नई दिल्ली : उच्चतम न्यायालय ने गुजरात में एक रेल लाइन परियोजना के लिए करीब 5,000 झुग्गियों को हटाए जाने पर यथास्थिति बनाए रखने का अधिकारियों को निर्देश देने संबंधी अंतरिम आदेश बुधवार को एक सितंबर तक के लिए बढ़ा दिया.
प्रधान न्यायाधीश एन वी रमण की अध्यक्षता वाली पीठ ने मंगलवार को 25 अगस्त तक यथास्थिति बनाए रखने का आदेश दिया था. इससे पहले यह मामला तत्काल सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया गया था.
यह मामला बुधवार को न्यायमूर्ति ए एम खानविलकर और न्यायमूर्ति संजीव खन्ना की पीठ के समक्ष सुनवाई के लिए आया. अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल के एम नटराज ने पीठ से कहा कि वह प्राधिकरण से निर्देश लेने की प्रक्रिया में हैं और मामले की दो दिन बाद सुनवाई हो सकती है. उन्होंने कहा कि इस बीच मामले में पारित अंतरिम आदेश कायम रह सकता है.
मामले में पेश हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि वह भी यही अनुरोध कर रहे हैं. पीठ ने कहा, 'सॉलिसिटर जनरल के अनुरोध के अनुसार, मामले को एक सितंबर को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध करें. तब तक अंतरिम आदेश जारी रहेगा.'
याचिकाकर्ता की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता कॉलिन गोंजाल्विस ने कल प्रधान न्यायाधीश के समक्ष इस मामले को तत्काल सूचीबद्ध करने का उल्लेख किया था. उन्होंनेेन्यायालय से कहा था कि गुजरात उच्च न्यायालय के 19 अगस्त के आदेश के अनुपालन में, अधिकारी मंगलवार को ही झुग्गियों गिराने और वहां रह रहे करीब 10,000 लोगों को हटाने का काम शुरू करने जा रहे हैं.
पीठ ने यथास्थिति बनाये रखन का आदेश देते हुए निर्देश दिया था कि मामले को बुधवार को उचित पीठ के समक्ष सूचीबद्ध किया जाए.
गोंजाल्विस ने पीठ से कहा था कि उच्च न्यायालय ने यथास्थिति बनाए रखने के 23 जुलाई 2014 के अपने अंतरिम आदेश को हटा लिया था और पश्चिम रेलवे को सूरत-उधना से जलगांव के बीच तीसरी रेलवे लाइन परियोजना के लिए अनुमति दे दी थी.
(पीटीआई भाषा)