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भिवानी: बॉक्सर राजेश लुक्का की कहानी, चाय की दुकान से चाइना तक का सफर

लुक्का का प्रोफेशनल बॉक्सिंग में 11-0 का रिकॉर्ड रहा है. वे भारत की लाईट वेट कैटेगरी में 6 बार के नंबर-1 मुक्केबाज रह चुके हैं. लुक्का 2014 के सीनियर स्टेट चैम्पियनशिप में 60 किलोग्राम भार वर्ग में हरियाणा के बेस्ट बॉक्सर मुक्केबाज रहे हैं.

rakesh kumar luka bhiwani Professional Boxer
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Published : Nov 9, 2019, 8:08 PM IST

Updated : Nov 9, 2019, 11:37 PM IST

भिवानी: मिनी क्यूबा के नाम से विख्यात मुक्केबाजों की नगरी भिवानी के बॉक्सर राजेश लुक्का किसी पहचान के मोहताज नहीं हैं. आर्थिक रूप से कमजोर परिवार के मुक्केबाज राजेश लुक्का आज प्रोफेशनल बॉक्सिंग का बड़ा नाम हैं. लुक्का ने प्रोफेशनल बॉक्सिंग में चाईना, साऊथ कोरिया जैसे देशों के मुक्केबाजों को रिंग में घेरने को मजबूर किया है.

बॉक्सर राजेश लुक्का की कहानी, देखें वीडियो

लुक्का का प्रोफेशनल बॉक्सिंग में 11-0 का रिकॉर्ड रहा है. वे भारत की लाईट वेट कैटेगरी में 6 बार के नंबर-1 मुक्केबाज रह चुके हैं. लुक्का 2014 के सीनियर स्टेट चैम्पियनशिप में 60 किलोग्राम भार वर्ग में हरियाणा के बेस्ट बॉक्सर रहे मुक्केबाज रहे हैं.

2015 में लुक्का ने प्रोफेशनल बॉक्सिंग की शुरूआत की
2006 में मुक्केबाजी शुरू करने वाले लुक्का के सामने एक दौर ऐसा भी आया, जब उन्हे अपने घर का खर्च चलाने के लिए चाय की दुकान खोलनी पड़ी. 2006 में पड़ौसी बच्चों की देखा-देखी मुक्केबाजी स्टार्ट करने वाले बॉक्सर लुक्का ने 2009 में स्कूल नेशनल चैम्पियनशिप में ब्रांज मैडल लिया था. उसके बाद वो निरंतर स्कूली स्तर पर खेलते रहे, जिसके बाद 2014 में वे हरियाणा के सीनियर स्टेट चैम्पियनशिप में बेस्ट बॉक्सर चुने गए. 2015 में लुक्का ने प्रोफेशनल बॉक्सिंग की शुरूआत की. वे भारत के पहले डब्ल्यूबीसी यूथ वल्ड चैम्पियन बने.

बॉक्सिंग जारी रखने के लिए चाय बेची
प्रोफेशनल बॉक्सिंग में वे एक बार साऊथ कोरिया, तीन बार चाईना और 6 बार भारत में लाईट वेट में विजेता रहे. बॉक्सर लुक्का बताते हैं कि 2012 में उनकी बहन की कैंसर के कारण मौत हो गई थी. जिसके बाद वे कुछ समय बॉक्सिंग नहीं कर पाए. 2014 में उनके पिता की मृत्यु होने के बाद उन्हे घर चलाने के लिए चाय की दुकान खोली. इस दौरान वे सुबह तथा शाम प्रैक्टिस करते तथा दिन में चाय की दुकान चलाते थे. प्रोफेशनल बॉक्सिंग में आने के बाद उन्होंने चाय की दुकान बंद कर दी.

सरकारी नौकरी की दरकार
लुक्का ने बताया कि आज तक उन्हे किसी भी विभाग में सरकारी नौकरी नहीं मिली है. जबकि उनकी उपलब्धिंयां किन्ही मायनों में कम नहीं है. 28 साल के 12वीं पास मुक्केबाज लुक्का भिवानी के साई होस्टल के अलावा रोयल स्पोर्ट्स प्रोफेशनल से जुड़े हुए हैं. वे फिलहाल फरवरी में होने वाले सीनियर ऐशियन मुक्केबाजी प्रतियोगिता की तैयारियों में जुटे हैं.

ये भी पढ़ें- यमुनानगर में पीस कमेटी की बैठक, एक सुर में बोले लोग- देश में कायम रहे अमन-चैन

भिवानी: मिनी क्यूबा के नाम से विख्यात मुक्केबाजों की नगरी भिवानी के बॉक्सर राजेश लुक्का किसी पहचान के मोहताज नहीं हैं. आर्थिक रूप से कमजोर परिवार के मुक्केबाज राजेश लुक्का आज प्रोफेशनल बॉक्सिंग का बड़ा नाम हैं. लुक्का ने प्रोफेशनल बॉक्सिंग में चाईना, साऊथ कोरिया जैसे देशों के मुक्केबाजों को रिंग में घेरने को मजबूर किया है.

बॉक्सर राजेश लुक्का की कहानी, देखें वीडियो

लुक्का का प्रोफेशनल बॉक्सिंग में 11-0 का रिकॉर्ड रहा है. वे भारत की लाईट वेट कैटेगरी में 6 बार के नंबर-1 मुक्केबाज रह चुके हैं. लुक्का 2014 के सीनियर स्टेट चैम्पियनशिप में 60 किलोग्राम भार वर्ग में हरियाणा के बेस्ट बॉक्सर रहे मुक्केबाज रहे हैं.

2015 में लुक्का ने प्रोफेशनल बॉक्सिंग की शुरूआत की
2006 में मुक्केबाजी शुरू करने वाले लुक्का के सामने एक दौर ऐसा भी आया, जब उन्हे अपने घर का खर्च चलाने के लिए चाय की दुकान खोलनी पड़ी. 2006 में पड़ौसी बच्चों की देखा-देखी मुक्केबाजी स्टार्ट करने वाले बॉक्सर लुक्का ने 2009 में स्कूल नेशनल चैम्पियनशिप में ब्रांज मैडल लिया था. उसके बाद वो निरंतर स्कूली स्तर पर खेलते रहे, जिसके बाद 2014 में वे हरियाणा के सीनियर स्टेट चैम्पियनशिप में बेस्ट बॉक्सर चुने गए. 2015 में लुक्का ने प्रोफेशनल बॉक्सिंग की शुरूआत की. वे भारत के पहले डब्ल्यूबीसी यूथ वल्ड चैम्पियन बने.

बॉक्सिंग जारी रखने के लिए चाय बेची
प्रोफेशनल बॉक्सिंग में वे एक बार साऊथ कोरिया, तीन बार चाईना और 6 बार भारत में लाईट वेट में विजेता रहे. बॉक्सर लुक्का बताते हैं कि 2012 में उनकी बहन की कैंसर के कारण मौत हो गई थी. जिसके बाद वे कुछ समय बॉक्सिंग नहीं कर पाए. 2014 में उनके पिता की मृत्यु होने के बाद उन्हे घर चलाने के लिए चाय की दुकान खोली. इस दौरान वे सुबह तथा शाम प्रैक्टिस करते तथा दिन में चाय की दुकान चलाते थे. प्रोफेशनल बॉक्सिंग में आने के बाद उन्होंने चाय की दुकान बंद कर दी.

सरकारी नौकरी की दरकार
लुक्का ने बताया कि आज तक उन्हे किसी भी विभाग में सरकारी नौकरी नहीं मिली है. जबकि उनकी उपलब्धिंयां किन्ही मायनों में कम नहीं है. 28 साल के 12वीं पास मुक्केबाज लुक्का भिवानी के साई होस्टल के अलावा रोयल स्पोर्ट्स प्रोफेशनल से जुड़े हुए हैं. वे फिलहाल फरवरी में होने वाले सीनियर ऐशियन मुक्केबाजी प्रतियोगिता की तैयारियों में जुटे हैं.

ये भी पढ़ें- यमुनानगर में पीस कमेटी की बैठक, एक सुर में बोले लोग- देश में कायम रहे अमन-चैन

Intro:रिपोर्ट इन्द्रवेश भिवानी
दिनांक 9 नवंबर। 
लुक्का बॉक्सर ने मुक्के के दम पर बनाई पहचान
प्रोफेशनल बॉक्सिंग के 60 किलोग्राम भार वर्ग के 6 बार के चैम्पियन
बॉक्सिंग जारी रखने के लिए चाय की दुकान तक खोली थी 
2012 में बहन की मौत व 2014 में पिता की मृत्यु बाद घर चलाने के लिए खोली थी चाय की दुकान  
आज तक सरकारी नौकरी के इंतजार में 
प्रोफेशनल बॉक्सिंग में 11 जीरो का रिकॉर्ड रहा है प्रोफेशनल बॉक्सिंग में
तीन बार चाईना, एक बार साऊथ कोरिया व 7 बार इण्डिया में जीता
      मिनी क्यूबा के नाम से विख्यात मुक्केबाजों की नगरी भिवानी के बॉक्सर राजेश लुक्का आज किसी नाम के मोहताज नहीं है। आर्थिक रूप से कमजोर परिवार के मुक्केबाज राजेश लुक्का आज प्रोफेशनल बॉक्सिंग का बड़ा नाम है, जिन्होंने प्रोफेशनल बॉक्सिंग में चाईना, साऊथ कोरिया, के मुक्केबाजों को रिंग में गिरने को मजबूर कर दिया। प्रोफेशनल बॉक्सिंग की चैम्पियनशिप हासिल की। प्रोफेशनल बॉक्सिंग 11 जीरो का रिकॉर्ड रहा है  वे भारत के लाईट वेट में 6 बार के नंबर-1 मुक्केबाज रह चुके है।
Body:    2014 के सीनियर स्टेट चैम्पियनशिप में 60 किलोग्राम भार वर्ग में हरियाणा के बेस्ट बॉक्सर रहे मुक्केबाज लुक्का ने भले ही अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर मुक्केबाजी में नाम कमाया हो, परन्तु उन्हे एक सरकारी नौकरी भी उन्हे तलाश आज भी है। लुक्का ने कहा सरकार से आर्थिक मदद मिलने के बाद देश के लिए ओर मैडल लाऊंगा।      लुक्का ने बताया कि 2006 में मुक्केबाजी शुरू करने वाले लुक्का को लुक्का के सामने एक दौर ऐसा भी आया, जब उन्हे अपने घर का खर्च चलाने के लिए चाय की दुकान खोलनी पड़ी। 2006 में पड़ौसी बच्चों की देेखा-देखी मुक्केबाजी स्टार्ट करने वाले बॉक्सर लुक्का ने 2009 में स्कूल नेशनल चैम्पियनशिप में ब्रांज मैडल लिया था। उसके बाद उन्होंने निरंतर स्कूली स्तर पर खेलते रहे, जिसके बाद 2014 में वे हरियाणा के सीनियर स्टेट चैम्पियनशिप में बेस्ट बॉक्सर चुने गए। 2015 में लुक्का ने प्रोफेशनल बॉक्सिंग की शुरूआत की।
     वे भारत के पहले डब्ल्यूबीसी यूथ वल्र्ड चैम्पियन बने। प्रोफेशनल बॉक्सिंग में वे एक बार साऊथ कोरिया, तीन बार चाईना व 6 बार भारत में लाईट वेट में विजेता रहे। लुक्का बॉक्सर बताते है कि लुक्का 2012 में उनकी बहन की कैंसर के कारण मौत हो गई थी। जिसके बाद वे कुछ समय बॉक्सिंग नहीं कर पाएं ।  2014 में उनके पिता की मृत्यु होने के बाद उन्हे घर चलाने के लिए चाय की दुकान खोली। इस दौरान वे सुबह तथा शाम प्रैक्ट्सि करते तथा दिन में चाय की दुकान चलाते थे।
Conclusion:      प्रोफेशनल बॉक्सिंग में आने के बाद उन्होंने चाय की दुकान बंद कर दी। लुक्का ने बताया कि आज तक उन्हे किसी भी विभाग में सरकारी नौकरी नहीं मिली है। जबकि उनकी उपलब्धिंयां किन्ही मायनों में कम नहीं है। 28 वर्षीय 12वीं पास मुक्केबाज लुक्का भिवानी के साई होस्टल के अलावा रोयल स्र्पोट्स प्रोफेशनल से जुड़े हुए है। वे फिलहाल फ़रवरी में होने वाले सीनियर ऐशियन मुक्केबाजी प्रतियोगिता की तैयारियों में जुटे है। बाईट : राजेश लुक्का बॉक्सर
Last Updated : Nov 9, 2019, 11:37 PM IST
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