नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली हाईकोर्ट के उस फैसले पर रोक लगा दी, जिसमें कहा गया था कि केंद्रीय अर्धसैनिक बलों (सीएपीएफ) में पुरानी पेंशन योजना (ओपीएस) लागू की जाएगी. शीर्ष कोर्ट के इस फैसले से केंद्रीय अर्धसैनिक बलों (सीएपीएफ) के लाखों जवानों का सपना टूट गया है.
न्यायमूर्ति संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति बेला एम त्रिवेदी की पीठ ने दिल्ली हाईकोर्ट के आदेश के क्रियान्वयन पर रोक लगा दी. साथ ही पीठ ने उच्च न्यायालय के 11 जनवरी, 2023 के फैसले को चुनौती देने वाली केंद्र की याचिका पर फरवरी 2024 तक जवाब देने को कहा. अदालत ने मामले की अगली सुनवाई फरवरी 2024 में तय की है. पीठ ने कहा, 'उस सीमा तक आक्षेपित फैसले के क्रियान्वयन पर रोक रहेगी, जिसमें यह निर्देश दिया गया है कि पुरानी पेंशन योजना अर्ध-सैन्य बलों पर लागू होगी.'
ये थी याचिका : याचिकाकर्ताओं का मुख्य तर्क यह था कि उन्हें सीसीएस (पेंशन) नियम, 1972 के अनुसार अक्टूबर 2004 से 2005 तक सहायक कमांडेंट के पद पर नियुक्ति की पेशकश की गई थी. सरकार दिसंबर 2003 में एक अधिसूचना लेकर आई और जनवरी 2004 से नई अंशदायी पेंशन योजना (एनपीएस) लागू की गई. हालांकि, उक्त योजना सशस्त्र बलों पर लागू नहीं थी. याचिकाकर्ताओं का तर्क था कि जो लोग सरकार की प्रशासनिक देरी के कारण एनपीएस लागू होने के बाद नियुक्त हुए, उन्हें ओपीएस का लाभ मिलना चाहिए.
केंद्र की ओर से ये दिया गया तर्क : इस मामले में केंद्र सरकार की ओर से तर्क दिया गया कि केवल वे लोग जिनके परिणाम 1.1.2004 से पहले घोषित किए गए थे, ओपीएस के अंतर्गत आते हैं. पेंशन और पेंशनभोगी कल्याण विभाग द्वारा जारी 17 फरवरी 2020 को जारी पत्र में उल्लेख किया गया है कि ऐसे मामलों में जहां भर्ती के लिए अंतिम परिणाम 31 दिसंबर 2003 को या उससे पहले होने वाली रिक्तियों के खिलाफ 01 जनवरी 2004 से पहले घोषित किया गया था, केवल वे उम्मीदवार ओपीएस के लिए पात्र होंगे.
सीसीएस (पेंशन) नियम, 1972 के तहत तर्क दिया कि चूंकि याचिकाकर्ता अधिसूचना के लागू होने के बाद सेवाओं में शामिल हुए, ऐसे में वह सीसीएस (पेंशन) नियम, 1972 के तहत ओपीएस के हकदार नहीं थे.
दिल्ली हाईकोर्ट ने ये दिया था आदेश : याचिकाओं का समूह सीआरपीएफ, सीआईएसएफ और आईटीबीपी जैसे विभिन्न बलों के कर्मचारियों द्वारा दायर किया गया था. याचिकाकर्ताओं ने कहा कि सीआरपीएफ भारत संघ का एक सशस्त्र बल है, ओपीएस को सेना, नौसेना और वायु सेना की तरह लागू किया जाना चाहिए.
याचिका में कहा गया था, 'गृह मंत्रालय के तहत आने वाले बलों को पुरानी पेंशन योजना से बाहर करना भेदभावपूर्ण और समानता के सिद्धांतों का उल्लंघन है.' इस पर इसी साल जनवरी में दिल्ली हाईकोर्ट ने 82 याचिकाओं पर फैसले में कहा था कि सीएपीएफ में जो लोग भर्ती थे और जिनकी आने वाले समय में भर्ती होगी, वे सभी पुरानी पेंशन स्कीम के दायरे में आएंगे. 11 जनवरी 2023 को हाईकोर्ट ने आठ सप्ताह के भीतर इसे लागू करने को कहा था. हालांकि हाईकोर्ट के इस फैसले पर केंद्र सरकार ने स्थगन ले लिया है.
इसलिए पंसा है पेंशन का पेंच : दरअसल केंद्र सरकार केंद्रीय अर्धसैनिक बलों को सशस्त्र बल नहीं मान रही थी. ओल्ड पेंशन स्कीम का मुद्दा भी इसी लिए फंसा. जनवरी 2024 के बाद केंद्र सरकार की नौकरियों में भर्ती हुए कर्मियों को पुरानी पेंशन स्कीम से बाहर कर नई पेंशन स्कीम में शामिल किया गया था. तब सरकार ने तर्क दिया था कि आर्मी, नेवी और एयरफोर्स ही सशस्त्र बल हैं. हालांकि 2024 में लोकसभा चुनाव है, ऐसे में विपक्षी पार्टियां इसे मुद्दा बनाने से नहीं चूकेंगी.
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(एक्स्ट्रा इनपुट एजेंसी)