हैदराबाद: कोरोना के दौर ने लोगों के अपनी हेल्थ के प्रति जागरूक किया है. लोग अब अपने स्वास्थय पर अधिक ध्यान देने लगे हैं. साथ ही ऐसी जीवन शैली को अपना रहे हैं, जिसमें बीमारी का खतरा कम हो. जैसे नियमित तौर से हाथ धोना, मास्क लगाना आदि. इस तरह कोरोना से बचेने के लिए लोग अतिरिक्त सावधानी बरतने लगे हैं. इसके बाद हेल्थ इंश्योरेंस के प्रति भी लोगों का नजरिया बदला है. वह अब इसे जरूरत की वस्तु मानने लगे हैं, इसलिए अब हेल्थ इंश्योरेंस लेने वालों की संख्या बढ़ी है. एक्सपर्ट का सुझाव है कि लोगों को जितनी जल्दी हो सके स्वास्थ्य बीमा ले लेना चाहिए, क्योंकि कम उम्र में पॉलिसी लेने से कई फायदे मिलेंगे. साथ ही इस पर आपका खर्च भी कम होगा.
कई युवा आज भी मानते थे कि हेल्थ इंश्योरेंस केवल बुजुर्ग व्यक्तियों के लिए है. लेकिन कोविड के दौर के बाद उनका यह विचार बदल गया है. अब उन्हें एसहसास हो गया है कि हेल्थ इंश्योरेंस की जरूरत किसी भी उम्र में हो सकती है. युवाओं को यह बात समझ में आई है कि जीवन अनिश्चित है. यदि वे बीमार पड़ते हैं तो उन्हें इलाज के लिए बड़ी रकम खर्च करनी पड़ेगी, इसलिए इसके लिए एक वैकल्पिक प्लानिंग होना जरूरी है.
आज के युवा फाइनैंशियल मैनेजमेंट में अच्छे हैं. उन्हें पता है कि कम उम्र में हेल्थ इंश्योरेंस खरीदने से उन्हें इमरजेंसी मेडिकल स्थिति में भारी वित्तीय बोझ से बचने में मदद मिल सकती है. किसी मेडिकल इमरजेंसी से उनकी लाइफस्टाइल गड़बड़ा सकती है. इसलिए 30 साल की उम्र तक पहुंचते ही मेडिकल हेल्थ इंश्योरेंस लेना जरूरी है. इसके बाद भी यदि आप सोच रहे हैं कि आपको इसे कम उम्र में क्यों लेना चाहिए, तो इसके कई कारण हैं.
कम प्रीमियम (Low premium) : किसी भी हेल्थ इंश्योरेंस के प्रीमियम के लिए उम्र मायने रखता है. आप जितने कम उम्र में हेल्थ पॉलिसी खरीदेंगे, आपकी प्रीमियम फीस भी कम होगी. 30 साल पार करने पर प्रीमियम बढ़ जाएगा. यदि आपकी उम्र 20 की है और अगर आपको लगता है कि आप स्वस्थ हैं फिर भी हेल्थ इंश्योरेंस खरीदने का यह सही समय है. जब इंश्योरेंस खरीदने वाले की कोई गंभीर बीमारी नहीं होती है तो प्रीमियर का दर कम रहता है.
वेटिंग पीरियड (Waiting period) : हर हेल्थ इंश्योरेंस कंपनी की स्कीम में एक वेटिंग पीरियड होता है. इस दौरान वह पुरानी बीमारियों और कुछ खास तरह के रोग के इलाज का खर्च नहीं उठाते हैं. अधिकतर हेल्थ इंश्योरेंस स्कीम में पहले से मौजूद बीमारियों में एक साल से दो साल तक वेटिंग पीरियड होता है. इसके अलावा कई बीमारियों के लिए यह अवधि चार साल तक होती है. अगर आप जरूरत के समय हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी खरीदेंगे तो भी ऐसी वेटिंग पीरियड की कैटिगरी में शामिल बीमारियों के लिए इलाज के लिए पैसा नहीं मिलेगा. कंपनियां वेटिंग पीरियड कम नहीं करती हैं. इसलिए आप जीवन में जितनी जल्दी हेल्थ इंश्योरेंस करवाएंगे, इमरजेंसी की स्थिति में वह उतना ही उपयोगी होगी.
जीवनशैली से जुड़ी बीमारियां (Lifestyle diseases) : आज के युवा प्रदूषण के बढ़ते स्तर के अलावा, टेंशन और लाइफस्टाइल से जुड़ी बीमारियों से भी जूझ रहे हैं. ये सारे कारण युवाओं की हेल्थ पर प्रभाव डाल रहे हैं. इसका नतीजा यह है कि कम उम्र में ही लोग हृदय रोग के अलावा कई अन्य बीमारियों से पीड़ित हो रहे हैं. आज के युवा इन सब के लिए तैयार रहें. हेल्थ इंश्योरेंस लेकर वे भविष्य के मेडिकल खर्चों और इमजरेंसी से निपटने के लिए निवेश कर सकते हैं.
बेहतर फाइनैंशियल प्लानिंग (Better financial planning) : युवाओं को 20 से 30 की उम्र के बीच हेल्थ पॉलिसी ले लेना चाहिए. यह बेहतर फाइनैंशियल प्लानिंग का एक तरीका है. बेहतर फाइनैंशियल प्लानिंग से युवा अपनी जीवन का भरपूर आनंद उठा सकेंगे. युवाओं को उन खतरों के बारे में समझना जरूरी है, जो बिना किसी चेतावनी के जीवन में आ जाते हैं. यदि आपके पास पर्याप्त हेल्थ कवरेज है, तो आप बिना किसी चिंता के जीवन जी सकते हैं.
यदि आपके पास एक बेहतर हेल्थ इंश्योरेंस स्कीम है तो जरूरत के समय इलाज के लिए पैसे के इंतजाम में समय बर्बाद करने की जरूरत नहीं होगी. हेल्थ केयर की बढ़ती लागत को देखते हुए हेल्थ इंश्योरेंस की बेहतर स्कीम को चुनना भी जरूरी है. आप ऐसे हेल्थ इंश्योरेंस खरीदें, जिसमें सभी बड़ी बीमारियों को कवर किया जाता है. भारत और विदेशों में भी 50 लाख रुपये से लेकर 3 करोड़ रुपये तक की कवरेज वाली स्कीम उपलब्ध हैं. ये हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी अत्याधुनिक इलाज की सुविधा भी प्रदान करती हैं. ये उम्र के हर मोड़ पर आने वाली स्वास्थ्य जरूरतों को पूरा करती हैं.
मणिपाल सिग्मा हेल्थ इंश्योरेंस की मार्केटिंग हेड, डिजिटल सेल्स, सपना देसाई का कहना है कि प्रीमियम प्लान लॉयल्टी छूट के साथ-साथ इंश्योर्ड बेस वैल्यू पर असीमित लाभ भी देती है. आप जितनी जल्दी आप बीमा खरीदते हैं, उतना ही अधिक लाभ होगा. फिर इश्योरेंस पॉलिसी खरीदने में देरी क्यों?
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