चंडीगढ़: पूर्व मुख्यमंत्री और नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने प्रदेश भर की मंडियों में फैली अव्यवस्था पर चिंता ज़ाहिर की है. उन्होंने इस बारे में मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर से फोन पर काफी देर तक प्रदेश के हालातों पर चर्चा की. उन्होंने मुख्यमंत्री का ध्यान मुख्य परेशानी मंडियो में फैली अव्यवस्था पर दिलाया और आढ़तियों के साथ समन्वय बनाकर ख़रीद को सुचारू रूप से चलाने की अपील की.
फसल खरीद में लाएं तेजी
हुड्डा ने बताया कि जिस गति से आज सरकारी ख़रीद हो रही है, उस हिसाब से तो 3 से 4 महीने में अगस्त तक पूरा गेहूं ख़रीदा जा सकेगा. सरसों की ख़रीद तो और भी धीमी गति से हो रही है. एक हफ्ते में पैदावार की 15 प्रतिशत भी ख़रीद नहीं हो पाई इसलिए किसान के माथे पर चिंता की लकीरें हैं. वो अगली फसल की बुआई कैसे कर पायेगा, तब तक ये फसल नहीं बिकती इसलिए देशहित और किसानहित में ज़रूरी है कि अन्नदाता की फसल ख़रीद की गति को तेज़ किया जाए.
हुड्डा ने स्पष्ट कहा कि महामारी के इस दौर में विपक्ष किसी तरह की राजनीति नहीं करना चाहता लेकिन किसानों की ऐसी हालत देखकर चुप रहना बड़ी नाइंसाफ़ी होगी. जो हमारे लिए असहनीय है क्योंकि अन्नदाता हर तरह की राजनीति से ऊपर है. जो पूरे देश और हम सबका पेट पालता है. सत्तापक्ष हो या विपक्ष, सभी की ज़िम्मेदारी बनती है कि वो किसान की आवाज़ उठाए. आज आढ़ती आंदोलन कर रहे हैं और सरकार अपनी ज़िद्द पर अड़ी है. दोनों के टकराव का ख़ामियाजा अन्नदाता को भुगतना पड़ रहा है.
सरकार और आढ़ती जल्द करें समझौता
पहले धान, फिर सरसों और अब किसान के गेहूं की भी मंडियों में सरकार के अड़ियल रवैये से बिरान माट्टी हो रही है. उसे अपनी फसल बेचने के लिए जद्दोजहद करनी पड़ रही है लेकिन कई दौर की बैठकों के बाद अब तक भी आढ़तियों और सरकार में समझौता नहीं हो पाया. प्रदेशभर की मंडियों में किसान अपनी फसल लेकर पहुंच रहा है लेकिन ना किसान की सरसों ढंग से बिक पाई और ना गेहूं की बिकवाली हो रही है.
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नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि हमने लगातार सरकार से आढ़तियों के साथ समन्वय बनाने की अपील की थी लेकिन लगता है कि सरकार अपनी ज़िद्द और आढ़ती अपनी मांगें छोड़ने को तैयार नहीं हैं. बीच का रास्ता निकाले बिना ख़रीद प्रक्रिया सुचारू रूप से नहीं चल सकती. सरकार ने किसानों का दाना-दाना ख़रीदने का वादा तो किया था, लेकिन अब वो दाना-दाना करके फसल ख़रीद रही है.
दूसरे राज्य की तरह खरीद प्रक्रिया बनाएं आसान
अपनी फसल बेचने के लिए किसान को बार-बार मंडियों के चक्कर काटने पड़ रहे हैं क्योंकि महामारी के इस दौर में सरकार ख़रीद प्रक्रिया में नए-नए प्रयोग कर रही है जबकि ज़रूरत ये है कि प्रक्रिया में नए प्रयोग करने की बजाए उसे ज़्यादा आसान और सुविधाजनक बनाया जाए. पंजाब राजस्थान व अन्य राज्य की सरकारों ने भी महामारी के चलते ख़रीद को पुराने तरीके से ही अंजाम दिया है इसलिए वहां ख़रीद सुचारू रूप से चल रही है.
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हुड्डा ने सरकार और आढ़तियों से जल्द समझौता करके ख़रीद प्रक्रिया सुचारू करने की अपील दोहराई. उन्होंने कहा कि महामारी के इस दौर में हड़ताल और आपसी टकराव सही नहीं है. हम सबको आपसी सहयोग से किसानहित में काम करना चाहिए. चर्चा के बाद मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने आश्वसन दिया की आज किसान और आढ़तियों से बात करके समाधान निकाला जाएगा.
तिरपाल और बारदाने की व्यवस्था करें
उन्होंने सरकार से एक और आग्रह किया कि पूरी ख़रीद के साथ सरकार मंडियों में ज़रूरत के मुताबिक तिरपाल और बारदाने की व्यवस्था सुनिश्चित करे क्योंकि लॉक डाउन की वजह से तिरपाल और बारदाने की भारी कमी है और सरकार के अधिकारी गेहूं की ट्राली को ढक कर लाने को कहते हैं और मौसम बार-बार करवट बदल रहा है. अगर गेहूं खुले में रखा गया तो वो भीग जाएगा और किसान की पूरे सीज़न की मेहनत बेकार हो जाएगी.