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स्वच्छ सर्वेक्षण में फिर पिछड़ा चंडीगढ़, मिला 27वां स्थान

स्वच्छता सर्वेक्षण रैंकिंग में चंडीगढ़ फिर से पिछड़ गया. इस बार दूसरी तिमाही में नगर निगम को 27वां स्थान हासिल हुआ है. पहली तिमाही में नगर निगम को स्वच्छता रैंकिंग में 11वां स्थान हासिल हुआ था. वर्ष 2019 के स्वच्छता सर्वेक्षण रैंकिंग में 19वां स्थान हासिल हुआ था.

swachhta ranking chandigarh
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Published : Jan 2, 2020, 5:12 PM IST

चंडीगढ़: पहली तिमाही की अप्रैल से जून की रैंकिंग में चंडीगढ़ का 11वां स्थान आया था. इसमें चंडीगढ़ को 1283.3 अंक मिले थे. अब दूसरी तिमाही में 27वां स्थान हासिल हुआ है. इसमें चंडीगढ़ को कुल 1141.83 अंक मिले हैं.

नगर निगम कमिश्नर के.के. यादव ने कहा कि पहली तिमाही में 11वें स्थान पर रहे थे. अब दूसरी तिमाही का परिणाम आया है. इसका कारण है जे.पी. प्लांट में कचरा का प्रोसैसिंग का काम न होना. साथ ही जुलाई में गारबेज प्रोसैसिंग प्लांट में गाड़ियों को वजन करवाने के लिए रात के 2-2 बजे तक खड़ी रखा गया.

स्वच्छता सर्वेक्षण में फिर पिछड़ा चंडीगढ़, मिला 27वां स्थान.

इसके कारण रैंकिंग में कमी आई है. गारबेज प्रोसैसिंग के मार्क्स कम आए हैं. दूसरा गाड़ियां लंबे समय तक इंतजार करती थी जिस वजह से शहर की सफाई नहीं हो पा रही थी. उन्होंने कहा कि एक साल में काफी काम किए है और आगे सुधार की कोशिश रहेगी. अगली बार एक अच्छा रिस्पॉन्स देखने को मिलेगा.

ये भी पढ़ें- प्रियंका गांधी हिंदू धर्म के बारे में क्या जानती हैं ? अनिल विज

स्वच्छता सर्वेक्षण लीग 2020 के क्वार्टर माह की रैकिंग में चंडीगढ़ के 27वें नंबर पर आने से नगर निगम की किरकिरी हो रही है. वहीं कांग्रेस पार्टी ने इसके लिए भाजपा को जिम्मेदार बताया है. कांग्रेस पार्षद दविंदर बबला ने कहा कि भ्रष्टाचार व भाजपा नेताओं की आपसी लड़ाई की वजह से चंडीगढ़ की स्थिति बदहाल हुई है.

उनका कहना है कि हर साल नगर निगम की ओर से करोड़ों रुपये सफाई पर खर्च किया जा रहा है. दक्षिणी सेक्टरों की सफाई का काम लायंस कंपनी को दिया गया है जिसे हर माह सवा चार करोड़ रुपये का भुगतान नगर निगम की ओर से किया जा रहा है. इसके बावजूद शहर की सफाई व्यवस्था ठीक नहीं है. डंपिंग ग्राउंड की सफाई के लिए करोड़ों की मशीनें लगाई हैं लेकिन अभी तक वो वैसी ही पड़ी हैं कुछ नहीं किया जा रहा.

चंडीगढ़ मेयर ने कहा कि कांग्रेस तो हमेशा राजनीति की बात करती है और सर्वेक्षण 184 शहरों में हुआ है. कांग्रेस का काम सिर्फ राजनीति करना है. मेयर ने रैंकिंग में पिछड़ने का मुख्य कारण फाइनेंसियल बताया है. उन्होंने कहा कि हर चीज की एक लिमिट है. सांसद ने भी जितना शेयर बनता था, उतना दिया है.

ये भी पढ़ेंः- प्रदेश में सामने आया धान घोटाला, राइस मिल्स में स्टॉक की जांच में 35000 मीट्रिक टन धान की कमी

चंडीगढ़: पहली तिमाही की अप्रैल से जून की रैंकिंग में चंडीगढ़ का 11वां स्थान आया था. इसमें चंडीगढ़ को 1283.3 अंक मिले थे. अब दूसरी तिमाही में 27वां स्थान हासिल हुआ है. इसमें चंडीगढ़ को कुल 1141.83 अंक मिले हैं.

नगर निगम कमिश्नर के.के. यादव ने कहा कि पहली तिमाही में 11वें स्थान पर रहे थे. अब दूसरी तिमाही का परिणाम आया है. इसका कारण है जे.पी. प्लांट में कचरा का प्रोसैसिंग का काम न होना. साथ ही जुलाई में गारबेज प्रोसैसिंग प्लांट में गाड़ियों को वजन करवाने के लिए रात के 2-2 बजे तक खड़ी रखा गया.

स्वच्छता सर्वेक्षण में फिर पिछड़ा चंडीगढ़, मिला 27वां स्थान.

इसके कारण रैंकिंग में कमी आई है. गारबेज प्रोसैसिंग के मार्क्स कम आए हैं. दूसरा गाड़ियां लंबे समय तक इंतजार करती थी जिस वजह से शहर की सफाई नहीं हो पा रही थी. उन्होंने कहा कि एक साल में काफी काम किए है और आगे सुधार की कोशिश रहेगी. अगली बार एक अच्छा रिस्पॉन्स देखने को मिलेगा.

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स्वच्छता सर्वेक्षण लीग 2020 के क्वार्टर माह की रैकिंग में चंडीगढ़ के 27वें नंबर पर आने से नगर निगम की किरकिरी हो रही है. वहीं कांग्रेस पार्टी ने इसके लिए भाजपा को जिम्मेदार बताया है. कांग्रेस पार्षद दविंदर बबला ने कहा कि भ्रष्टाचार व भाजपा नेताओं की आपसी लड़ाई की वजह से चंडीगढ़ की स्थिति बदहाल हुई है.

उनका कहना है कि हर साल नगर निगम की ओर से करोड़ों रुपये सफाई पर खर्च किया जा रहा है. दक्षिणी सेक्टरों की सफाई का काम लायंस कंपनी को दिया गया है जिसे हर माह सवा चार करोड़ रुपये का भुगतान नगर निगम की ओर से किया जा रहा है. इसके बावजूद शहर की सफाई व्यवस्था ठीक नहीं है. डंपिंग ग्राउंड की सफाई के लिए करोड़ों की मशीनें लगाई हैं लेकिन अभी तक वो वैसी ही पड़ी हैं कुछ नहीं किया जा रहा.

चंडीगढ़ मेयर ने कहा कि कांग्रेस तो हमेशा राजनीति की बात करती है और सर्वेक्षण 184 शहरों में हुआ है. कांग्रेस का काम सिर्फ राजनीति करना है. मेयर ने रैंकिंग में पिछड़ने का मुख्य कारण फाइनेंसियल बताया है. उन्होंने कहा कि हर चीज की एक लिमिट है. सांसद ने भी जितना शेयर बनता था, उतना दिया है.

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Intro:स्वच्छता सर्वेक्षण रैंकिंग में चंडीगढ़ फिर से पिछड़ गया। इस बार के दूसरी तिमाही में नगर निगम को 27वां स्थान हासिल हुआ है। पहली तिमाही में नगर निगम को स्वच्छता रैंकिंग में 11वां स्थान हासिल हुआ था। वर्ष 2019 के स्वच्छता सर्वेक्षण रैंकिंग में 19वां स्थान हासिल हुआ था।

Body:पहली तिमाही अप्रैल से जून की रैंकिंग में 11वां स्थान आया था इसमें चंडीगढ़ को 1283.3 अंक मिले थे। अब दूसरी तिमाही में 27 स्थान हासिल हुआ है। इसमें कुल 1141.83 अंक मिले हैं।

नगर निगम कमिश्नर के.के. यादव ने कहा कि पहली तिमाही में 11वें स्थान पर रहे थे। अब दूसरी तिमाही का परिणाम आया है। इसका कारण है जे.पी. प्लांट में कचरा का प्रोसैसिंग का काम न होना। साथ ही जुलाई में गारबेज प्रोसैसिंग प्लांट में गाडिय़ों को वजन करवाने के लिए रात के 2-2 बजे तक खड़ी रखा गया। इसके कारण रैंकिंग में कमी आई है। गारबेज प्रोसैसिंग के मार्क्स कम आए हैं। दूसरा गाड़िया लबे समय तक इंतजार करती थी जिस वजह से शहर की सफाई नही हो पा रही थी। उन्होंने ने कहा कि एक साल में काफी काम किए है और आगे सुधार की कोशिश रहेगी और अगली बार एक अच्छा रिस्पॉन्स देखने को मिले।

बाइट : केके यादव, कमिश्नर

स्वच्छता सर्वेक्षण लीग 2020 के क्वार्टर माह की रैकिंग में चंडीगढ़ का 27वें नंबर पर आने से नगर निगम की किरकिरी हो रही है। वहीं कांग्रेस पार्टी ने इसके लिए भाजपा को जिम्मेदार बताया है।

कांग्रेस पार्षद दविंदर बबला ने कहा कि भ्रष्टाचार व भाजपा नेताओं की आपसी लड़ाई की वजह से चंडीगढ़ की स्थिति बदहाल हुई है। उनका का कहना है कि हर साल नगर निगम की ओर से करोड़ों रुपये सफाई पर खर्च किया जा रहा है।

दक्षिणी सेक्टरों की सफाई का काम लायंस कंपनी को दिया गया है जिसे हर माह सवा चार करोड़ रुपये का भुगतान नगर निगम की ओर से किया जा रहा है।इसके बावजूद शहर की सफाई व्यवस्था ठीक नहीं है। उनका कहना है कि डंपिंग ग्राउंड की सफाई के लिए करोड़ों की मशीनें लगाई है लेकिन अभी तक वो वैसी ही पड़ी है कुछ नही किया जा रहा।

बाइट : दविंदर बबला, कांग्रेस पार्षद

चंडीगढ़ मेयर ने कहा कि कांग्रेस तो हमेशा राजनीति की बात करती है और सर्वेक्षण 184 शहरों में हुआ है। कांग्रेस का काम सिर्फ राजनीति करना है और उन्होंने ने कहा कि वह पहले भी गार्बेज कलेक्टर्स के साथ था और अब भी उनके साथ है। मेयर ने रैंकिंग में पिछड़ने का मुख्य कारण फाइनेंसियल बताया है। उन्होंने ने कहा कि हर चीज की एक लिमिट है सांसद ने भी जितना शेयर बनता था उतना दिया है।

बाइट- राजेश कालिया, मेयर Conclusion:
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