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सरसों की खरीद बनी आफत, औने-पौने दाम में फसल बेचने को मजबूर किसान - सरसो खरीद में परेशानी

जिले में सरसों की फसल किसानों के लिए आफत का सबब बनी हुई है. सरसों खरीद पर लगाई गई शर्तें पूरी न हो पाने पर किसान सस्ते दाम में फसल बेचने को तैयार हैं.

सरसो की खरीद किसानों के लिए आफत
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Published : Apr 7, 2019, 11:36 AM IST

भिवानी: जिले की मंडी में युवा कल्याण संगठन ने दौरा किया और किसानों की परेशानियों को जाना. चारा मंडी का दौरा करते वक्त किसानों ने बताया कि सरसों की फसल हमारे लिए आफत बनी हुई है. सरकार ने ऑनलाईन रजिस्ट्रेशन और 25 क्विंटल प्रति किसान बेचने की जो शर्त लगाई है. वो सरासर गलत है. वहीं किसान का कहना है कि सरकार की नीतियों की वजह से वो मजबूरी में सरसों को 3300 और 3400 रुपये के भाव से बेचने के लिए मजबूर हैं. क्योंकि हमे पैसे की जरूरत है और घर में शादियां हैं.

अफसरशाही की वजह से सरकार हो रही बदनाम
युवा कल्याण संगठन के संरक्षक कमल सिंह ने कहा कि जिस प्रकार से ऑनलाईन एक जटिल प्रक्रिया है, उसको किसान अच्छी तरह समझ नहीं पाएं हैं, जिसकी वजह से किसान मजबूरी में अपनी सरसों को औने-पौने दाम पर बेचने को मजबूर हैं. अफसरशाही की वजह से सरकार बदनाम हो रही है. इसीलिए मुख्यमंत्री को तुरंत इस ओर ध्यान देना चाहिए

सरकार को चेतावनी
कमल सिंह प्रधान ने सरकार को चेतावनी देते हुए कहा कि अगर सरकार चेतती नहीं है, तो युवा कल्याण संगठन अधिकारियों का घेराव करेगा और धरने पर बैठ जाऐंगे.

भिवानी: जिले की मंडी में युवा कल्याण संगठन ने दौरा किया और किसानों की परेशानियों को जाना. चारा मंडी का दौरा करते वक्त किसानों ने बताया कि सरसों की फसल हमारे लिए आफत बनी हुई है. सरकार ने ऑनलाईन रजिस्ट्रेशन और 25 क्विंटल प्रति किसान बेचने की जो शर्त लगाई है. वो सरासर गलत है. वहीं किसान का कहना है कि सरकार की नीतियों की वजह से वो मजबूरी में सरसों को 3300 और 3400 रुपये के भाव से बेचने के लिए मजबूर हैं. क्योंकि हमे पैसे की जरूरत है और घर में शादियां हैं.

अफसरशाही की वजह से सरकार हो रही बदनाम
युवा कल्याण संगठन के संरक्षक कमल सिंह ने कहा कि जिस प्रकार से ऑनलाईन एक जटिल प्रक्रिया है, उसको किसान अच्छी तरह समझ नहीं पाएं हैं, जिसकी वजह से किसान मजबूरी में अपनी सरसों को औने-पौने दाम पर बेचने को मजबूर हैं. अफसरशाही की वजह से सरकार बदनाम हो रही है. इसीलिए मुख्यमंत्री को तुरंत इस ओर ध्यान देना चाहिए

सरकार को चेतावनी
कमल सिंह प्रधान ने सरकार को चेतावनी देते हुए कहा कि अगर सरकार चेतती नहीं है, तो युवा कल्याण संगठन अधिकारियों का घेराव करेगा और धरने पर बैठ जाऐंगे.

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एमबीबीएस डॉक्टर ने की सिविल सर्विस की परीक्षा पास, अपराजिता को मिला 82वां रैंक

आईपीएस की बजाए एडमिनिस्ट्रेशन में सेवाएं देने की इच्छा

अपने डाक्टरी पेशे के अनुभव व प्रशासनिक प्रतिभा से करेगी लोगों की सेवा

एंकर- गाड़ियों में बैठे प्रशासनिक अधिकारियों को देख कर प्रशासनिक सेवा में जाने का सपना देखने वाली एमबीबीएस डॉक्टरअपराजिता का सपना साकार हो गया। सिविल सर्विस के परिणाम में उसे 82वां रैंक मिला है। जिसे लेकर अपराजिता व उसका परिवार फुला नही समा रहा है। रोहतक की कमल कालोनी में मिठाई खिलाने का शिलशिला जारी है। अपराजिता का कहना सपने मेहनत और लगन से पूरे किए जा सकते है। बेटी किसी से कम नही है बस मौका मिलना चाहिए।

वीओ-1 अपराजिता जब छोटी थी, उसके नाना उसे गाड़ियों में बैठे अधिकारियों के बारे में बताते थे, तो अपराजिता ने भी अधिकारी बनने का सपना देखा। हालांकि 2016 में अपराजिता ने एमबीबीएस की पढ़ाई पूरी कर ली थी और डॉक्टर के तौर पर काम कर रही थी। लेकिन अंदर वही प्रशासनिक सेवा में जाने की चाहत थी। जिसके लिए उसने 2017 में अपनी तैयारी शुरू कर दी और आखिर उसकी मेहनत रंग लाई। 2018 की सिविल सर्विस की परीक्षा में उसने 82वां रैंक हासिल कर लिया है। जिसे लेकर पूरा परिवार फूला नही समा रहा है।

वीओ-2 अपराजिता का कहना है कि उसने जो सपना देखा था, वह साकार हो गया है। वह अपने नाना के पास रहती है, यहां बेटियों को बोझ नही माना जाता। नाना की केवल 3 बेटियां ही हैं, जो डॉक्टर हैं। इसलिए वे मानती है कि अगर बेटियों को मौका मिले तो वे भी अपनी मेहनत से आसमान छू सकती है। अपराजिता का कहना है कि वह अपने डाक्टरी पेशे के अनुभव को प्रशासनिक सेवा में प्रयोग कर लोगों की सेवा करेगी। 

बाईट अपराजिता
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