भिवानी: तोशाम विधानसभा सीट हरियाणा की महत्वपूर्ण सीटों में से एक है. अरावली पहाडियों के तलहटी में बसा तोशाम हरियाणा की राजनीति का हमेशा से गढ़ रहा है. यह भिवानी जिले का तहसील मुख्यालय भी है. ये विधानसभा सीट हरियाणा के तीन लालों में से एक चौधरी बंसीलाल और उनके परिवार के नाम से जानी जाती रही है.
जाट समुदाय का बोलबाला
तोशाम विधानसभा सीट से हमेशा से जाट समुदाय के प्रत्याशी ही जीत कर आए हैं. 107 गावों की इस विधानसभा सीट में सबसे ज्यादा जाट समुदाय के मतदाता हैं. भिवानी जिले के पश्चिम में स्थित तोशाम इस संसदीय क्षेत्र का प्रमुख हलका है. हरियाणा के गठन के बाद 1967 में तोशाम विधानसभा सीट अस्तित्व में आई. पहली बार इस विधानसभा सीट से सूबे के पूर्व मुख्यमंत्री चौधरी बंसीलाल विधायक बने थे.
चौधरी बंसीलाल के परिवार का गढ़
चौधरी बंसीलाल चार बार प्रदेश के मुख्यमंत्री के पद पर रहे. तोशाम विधानसभा सीट पर हरियाणा बनने के बाद से अब तक हुए चुनाव में 12 बार चौधरी बंसीलाल के परिवार से ही विधायक बने हैं. 6 बार खुद चौधरी बंसीलाल, 3 बार उनके बेटे सुरेंद्र सिंह और 3 बार सुरेंद्र सिंह की पत्नी किरण चौधरी.
बंसीलाल परिवार और धर्मबीर सिंह की टक्कर
बंसीलाल के परिवार को यहां केवल भिवानी-महेंद्रगढ़ से मौजूदा बीजेपी सांसद धर्मबीर सिंह ही चुनौती दे पाए हैं. उन्होंने एक बार चौधरी बंसीलाल और एक बार सुरेंद्र सिंह को हराया था. 1987 के चुनाव में धर्मबीर सिंह ने बंसीलाल को हराया था लेकिन हाई कोर्ट ने बाद में 1991 में एक फैसला सुनाते हुए बंसीलाल को विजयी घोषित किया था.
कांग्रेस और बंसीलाल परिवार का रहा दबदबा
तोशाम सीट पर कांग्रेस और चौधरी बंसीलाल के परिवार का ही दबदबा रहा है. हरियाणा बनने के बाद इस सीट पर सिर्फ एक बार ही ऐसा हुआ है जब कांग्रेस उम्मीदवार या बंसीलाल के परिवार का सदस्य नहीं जीत पाया. जब 1987 में लोकदल के टिकट पर धर्मबीर सिंह ने चौधरी बंसीलाल को हराया था. हालांकि बाद में कोर्ट ने ये परिणाम भी बदल दिया था जिसमें बंसीलाल की जीत घोषित की गई थी. साल 2000 में यहां से धर्मबीर सिंह कांग्रेस की टिकट पर जीते थे. कुल मिलाकर सिर्फ दो बार ही ये सीट बंसीलाल परिवार से बाहर गई और दोनों ही बार जीतने वाले उम्मीदवार धर्मबीर सिंह थे.
2005 में बंसीलाल परिवार पर टूटा कहर
मार्च 2005 में बंसीलाल के परिवार पर एक कहर टूट पड़ा था. चौधरी बंसीलाल के बेटे सुरेंद्र सिंह की सहारनपुर के पास एक हेलीकाप्टर दुर्घटना में मृत्यु हो गई थी जिसके बाद चौधरी बंसीलाल टूट गए और लगातार बीमार भी रहने लगे थे. परिवार पर उस समय विपत्ति का पहाड़ टूट पड़ा था था. सुरेंद्र सिंह की पत्नी किरण चौधरी का 2005 से पहले राजनीति में कोई हस्तक्षेप नहीं था पर पति की मृत्यु के बाद परिवार के गढ़ मानी जाने वाली तोशाम विधानसभा सीट से वो पहली बार उपचुनाव में मैदान में उतरीं.
किरण चौधरी ने बनाया बड़ा रिकॉर्ड
2005 में पति सुरेंद्र सिंह के निधन के बाद उनकी पत्नी किरण चौधरी ने तोशाम से उपचुनाव लड़ा. किसी भी राजनीतिक दल ने उनके सामने कोई प्रत्याशी खड़ा नहीं किया लेकिन चार निर्दलीय उम्मीदवार मैदान में होने के कारण वे निर्विरोध नहीं चुनी जा सकी. इस उपचुनाव में कुल 1,26,648 मतों में से उन्हें 1,25,846 वोट मिले. निकटतम प्रतिद्वंदी निर्दलीय प्रत्याशी को 338 वोट ही मिले थे. किरण चौधरी ने उस उपचुनाव में 99.37 प्रतिशत वोट लिए थे जो अभी तक एक रिकॉर्ड है. बाद में किरण चौधरी को हुड्डा सरकार में मंत्री भी बनाया गया.
2014 विधानसभा चुनाव का परिणाम
2014 के चुनाव में तोशाम में कुल 1,85,970 मतदाता थे जिसमें से 1,51,357 लोगों ने मतदान किया था. तोशाम में कुल 81.38 प्रतिशत मतदान हुआ था और ये उन विधानसभा सीटों में से एक थी जहां 2014 के चुनाव में 80 फीसदी से ज्यादा मतदान हुआ था. यहां कांग्रेस उम्मीदवार किरण चौधरी ने इनेलो की कमला रानी को हराया था. किरण चौधरी को 58,218 वोट मिले थे और कमला रानी को 38,477 वोट प्राप्त हुए थे. निर्दलीय उम्मीदवार राजबीर सिंह लाला 38,427 वोटों के साथ तीसरे स्थान पर रहे थे. बीजेपी प्रत्याशी गुणपाल मात्र 1,822 ले पाए थे और छठे नंबर पर रहे थे.
2014 में बने थे दिलचस्प समीकरण
2014 के विधानसभा चुनाव में यहां दिलचस्प समीकरण देखने को मिले थे. एक बार फिर से यहां बंसीलाल परिवार और धर्मबीर के बीच राजनीतिक जोर आजमाइश देखने को मिली थी. 2014 में विधानसभा चुनाव से पहले लोकसभा चुनाव में धर्मबीर सिंह बीजेपी के टिकट पर लड़ते हुए भिवानी-महेंद्रगढ़ से सांसद चुने गए थे. सांसद बनने के बाद उन्होंने अपनी पुरानी तोशाम विधानसभा सीट से दबदबा कायम करने की कोशिश की. धर्मबीर सिंह ने अपने भाई राजबीर सिंह लाला को बीजेपी की टिकट दिलवाने की कोशिश की लेकिन पार्टी ने उनके भाई को टिकट नहीं दी. फिर धर्मबीर ने अपने भाई को इस सीट पर निर्दलीय उतार दिया.
इस चुनाव में यहां एक दिलचस्प किस्सा सामने आया जब स्थानीय बीजेपी सांसद का भाई निर्दलीय लड़ते हुए 25 फीसदी वोट ले गया और वहीं मोदी लहर होने के बावजूद इस सीट पर बीजेपी उम्मीदवार को केवल 1.20 प्रतिशत वोट मिले थे. ये 2014 में हरियाणा में किसी सीट पर भाजपा का सबसे कम वोट प्रतिशत था. यहां बीजेपी छठे नंबर पर रही थी और पूरे प्रदेश में ये एकमात्र सीट थी जहां बीजेपी टॉप चार में जगह नहीं बना पाई थी.
तोशाम का इतिहास
अरावली पहाडियों के तलहटी में बसा तोशाम हरियाणा की राजनीति का हमेशा से गढ़ रहा है. चार बार प्रदेश के मुख्यमंत्री बनने वाले चौधरी बंसीलाल यहीं से चुनाव लड़ते थे. भिवानी जिले के अंदर आना वाला तोशाम हलका खनन क्षेत्र के रूप में मशहूर है. यहां का पहाड़ी किला पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र है.
2019 में क्या हैं समीकरण?
इस बार के विधानसभा चुनाव में भी राजनीतिक विशेषज्ञ यहां से किरण चौधरी की जीत तय मानकर चल रहे हैं लेकिन साथ ही उल्टफेर की बात से भी इंकार नहीं किया जा रहा है. इसका कारण है हाल ही में हुए लोकसभा चुनाव के परिणाम. लोकसभा चुनाव में भाजपा के धर्मबीर सिंह ने कांग्रेस उम्मीदवार और किरण चौधरी की बेटी श्रुति चौधरी पर तोशाम हलके से 34 हजार की लीड बनाई थी. इस नतीजे ने यहां किरण चौधरी के सारे समीकरण उलट-पलट कर दिए और विधानसभा चुनाव के लिए कांग्रेस व किरण चौधरी को नए सिरे से मंथन के लिए मजबूर किया है.
2019 में मतदाता
- कुल मतदाता- 2,09,063
- पुरुष- 1,12,272
- महिला- 96,790
- ट्रांसजेंडर- 1
2019 विधानसभा चुनाव के प्रत्याशी
- कांग्रेस- किरण चौधरी
- बीजेपी- शशि रंजन परमार
- इनेलो- कमला रानी
- जेजेपी- सीताराम
कब कौन रहा विधायक?
- 1967 में कांग्रेस के चौधरी बंसीलाल
- 1968 में कांग्रेस के चौधरी बंसीलाल
- 1972 में कांग्रेस के चौधरी बंसीलाल
- 1977 में निर्दलीय सुरेंद्र सिंह
- 1982 में कांग्रेस के सुरेंद्र सिंह
- 1987 में लोकदल के धर्मबीर सिंह (बाद में कोर्ट ने चौ. बंसीलाल को विजयी घोषित किया)
- 1991 में हरियाणा विकास पार्टी के चौधरी बंसीलाल
- 1996 में हरियाणा विकास पार्टी के चौधरी बंसीलाल
- 2000 में कांग्रेस के धर्मबीर सिंह
- 2005 में कांग्रेस के सुरेंद्र सिंह
- 2005 उपचुनाव में कांग्रेस की किरण चौधरी
- 2009 में कांग्रेस की किरण चौधरी
- 2014 में कांग्रेस की किरण चौधरी