चंडीगढ़: महिलाओं की सुरक्षा को लेकर जब से कानून सख्त हुआ, तब से देश की झूठी शिकायतों के मामले भी बढ़ने लगे. नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के आंकड़ों में मुताबिक साल 2019 में 1,25,657 पुरुषों के यौन उत्पीड़न के मामले में बरी किया गया. 74 प्रतिशत रेप केस आईपीसी की धारा 376 के तहत झूठे पाए गए.
ऐसा ही एक मामला हरियाणा में सामने आया जहां एक महिला ने राकेश खुराना नाम के शख्स के खिलाफ यौन उत्पीड़न की शिकायत दी जोकि झूठी साबित हुई. इसके बाद महिला के खिलाफ मानहानि का मामला चंडीगढ़ जिला अदालत में दर्ज किया गया. इसपर 17 मई को सुनवाई होगी.
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राकेश खुराना 70% दिव्यांग है. महिला की शिकायत पर पुलिस ने मामला दर्ज किया था. इसके बाद हरियाणा सरकार की कमेटी ने इस पूरे मामले की जांच के बाद हरियाणा सरकार ने राकेश खुराना को क्लीन चिट दे दी. जिला अदालत ने महिला को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है.
राकेश खुराना के वकील अमर विवेक अग्रवाल ने बताया कि आरोपी महिला को विभाग की ओर से पहले भी कई बार कारण बताओ नोटिस जारी किए गए थे. महिला पर विभाग में गड़बड़ी करने के आरोप थे जिनसे बचने के लिए खुराना के खिलाफ शिकायत दी थी. सितंबर 2019 में महिला को हाउस रेंट अलाउंस के नाम पर गड़बड़ी करने के आरोप में विभाग के एमडी की ओर से कारण बताओ नोटिस दिया गया था. यह सबसे पहला नोटिस था इसके बाद उसे तनख्वाह के गलत एरिया क्लेम करने के नाम पर और 20 मई 2020 को अन्य मामले में दोबारा कारण बताओ नोटिस जारी किया गया था.
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इसके कुछ दिन बाद ही महिला ने राकेश खुराना पर शारीरिक छेड़छाड़ के आरोप लगा दिया. इस पर पुलिस ने तीन महीने जांच की 12 नवंबर 2020 को मामला दर्ज होने के बाद 25 नवंबर 2020 को उन्हें अदालत से अग्रिम जमानत मिल गई. बाद में हरियाणा के मुख्यमंत्री की ओर से शारीरिक छेड़छाड़ के खिलाफ कमेटी का गठन किया. कमेटी ने विभाग में तैनात महिलाओं व अन्य कर्मचारियों से पूछताछ की और फिर 1 अप्रैल को विभाग ने उनको क्लीन चिट दे दी.