नई दिल्ली : कैबिनेट ने ऑटो सेक्टर के लिए पीएलआई (production-linked incentive) योजना को मंजूरी दे दी है. यह संघर्षरत उद्योग के लिए उत्पादन बढ़ाने के लिए एक बूस्टर के रूप में काम करेगी.
सरकार अब बैटरी इलेक्ट्रिक और हाइड्रोजन ईंधन सेल वाहनों पर ध्यान केंद्रित करना चाहती है इसलिए ऑटो सेक्टर पीएलआई योजना का फोकस इलेक्ट्रिक वाहनों और हाइड्रोजन ईंधन सेल वाहनों के निर्माण को बढ़ावा देने पर है.
इस योजना के तहत कलपुर्जों में ऑटोमैटिक ट्रांसमिशन असेंबली, इलेक्ट्रॉनिक पावर स्टीयरिंग सिस्टम, सेंसर, सुपरकैपिसेटर, सनरूफ, एडाप्टिक फ्रंट लाइटिंग, ऑटोमैटिक ब्रेकिंग, टायर दबाव निगरानी प्रणाली तथा टक्कर चेतावनी प्रणाली को शामिल किया जाएगा.
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केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने कहा, सरकार ने भारत की विनिर्माण क्षमताओं को बढ़ाने के लिए ऑटो उद्योग, ऑटो-घटक उद्योग, ड्रोन उद्योग के लिए उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन योजना को मंजूरी दी है. पीएलआई योजना में 26,058 करोड़ रुपये का बजट प्रावधान है जिसमें से ऑटो सेक्टर के लिए 25,938 करोड़ रुपये दिए गए हैं और ड्रोन उद्योग के लिए 120 करोड़ रुपये दिए गए हैं.
उन्होंने कहा, नई तकनीक की बात करें तो पीएलआई योजना को वर्तमान के साथ-साथ भविष्य की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए और स्थानीय बाजारों के लिए भी लाया गया है, ताकि हम अपने उद्योग को मजबूत कर सकें. ऑटोमोबाइल उद्योग देश के विनिर्माण सकल घरेलू उत्पाद में 35% का योगदान देता है. यह रोजगार पैदा करने में अग्रणी क्षेत्र है. अगर हम वैश्विक ऑटोमोटिव व्यापार की बात करें तो हमें भारत की भागीदारी बढ़ाने की जरूरत है.
बता दें कि सरकार ने वाहन क्षेत्र की पीएलआई योजना के लिए खर्च को घटाकर 26,000 करोड़ रुपये कर दिया है. पिछले साल सरकार ने वाहन तथा वाहन कलपुर्जा क्षेत्र के लिए प़ीएलआई योजना की घोषणा की थी. इस योजना के तहत पांच साल में 57,043 करोड़ रुपये की राशि रखी गई थी.