चंडीगढ़: लोकसभा चुनाव 2019 में मिली हार के बाद राहुल गांधी ने कांग्रेस अध्यक्ष के पद से इस्तीफे की पेशकश की. तमाम कोशिशों और बैठकों के बावजूद राहुल गांधी अपने फैसले पर अडिग हैं. यही नहीं राहुल गांधी ने ट्विटर पर अपना प्रोफाइल चेंज करते हुए कांग्रेस अध्यक्ष की बजाय कांग्रेस सदस्य कर दिया है. चलिए नजर डालते हैं राहुल गांधी के पॉलिटिकल करियर पर.
राहुल गांधी का राजनितिक करियर
राहुल गांधी ने 2004 में पहली बार अपने पिता राजीव गांधी की संसदीय सीट अमेठी से चुनाव लड़ा और करीब 2 लाख वोटों से चुनाव जीता. इस चुनाव में राहुल गांधी का वोट शेयर 66 प्रतिशत रहा. इसके बाद कांग्रेस सत्ता में आई और केन्द्र में यूपीए की सरकार बनी.साल 2006 तक उन्होंने कोई पद ग्रहण नहीं किया। इस दौरान उन्होंने अमेठी और उत्तर प्रदेश के मुद्दों को अपनी राजनीति का विषय बनाया. 2006 में जब रायबरेली में दोबारा इलेक्शन हुआ तो राहुल ने अपनी बहन प्रियंका के साथ सोनिया के इलेक्शन को मैनेज किया.
इस चुनाव में सोनिया गांधी ने 4 लाख से अधिक वोटों से जीत दर्ज की. इसके बाद 2007 में हुए उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव प्रचार के दौरान वह प्रमुख चेहरा बनकर उभरे. हालांकि, पार्टी 403 में से केवल 22 सीटें ही जीत पाई.
यूथ रिफॉर्म की बात की और युवाओं को प्रेरित किया
इसके बाद 24 सितंबर 2007 को राहुल को अखिल भारतीय कांग्रेस समिति का महासचिव नियुक्त कर दिया गया. इसके साथ ही उन्हें युवा कांग्रेस और भारतीय राष्ट्रीय छात्र संघ का भी कार्यभार सौंपा गया. तब इन्होंने यूथ रिफॉर्म की बात की और युवाओं को राजनीति में आने के लिए प्रेरित किया. 2009 में हुए लोकसभा चुनाव के दौरान राहुल गांधी ने अमेठी से करीब 3 लाख 70 हजार वोटों से जीत दर्ज की. इस दौरान उन्होंने उत्तर प्रदेश में जोर-शोर से प्रचार किया और 125 रैलियों को संबोधित किया. नतीजतन पार्टी को प्रदेश की 80 सीटों में से 21 में जीत मिली और एक बार फिर से देश में कांग्रेस की सरकार बनी.
2013 में बने कांग्रेस उपाध्यक्ष
उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के दौरान साल 2012 में राहुल गांधी ने दो महीने के दौरान करीब 200 रैलियां कीं. हालांकि पार्टी इस बार भी कुछ खास नहीं कर सकी और उसे केवल 28 सीटों पर ही जीत मिली. 19 जनवरी 2013 को राहुल गांधी को कांग्रेस का उपाध्यक्ष बनाया गया
2014 में जीत का अंतर कम हुआ
2014 के लोकसभा चुनाव के दौरान राहुल ने एक बार फिर अमेठी से जीत दर्ज की. इस बार उनकी जीत का अंतर कम होकर 1 लाख 7 हजार ही रह गया था. 2014 में राहुल के सामने बीजेपी की स्मृति ईरानी और आम आदमी पार्टी के कुमार विश्वास थे. इस चुनाव में कांग्रेस देशभर में बुरी तरह हारी और उसे केवल 44 सीटों पर ही जीत मिली. जबकि, 2009 के चुनाव में पार्टी ने 206 सीटों पर जीत दर्ज की थी.
2017 में कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाए गए
11 दिसंबर 2017 में राहुल गांधी को भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का अध्यक्ष नियुक्त कर दिया गया. साल 2018 में कांग्रेस ने राजस्थान, छत्तीसगढ़ और मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव में जीत दर्ज की और तीनों राज्यों में सरकार बनाई.
2019 चुनाव में गंवाई अमेठी सीट
वहीं साल 2019 में हुए लोकसभा चुनाव में राहुल गांधी ने अमेठी और केरल की वायनाड सीट से चुनाव लड़ा. हालांकि अमेठी में बीजेपी की उम्मीदवार स्मृति ईरानी ने राहुल गांधी को करारी शिकस्त दी, जबकि केरल की वायनाड सीट से राहुल गांधी ने रिकॉर्ड जीत दर्ज की. फिलहाल लोकसभा चुनाव में हार की जिम्मेदारी लेते हुए राहुल गांधी ने कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया है.