जाए.
हरियाणा में लंपी वायरस (Lumpy virus in Haryana) को लेकर मुख्यमंत्री ने पशुपालन विभाग के अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि लम्पी स्किन बीमारी से जुड़ा वैक्सीनेशन तेजी से किया जाए. अभी तक जितनी डोज मुहैया हुई हैं, उन्हें तत्काल लगवाया जाए. उन्होंने कहा कि पशुपालन विभाग सर्वप्रथम उन जिलों में तेजी से वैक्सीनेशन करें, जहां प्रभावित पशुओं की संख्या अधिक है. इसके बाद दूसरे जिलों में भी वैक्सीनेशन किया जाए. मुख्यमंत्री ने कहा वैक्सीन के संबंध में वे खुद केंद्रीय पशुपालन एवं डेयरी मंत्री से बात करेंगे और जल्द से जल्द वैक्सीन मुहैया करवाने की गुजारिश करेंगे. मुख्यमंत्री ने पशुपालन विभाग को दिन-रात एक करके इस बीमारी के वैक्सीनेशन में जुटने के निर्देश दिए. मुख्यमंत्री ने पशुपालन विभाग को माइक्रो लेवल पर मॉनिटरिंग करने के निर्देश दिए हैं साथ ही ये भी कहा कि पशुओं का डाटा हर रोज अपडेट होना चाहिए.
दरअसल हरियाणा में लंपी वायरस का कहर थमने का नाम नहीं ले रहा है. सबसे ज्यादा इसका प्रकोप यमुनानगर जिले में देखा जा रहा है. यमुनानगर का कोई भी ऐसा गांव नहीं है जहां लंपी वायरस से पशु बीमार ना हो. पशुपालन विभाग का कहना है कि गोट पॉक्स की वैक्सीन मंगाई गई है लेकिन लगाने के लिए अभी अधिकारियों के आदेश का इंतजार कर रहे हैं. सरकारी आंकड़ों के मुताबिक यमुनानगर में अब तक करीब 9 हजार पशु लंपी वायरस की चपेट में आ चुके हैं. जिले का कोई भी गांव इस वायरस से अछूता नहीं है. केवल यमुनानगर में लंपी वायरस से मौत (Lumpy virus death in Yamunanagar) का आंकड़ा अभी तक 14 हो गया है. जिला पशुपालन एवं डेयरी विभाग के मुताबिक 4300 पशु अब तक ठीक हो चुके हैं.
लंपी स्किन डिजीज की वैक्सीन- हिसार के राष्ट्रीय अश्व अनुसंधान केंद्र के वैज्ञानिकों ने लंपी स्किन डिजीज की वैक्सीन (Lumpy skin disease Vaccine) तैयार कर ली है. ये पहली स्वदेशी वैक्सीन है. लंपी स्किन डिजीज (एलएसडी) सबसे पहले अफ्रीका में पाई जाती थी. मगर वर्ष 2019 में भारत आई और इसका सबसे पहला मामला ओडिशा में मिला था. ग्लोबल अलायंस फॉर वैक्सीन्स एंड इम्युनाइजेशन (गावी) की रिपोर्ट कहती है कि लंपी त्वचा रोग कैप्रीपोक्स वायरस के कारण होता है.
सरकार ने जारी की एडवायजरी- पशुपालन मंत्री जेपी दलाल ने बताया कि विभाग हरियाणा में लंपी स्किन बीमारी (Lumpy skin disease in Haryana) की रोकथाम के लिए चिंतित हैं क्योंकि यह एक वायरल बीमारी है. इसके लिए विभिन्न कदम उठाए जा रहे हैं. उन्होंने कहा कि पंजाब व राजस्थान के मुकाबले हरियाणा में यह बीमारी कम फैली हुई है. इस बीमारी के संबंध में हमने एडवाईजरी जारी कर दी है कि पशुओं का आवागमन बंद हो, पशु मेला लगाना बंद हो, मच्छर-मक्खी की दवाइयों का छिड़काव हो. और अंतर्राज्यीय पशुओं के आवागमन को रोका जाए.
लंपी स्किन बीमारी कहां से आई- जेपी दलाल ने सदन में कहा कि लंपी स्किन बीमारी (एलएसडी) एक वायरल रोग है. यह वायरस पॉक्स परिवार का है. लंपी स्किन बीमारी मूल रूप से अफ्रीकी बीमारी है और अधिकांश अफ्रीकी देशों में है. माना जाता है कि इस बीमारी की शुरुआत जाम्बिया देश में हुई थी, जहां से यह दक्षिण अफ्रीका में फैल गई. साल 2012 के बाद से यह तेजी से फैली है, हालांकि हाल ही में रिपोर्ट किए गए मामले मध्य पूर्व, दक्षिण पूर्व, यूरोप, रूस, कजाकिस्तान, बांग्लादेश (2019) चीन (2019), भूटान (2020), नेपाल (2020) और भारत (अगस्त, 2021) में पाए गए हैं. देश में प्रमुख प्रभावित राज्यों में गुजरात, राजस्थान और पंजाब हैं. हरियाणा राज्य में यह रोग अभी प्रारंभिक चरण में है और पशुपालन और डेयरी विभाग द्वारा इसके नियंत्रण और रोकथाम के उपाय किए जा रहे हैं.
लंपी स्किन बीमारी से गौवंश को खतरा- लंपी स्किन बीमारी मुख्य रूप से गौवंश को प्रभावित करती है. देसी गौवंश की तुलना में संकर नस्ल के गौवंश में लंपी स्किन बीमारी के कारण मृत्यु दर अधिक है. इस बीमारी से पशुओं में मृत्यु दर 1 से 5 प्रतिशत है. रोग के लक्षणों में बुखार, दूध में कमी, त्वचा पर गांठें, नाक और आंखों से स्राव आदि शामिल हैं. रोग के प्रसार का मुख्य कारण मच्छर, मक्खी और परजीवी जैसे जीव हैं. इसके अतिरिक्त, इस बीमारी का प्रसार संक्रमित पशु के नाक से स्राव, दूषित फीड और पानी से भी हो सकता है.
लंपी स्किन बीमारी के उपचार एवं रोकथाम- वायरल बीमारी होने के कारण प्रभावित पशुओं का इलाज केवल लक्षणों के आधार पर किया जाता है. बीमारी की शुरूआत में ही इलाज मिलने पर इस रोग से ग्रस्त पशु 2-3 दिन के अन्तराल में बिल्कुल स्वस्थ हो जाता है. किसानों को मक्खियों और मच्छरों को नियंत्रित करने की सलाह दी जा रही है, जो बीमारी फैलने का प्रमुख कारण है. प्रभावित जानवरों को अन्य जानवरों से अलग करना अत्यंत महत्वपूर्ण है. बछड़ों को संक्रमित मां का दूध उबालने के बाद बोतल के जरिए ही पिलाया जाना चाहिए.