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अंबाला: बोर्ड की परीक्षा के दौरान बच्चे ऐसे रह सकते हैं तनावमुक्त - बोर्ड परीक्षा अंबाला बच्चे

ईटीवी भारत के खास कार्यक्रम 'परीक्षा की पाठशाला' के तहत ईटीवी भारत की टीम ने अंबाला शहर विधानसभा क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले गवर्नमेंट सीनियर सेकेंडरी स्कूल प्रेम नगर में 12वीं के बच्चों से बातचीत की और परीक्षा को लेकर बच्चों की परेशानी जानी.

haryana board exams children stress
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Published : Mar 18, 2020, 2:37 PM IST

अंबाला: हरियाणा स्कूल एजुकेशन बोर्ड के तहत 3 मार्च से 12वीं की परीक्षाएं शुरू हो चुकी हैं जो कि 31 मार्च तक जारी रहेंगी. जिसके चलते ईटीवी भारत की टीम ने अंबाला शहर विधानसभा क्षेत्र के अंतर्गत गवर्नमेंट सीनियर सेकेंडरी स्कूल प्रेम नगर में 12वीं के बच्चों से परीक्षाओं के दौरान आने वाले मानसिक दबाव के बारे में बातचीत की.

12वीं के बच्चों के लिए स्कूल जीवन की आखिरी परीक्षा

बच्चों ने बताया कि वैसे तो हर परीक्षा में मेहनत करनी पड़ती है लेकिन इस बार की परीक्षा स्कूल जीवन की आखिरी परीक्षा है. इसके बाद उन्हें आगामी कंपीटेटिव एग्जाम की भी तैयारी इसी के तहत करनी होती है जिसके चलते 12वीं के एग्जाम बहुत खास होते हैं.

बोर्ड की परीक्षा के दौरान बच्चे ऐसे रह सकते हैं तनावमुक्त.

हर पेपर को लेकर रहता है दबाव

बच्चों ने बताया कि जो परीक्षा हो चुकी हैं उनकी तैयारी के लिए कभी ट्यूशन तो कभी घर पर लगातार पढ़ाई की है और बाकी बचे पेपरों के लिए भी ऐसे ही तैयारी की जा रही है. परीक्षा के चलते उन पर मानसिक रूप से खासा दबाव रहता ही है. एक पेपर खत्म होता है तो अगले पेपर का दबाव आ जाता है और पिछले पेपर के परिणाम का भी मानसिक दबाव रहता है.

हर किसी के कारण रहता है दबाव

उन्होंने बताया कि 12वीं की परीक्षा को लेकर घरवालों का, स्कूल के शिक्षकों का, रिश्तेदारों का सभी का लगातार दबाव रहता है. ऐसे में खाना-पीना नींद आना तक मुश्किल हो जाता है. हालांकि उनके मां-बाप उन्हें किसी भी तरह का मानसिक दबाव नहीं लेने की हिदायत देते हैं लेकिन परीक्षाओं का दबाव परीक्षा की तिथि नजदीक आने के साथ-साथ बढ़ता ही जाता है.

ये भी पढेंः- हिसारः अवैध ढाबों, रेस्टोरेंट पर चला पीला पंजा

वहीं इस पूरे मामले को लेकर जब हमने गवर्नमेंट सीनियर सेकेंडरी स्कूल प्रेम नगर की साइकोलॉजी विभाग की अध्यापिका पायल से बात की तो उन्होंने कहा कि इसमें कोई शक नहीं की बच्चों पर परीक्षाओं का दबाव रहता है लेकिन बोर्ड की परीक्षा होने के चलते बच्चों पर दबाव और भी बढ़ जाता है.

बच्चों को मेडिटेशन करने की सलाह

उन्होंने बताया कि इसके लिए ना सिर्फ स्कूल के अध्यापकों बल्कि बच्चों के मां-बाप को भी बच्चों पर मानसिक दबाव को कम करने के लिए उनकी अच्छी डाइट और पढ़ने का टाइम टेबल बनाना चाहिए ताकि बच्चों पर लगातार बढ़ता परीक्षाओं का दबाव कम हो सके. इसके अलावा उन्होंने बच्चों को आगे होने वाले पेपरों से पहले हो चुके पेपरों के परिणामों के बारे में नहीं सोचने की सलाह ही और मेडिटेशन करने के लिए कहा.

परीक्षा परिणाम को लेकर ना दें कोई दबाव

बच्चों पर परीक्षाओं का दवाब होना स्वाभाविक है लेकिन इसके लिए बच्चों के माता पिता और साथ ही साथ स्कूल के अध्यापकों को भी खास ध्यान रखना चाहिए और बच्चों को बिनी किसी दबाव के पेपर देने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए. अगर बच्चों पर परीक्षा के परिणाम का दबाव नहीं डालेंगे तो बच्चे बिना परेशानी के परीक्षा दे पाएंगे.

ये भी पढ़ें- जब बुजुर्ग से बोले दुष्यंत, 'आज्या ताई मेरी गाढ़ी में बैठ, तन्नै मैं घुमाऊंगा चंडीगढ़'

अंबाला: हरियाणा स्कूल एजुकेशन बोर्ड के तहत 3 मार्च से 12वीं की परीक्षाएं शुरू हो चुकी हैं जो कि 31 मार्च तक जारी रहेंगी. जिसके चलते ईटीवी भारत की टीम ने अंबाला शहर विधानसभा क्षेत्र के अंतर्गत गवर्नमेंट सीनियर सेकेंडरी स्कूल प्रेम नगर में 12वीं के बच्चों से परीक्षाओं के दौरान आने वाले मानसिक दबाव के बारे में बातचीत की.

12वीं के बच्चों के लिए स्कूल जीवन की आखिरी परीक्षा

बच्चों ने बताया कि वैसे तो हर परीक्षा में मेहनत करनी पड़ती है लेकिन इस बार की परीक्षा स्कूल जीवन की आखिरी परीक्षा है. इसके बाद उन्हें आगामी कंपीटेटिव एग्जाम की भी तैयारी इसी के तहत करनी होती है जिसके चलते 12वीं के एग्जाम बहुत खास होते हैं.

बोर्ड की परीक्षा के दौरान बच्चे ऐसे रह सकते हैं तनावमुक्त.

हर पेपर को लेकर रहता है दबाव

बच्चों ने बताया कि जो परीक्षा हो चुकी हैं उनकी तैयारी के लिए कभी ट्यूशन तो कभी घर पर लगातार पढ़ाई की है और बाकी बचे पेपरों के लिए भी ऐसे ही तैयारी की जा रही है. परीक्षा के चलते उन पर मानसिक रूप से खासा दबाव रहता ही है. एक पेपर खत्म होता है तो अगले पेपर का दबाव आ जाता है और पिछले पेपर के परिणाम का भी मानसिक दबाव रहता है.

हर किसी के कारण रहता है दबाव

उन्होंने बताया कि 12वीं की परीक्षा को लेकर घरवालों का, स्कूल के शिक्षकों का, रिश्तेदारों का सभी का लगातार दबाव रहता है. ऐसे में खाना-पीना नींद आना तक मुश्किल हो जाता है. हालांकि उनके मां-बाप उन्हें किसी भी तरह का मानसिक दबाव नहीं लेने की हिदायत देते हैं लेकिन परीक्षाओं का दबाव परीक्षा की तिथि नजदीक आने के साथ-साथ बढ़ता ही जाता है.

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वहीं इस पूरे मामले को लेकर जब हमने गवर्नमेंट सीनियर सेकेंडरी स्कूल प्रेम नगर की साइकोलॉजी विभाग की अध्यापिका पायल से बात की तो उन्होंने कहा कि इसमें कोई शक नहीं की बच्चों पर परीक्षाओं का दबाव रहता है लेकिन बोर्ड की परीक्षा होने के चलते बच्चों पर दबाव और भी बढ़ जाता है.

बच्चों को मेडिटेशन करने की सलाह

उन्होंने बताया कि इसके लिए ना सिर्फ स्कूल के अध्यापकों बल्कि बच्चों के मां-बाप को भी बच्चों पर मानसिक दबाव को कम करने के लिए उनकी अच्छी डाइट और पढ़ने का टाइम टेबल बनाना चाहिए ताकि बच्चों पर लगातार बढ़ता परीक्षाओं का दबाव कम हो सके. इसके अलावा उन्होंने बच्चों को आगे होने वाले पेपरों से पहले हो चुके पेपरों के परिणामों के बारे में नहीं सोचने की सलाह ही और मेडिटेशन करने के लिए कहा.

परीक्षा परिणाम को लेकर ना दें कोई दबाव

बच्चों पर परीक्षाओं का दवाब होना स्वाभाविक है लेकिन इसके लिए बच्चों के माता पिता और साथ ही साथ स्कूल के अध्यापकों को भी खास ध्यान रखना चाहिए और बच्चों को बिनी किसी दबाव के पेपर देने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए. अगर बच्चों पर परीक्षा के परिणाम का दबाव नहीं डालेंगे तो बच्चे बिना परेशानी के परीक्षा दे पाएंगे.

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