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भिवानी में परंपरागत छोड़कर ये आधुनिक खेती कर रहे किसान, कमा रहे लाखों

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Published : Aug 22, 2022, 4:59 PM IST

भिवानी में परंपरागत खेती को छोड़कर अब किसानों को मुनाफे की खेती भाने लगी है. देवसर गांव के किसानों रुझान अब बागवानी की तरफ बढ़ रहा है. मौसमी फलों की खेती करके किसान अच्छी कमाई कर रहे हैं.

Horticulture in Bhiwani
भिवानी में परंपरागत खेती

भिवानी: किसानों की आय दोगुना बढ़ाने को लेकर नित नए दावे और वादे किए जाते हैं लेकिन इन सबसे परे होकर किसानों ने खुद अब अपनी आय बढ़ाने का बीड़ा उठा लिया है. किसान परम्परागत खेती को छोड़कर अब इस तरह की खेती करना पसंद कर रहे हैं जो उन्हें ज्यादा मुनाफा दे सके. इसी के तहत भिवानी जिले में किसानों का रुख अब बागवानी (Horticulture in Bhiwani) की तरफ बढ़ने लगा है.

भिवानी के किसान अब मौसमी फलों और किन्नू की खेती में ज्यादा दिलचस्पी ले रहे हैं. भिवानी के देवसर गांव (Devsar Village Bhiwani) के किसानों ने रेत के टिब्बों में मौसमी फलों की खेती शुरू कर दी है. रेत के जिन टिब्बों खेती करना संभव नहीं था, किसानों ने इन क्षेत्रों में बागवानी करके साबित कर दिया है कि जहां चाह है वहीं राह है.

परंपरागत खेती प्रकृति पर आधारित खेती होती है. ट्रेडिशनल खेती में मुख्यत वर्षा का जल, नेचुरल बीज और खाद के तौर पर गोबर का इस्तेमाल किया जाता है. परंपरागत खेती के अंतर्गत हल-बैल, खुरपी, फावड़े को हथियार के रुप में यूज किया जाता है. परंपरागत खेती में मेहनत तो ज्यादा लगती है लेकिन उतना मुनाफा हो पाना मुश्किल हो जाता है. कभी-कभी किसानों की लगाई गई लागत भी इस खेती से निकाल पाना कठिन हो जाता है.

भिवानी में परंपरागत छोड़कर ये आधुनिक खेती कर रहे किसान, कमा रहे लाखों

वहीं भिवानी में परंपरागत खेती को छोड़कर बागवानी (Horticulture in Bhiwani) करने वाले किसान रमेश ने बताया कि वह किन्नू की बागवानी से लाखों रुपये की आमदनी कमा रहे हैं. उनका कहना है कि किसानों को अब परम्परागत खेती को छोड़कर दूसरी उन्नत किस्म की खेती की ओर ध्यान देना चाहिए जिससे कि वह फायदा कमा सके. उन्होंने कहा कि उन्नत खेती से लाखों रुपये भी कमाई तो होगी ही साथ ही सरकार भी उसे लाभ देगी.

किसान संजय ने बताया कि यहां 17 एकड़ में उन्होंने किन्नू और मौसमी फलों खेती की थी. अब वह खेती उनके लिये काफी फायदेमंद साबित हो रही है. उनका कहना है कि वे 1 लाख रुपये प्रति एकड़ उससे फायदा ले रहे हैं जबकि परम्परागत खेती में 30 से 40 हजार रुपये प्रति एकड़ फायदा किसान को मिलता है. किसान रमेश का कहना है कि सरकार ऐसी फसलों पर शुरुआत में ही सब्सिडी देती है जिससे कि किसान इस ओर अग्रसर हो सकें.

किसान को फायदा हो इसलिये सरकार हर उस चीज पर सब्सिडी देती है जो इस तरह की फसलों को उगाने के लिए आगे आते हैं. किसान रमेश ने तो ऑर्गेनिक दवा भी बनाई है जिसका छिड़काव किन्नू और मौसमी फलों में किया जाता है. उन्होंने बताया कि वह इस दवा को गुड़, गोमूत्र जैसी कई चीजों के मिश्रण से बनाते हैं जिससे फलों को खाने वाले की सेहत के साथ खिलवाड़ ना हो. किसान संजय देवसरिया का कहना है सरकार मंडी का इंतजाम कर दे तो किसानों का इस खेती में अधिक फायदा हो सकता है. उन्होंने बताया कि वह बिना रसायनिक खाद के फसलें उगाते हैं. सरकार अलग मंडी बनवाये जिससे फसलों के उचित दाम भी मिल सके.

भिवानी: किसानों की आय दोगुना बढ़ाने को लेकर नित नए दावे और वादे किए जाते हैं लेकिन इन सबसे परे होकर किसानों ने खुद अब अपनी आय बढ़ाने का बीड़ा उठा लिया है. किसान परम्परागत खेती को छोड़कर अब इस तरह की खेती करना पसंद कर रहे हैं जो उन्हें ज्यादा मुनाफा दे सके. इसी के तहत भिवानी जिले में किसानों का रुख अब बागवानी (Horticulture in Bhiwani) की तरफ बढ़ने लगा है.

भिवानी के किसान अब मौसमी फलों और किन्नू की खेती में ज्यादा दिलचस्पी ले रहे हैं. भिवानी के देवसर गांव (Devsar Village Bhiwani) के किसानों ने रेत के टिब्बों में मौसमी फलों की खेती शुरू कर दी है. रेत के जिन टिब्बों खेती करना संभव नहीं था, किसानों ने इन क्षेत्रों में बागवानी करके साबित कर दिया है कि जहां चाह है वहीं राह है.

परंपरागत खेती प्रकृति पर आधारित खेती होती है. ट्रेडिशनल खेती में मुख्यत वर्षा का जल, नेचुरल बीज और खाद के तौर पर गोबर का इस्तेमाल किया जाता है. परंपरागत खेती के अंतर्गत हल-बैल, खुरपी, फावड़े को हथियार के रुप में यूज किया जाता है. परंपरागत खेती में मेहनत तो ज्यादा लगती है लेकिन उतना मुनाफा हो पाना मुश्किल हो जाता है. कभी-कभी किसानों की लगाई गई लागत भी इस खेती से निकाल पाना कठिन हो जाता है.

भिवानी में परंपरागत छोड़कर ये आधुनिक खेती कर रहे किसान, कमा रहे लाखों

वहीं भिवानी में परंपरागत खेती को छोड़कर बागवानी (Horticulture in Bhiwani) करने वाले किसान रमेश ने बताया कि वह किन्नू की बागवानी से लाखों रुपये की आमदनी कमा रहे हैं. उनका कहना है कि किसानों को अब परम्परागत खेती को छोड़कर दूसरी उन्नत किस्म की खेती की ओर ध्यान देना चाहिए जिससे कि वह फायदा कमा सके. उन्होंने कहा कि उन्नत खेती से लाखों रुपये भी कमाई तो होगी ही साथ ही सरकार भी उसे लाभ देगी.

किसान संजय ने बताया कि यहां 17 एकड़ में उन्होंने किन्नू और मौसमी फलों खेती की थी. अब वह खेती उनके लिये काफी फायदेमंद साबित हो रही है. उनका कहना है कि वे 1 लाख रुपये प्रति एकड़ उससे फायदा ले रहे हैं जबकि परम्परागत खेती में 30 से 40 हजार रुपये प्रति एकड़ फायदा किसान को मिलता है. किसान रमेश का कहना है कि सरकार ऐसी फसलों पर शुरुआत में ही सब्सिडी देती है जिससे कि किसान इस ओर अग्रसर हो सकें.

किसान को फायदा हो इसलिये सरकार हर उस चीज पर सब्सिडी देती है जो इस तरह की फसलों को उगाने के लिए आगे आते हैं. किसान रमेश ने तो ऑर्गेनिक दवा भी बनाई है जिसका छिड़काव किन्नू और मौसमी फलों में किया जाता है. उन्होंने बताया कि वह इस दवा को गुड़, गोमूत्र जैसी कई चीजों के मिश्रण से बनाते हैं जिससे फलों को खाने वाले की सेहत के साथ खिलवाड़ ना हो. किसान संजय देवसरिया का कहना है सरकार मंडी का इंतजाम कर दे तो किसानों का इस खेती में अधिक फायदा हो सकता है. उन्होंने बताया कि वह बिना रसायनिक खाद के फसलें उगाते हैं. सरकार अलग मंडी बनवाये जिससे फसलों के उचित दाम भी मिल सके.

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