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समझौता ब्लास्ट: अरुण जेटली ने कांग्रेस पर लगाया हिंदू समाज को कलंकित करने का आरोप - panckula

18 फरवरी, 2007 को हरियाणा के पानीपत में भारत-पाकिस्तान के बीच चलने वाली समझौता एक्सप्रेस ट्रेन जब भारतीय सीमा के पास आखिरी स्टेशन यानी अमृतसर के अटारी स्टेशन के रास्ते में थी, तभी उसमें जोरदार ब्लास्ट हुआ था जिसमें 68 लोग मारे गए थे.

arun jaitley
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Published : Mar 29, 2019, 6:49 PM IST

दिल्ली/चंडीगढ़: समझौता एक्सप्रेस ब्लास्ट केस में फैसले की कॉपी सार्वजनिक होने के बाद अब इस पर सियासत शुरू हो गई है. केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा कि कांग्रेस ने समझौता एक्सप्रेस केस कोहिंदू समाज को बदनाम करने के लिए एक आतंकवादी कृत्य करार दिया है.

जेटली ने कहा कि अदालत के फैसले में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि यह बिना किसी सबूत के स्पष्ट मामला था. इस केस में आरोपियों के खिलाफ कोई सबूत नहीं था. सिर्फ हिंदू समाज को कलंकित किया गया. इसकी जिम्मेदार कांग्रेस और यूपीए है. कोई भी समाज इनको माफ नहीं करेगा. मासूमों की जान गई, लेकिन सही लोगों की जांच नहीं की गई.

बता दें कि समझौता एक्सप्रेस ब्लास्ट केस में विशेष एनआईए अदालत के न्यायाधीश जगदीप सिंह ने अपने फैसले में कहा कि मैं विश्वसनीय और स्वीकार्य सबूतों के अभाव में अधूरे रहने वाले इस हिंसा के रूप में किए गए एक नृशंस कृत्य के फैसले को गहरे दर्द और पीड़ा के साथ समाप्त कर रहा हूं.

क्या है मामला?
18 फरवरी, 2007 को हरियाणा के पानीपत में भारत-पाकिस्तान के बीच चलने वाली समझौता एक्सप्रेस ट्रेन जब भारतीय सीमा के पास आखिरी स्टेशन यानी अमृतसर के अटारी स्टेशन के रास्ते में थी, तभी उसमें जोरदार ब्लास्ट हुआ था जिसमें 68 लोग मारे गए थे. एनआईए ने जुलाई 2011 में आठ लोगों के खिलाफ आतंकवादी हमले में उनकी कथित भूमिका के लिए आरोप पत्र दायर किया था.

उन आठ आरोपियों में से स्वामी असीमानंद, लोकेश शर्मा, कमल चौहान और राजिंदर चौधरी अदालत में पेश हुए और मुकदमे का सामना किया. 20 मार्च 2019 को अदालत ने समझौता ब्लास्ट मामले में चारों आरोपियों- स्वामी असीमानंद, लोकेश शर्मा, कमल चौहान और राजिंदर चौधरी को बरी कर दिया था.

दिल्ली/चंडीगढ़: समझौता एक्सप्रेस ब्लास्ट केस में फैसले की कॉपी सार्वजनिक होने के बाद अब इस पर सियासत शुरू हो गई है. केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा कि कांग्रेस ने समझौता एक्सप्रेस केस कोहिंदू समाज को बदनाम करने के लिए एक आतंकवादी कृत्य करार दिया है.

जेटली ने कहा कि अदालत के फैसले में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि यह बिना किसी सबूत के स्पष्ट मामला था. इस केस में आरोपियों के खिलाफ कोई सबूत नहीं था. सिर्फ हिंदू समाज को कलंकित किया गया. इसकी जिम्मेदार कांग्रेस और यूपीए है. कोई भी समाज इनको माफ नहीं करेगा. मासूमों की जान गई, लेकिन सही लोगों की जांच नहीं की गई.

बता दें कि समझौता एक्सप्रेस ब्लास्ट केस में विशेष एनआईए अदालत के न्यायाधीश जगदीप सिंह ने अपने फैसले में कहा कि मैं विश्वसनीय और स्वीकार्य सबूतों के अभाव में अधूरे रहने वाले इस हिंसा के रूप में किए गए एक नृशंस कृत्य के फैसले को गहरे दर्द और पीड़ा के साथ समाप्त कर रहा हूं.

क्या है मामला?
18 फरवरी, 2007 को हरियाणा के पानीपत में भारत-पाकिस्तान के बीच चलने वाली समझौता एक्सप्रेस ट्रेन जब भारतीय सीमा के पास आखिरी स्टेशन यानी अमृतसर के अटारी स्टेशन के रास्ते में थी, तभी उसमें जोरदार ब्लास्ट हुआ था जिसमें 68 लोग मारे गए थे. एनआईए ने जुलाई 2011 में आठ लोगों के खिलाफ आतंकवादी हमले में उनकी कथित भूमिका के लिए आरोप पत्र दायर किया था.

उन आठ आरोपियों में से स्वामी असीमानंद, लोकेश शर्मा, कमल चौहान और राजिंदर चौधरी अदालत में पेश हुए और मुकदमे का सामना किया. 20 मार्च 2019 को अदालत ने समझौता ब्लास्ट मामले में चारों आरोपियों- स्वामी असीमानंद, लोकेश शर्मा, कमल चौहान और राजिंदर चौधरी को बरी कर दिया था.

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समझौता ब्लास्ट मामले को लेकर अरुण जेटली ने कांग्रेस पर लगाया हिंदू समाज को कलंकित करने का आरोप



दिल्ली/चंडीगढ़: समझौता एक्सप्रेस ब्लास्ट केस में फैसले की कॉपी सार्वजनिक होने के बाद अब इस पर सियासत शुरू हो गई है. केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा कि कांग्रेस ने समझौता एक्सप्रेस विस्फोट को हिंदू समाज को बदनाम करने के लिए एक आतंकवादी कृत्य करार दिया है. 

जेटली ने कहा कि अदालत के फैसले में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि यह बिना किसी सबूत के स्पष्ट मामला था. इस केस में आरोपियों के खिलाफ कोई सबूत नहीं था. सिर्फ हिंदू समाज को कलंकित किया गया. इसकी जिम्मेदार कांग्रेस और यूपीए है. कोई भी समाज इनको माफ नहीं करेगा. मासूमों की जान गई, लेकिन सही लोगों की जांच नहीं की गई.



बता दें कि समझौता एक्सप्रेस ब्लास्ट केस में विशेष एनआईए अदालत के न्यायाधीश जगदीप सिंह ने अपने फैसले में कहा कि मैं विश्वसनीय और स्वीकार्य सबूतों के अभाव में अधूरे रहने वाले इस हिंसा के रूप में किए गए एक नृशंस कृत्य के फैसले को गहरे दर्द और पीड़ा के साथ समाप्त कर रहा हूं. 



क्या है मामला

18 फरवरी, 2007 को हरियाणा के पानीपत में भारत-पाकिस्तान के बीच चलने वाली समझौता एक्सप्रेस ट्रेन जब भारतीय सीमा के पास आखिरी स्टेशन यानी अमृतसर के अटारी स्टेशन के रास्ते में थी, तभी उसमें जोरदार ब्लास्ट हुआ था जिसमें 68 लोग मारे गए थे. एनआईए ने जुलाई 2011 में आठ लोगों के खिलाफ आतंकवादी हमले में उनकी कथित भूमिका के लिए आरोप पत्र दायर किया था.

उन आठ आरोपियों में से स्वामी असीमानंद, लोकेश शर्मा, कमल चौहान और राजिंदर चौधरी अदालत में पेश हुए और मुकदमे का सामना किया. 20 मार्च 2019 को अदालत ने समझौता ब्लास्ट मामले में चारों आरोपियों- स्वामी असीमानंद, लोकेश शर्मा, कमल चौहान और राजिंदर चौधरी को बरी कर दिया था.

 


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