अंबाला: पर्यावरण प्रदूषित होने को लेकर किसान चिंतित तो है लेकिन उसके पास कोई दूसरा रास्ता न होने के चलते उन्हें खेतों में पराली को आग लगानी पड़ती है. अंबाला के किसानों का कहना है कि सरकार उन्हें अच्छी सब्सिडी दे और बढ़िया औजार दे ताकि वे फसलों को आग न लगाएं. क्योंकि उन्हें भी इससे परेशानी का सामना करना पड़ता है. वहीं छोटे किसानों का साफ कहना है कि वो इस हालत में नहीं है कि सरकार की सब्सिडी का फायदा उठा सकें.
किसान पराली जलाने को मजबूर
पर्यावरण को लेकर हर कोई चिंता में हैं. वहीं किसान इससे ज्यादा दिक्कत में हैं क्योंकि 15 दिन के इस पीरियड में उनके पास खेतों में अवशेषों को आग लगाने के इलावा कोई चारा नहीं बचता. उन्हें प्रशासन से लेकर पुलिसिया कार्रवाई का सामना करना पड़ता है.
हमारे पास दूसरा रास्ता नहीं- किसान
अंबाला के किसानों का कहना है कि वे फसलों के अवशेषों को आग न लगाएं तो क्या करें क्योंकि उनके पास ऐसा कोई औजार नहीं है. जिससे वे इस समस्या से बच सकें. सरकार उन्हें अच्छी तकनीक मुहैया करवाए ताकि वे भी खेतों में आग न लगाएं. क्योंकि वे भी ऐसा करके खुश नही हैं. वहीं डी कंपोस्ट पर सब्सिडी के सरकार द्वारा लिए गए फैंसले को वे बेहतर तो मानते हैं लेकिन उसमें समय ज्यादा लगने के चलते वे उसे अपनाना नहीं चाहते हैं.
वहीं छोटे किसानों का कहना है कि उसके पास खेतो में आग लगाने के अलावा कोई दूसरा रास्ता नहीं है वे सरकार द्वारा मुहैया करवाई जा रही सब्सिडी का लाभ भी नहीं ले सकता. उनका कहना है इससे अच्छा वे खेती छोड़ दे.
कृषि विभाग की अपनी दलीलें
कृषि विभाग के अधिकारी गिरीश नागपाल ने कहा कि वे समय समय पर जागरूकता अभियान चला कर किसानों को जागरूक कर रहे हैं. साथ ही इस बार शुगर मिल मालिकों के साथ बैठक कर फैंसला लिया गया है कि किसान पराली शुगर मिल को बेचेंगे.
पराली से बढ़ रहा है प्रदूषण!
आपको बता दें कि प्रदूषण मापने वाली एजेंसियों के अनुसार दिल्ली-एनसीआर में बढ़ते प्रदूषण की एक सबसे बड़ी वजह हरियाणा, पंजाब और आसपास के राज्यों में जलाई जाने वाली पराली है. जानकारी के मुताबित बीते कुछ दिनों में हरियाणा में पराली जलाने की घटनाओं में तेजी से बढ़ोतरी हुई है.
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