चंडीगढ़: आय से अधिक संपत्ति मामले में दोषी (Om Prakash Chautala Disproportionate assets case) हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री ओम प्रकाश चौटाला अब उसी तिहाड़ जेल पहुंच गए हैं जहां से वो 10 साल की सजा काटकर पिछले साल ही लौटे थे. दरअसल दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट ने आय से अधिक संपत्ति के मामले में ओपी चौटाला को 4 साल की सजा (Om Prakash Chautala Sentenced) सुनाई है. इसके अलावा 50 लाख जुर्माना और 4 संपत्तियां सीज करने के आदेश भी कोर्ट (former haryana cm sentenced to 4 years jail) ने दिए हैं. सीबीआई कोर्ट के फैसले के बाद चौटाला को कोर्ट परिसर से ही हिरासत में ले लिया गया. यहां से उन्हें उसी तिहाड़ जेल (OP Chautala in Tihar) ले जाया गया, जहां वो जेबीटी भर्ती घोटाले की सजा काट चुके हैं.
आय से अधिक संपत्ति जुटाने के दोषी- ओम प्रकाश चौटाला के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति जुटाने के (OP Chautala disproportionate assets case) आरोप में सीबीआई ने साल 2010 में चार्जशीट दायर की थी. आय से अधिक संपत्ति का मामला कांग्रेसी नेता शमशेर सिंह सुरजेवाला की शिकायत पर CBI ने 2005 में दर्ज किया था. CBI ने आरोप पत्र दाखिल किया था कि निर्धारित अवधि के दौरान ओपी चौटाला की आय उनकी 3.22 करोड़ रुपए की आय से 189 प्रतिशत अधिक थी. साल 1993 से 2006 के बीच उन्होंने आय से करीब 6 करोड़ रुपये अधिक की संपत्ति जुटाई. गौरतलब है कि इस दौरान साल 1999 से 2005 के बीच ओम प्रकाश चौटाला हरियाणा के मुख्यमंत्री थे.
मनी लॉन्ड्रिंग के आरोप में दर्ज FIR के बाद प्रवर्तन निदेशालय ने भी कार्रवाई की थी. प्रवर्तन निदेशालय ने ओम प्रकाश चौटाला दिल्ली, पंचकूला और सिरसा में 3.68 करोड़ की संपत्ति भी जब्त की थी. इसमें फ्लैट और प्लॉट से लेकर जमीन शामिल थी. इस मामले में बीती 21 मई को कोर्ट ने चौटाला को (Om Prakash Chautala in DA case) दोषी करार दिया था और शुक्रवार को ओपी चौटाला को सजा सुना दी गई.
अर्श से फर्श पर चौटाला- ओम प्रकाश चौटाला (Om Prakash Chautala) हरियाणा की सियासत का बड़ा नाम है. सियासत के अर्श से तिहाड़ का फर्श पर पहुंचने तक उनकी लंबी कहानी है. इस कहानी में वो दूसरी बार तिहाड़ पहुंच चुके हैं. हरियाणा में कभी जिस ओम प्रकाश चौटाला की तूती बोलती थी वो पिछले करीब एक दशक तिहाड़ जेल में रहा. वैसे ओम प्रकाश चौटाला पर इस तरह के आपराधिक आरोप नए नहीं है, उनका सियासी करियर ऐसे आरोपों से घिरा हुआ है.
ओपी चौटाला का सियासी कद- 1 जनवरी 1935 को सिरसा जिले के चौटाला गांव में ओपी चौटाला का जन्म हुआ. उनके पिता चौधरी देवी लाल हरियाणा के मुख्यमंत्री और देश के उप प्रधानमंत्री रहे. घर में राजनीति का माहौल था, जिसने उनकी आगे की जिंदगी का सफर भी पहले ही तय कर दिया था. पढ़ाई बीच में छोड़कर उन्होंने पिता के नक्शे कदम पर चलने का फैसला ले लिया था. ओम प्रकाश चौटाला का नाम हरियाणा के कद्दावार नेताओं में शुमार हैं. वो अपने पिता की तरह ही हरियाणा के मुख्यमंत्री रह चुके हैं. वो 7 बार विधायक रहे और 5 बार हरियाणा के मुख्यमंत्री बने. मौजूदा वक्त में वो हरियाणा की क्षेत्रीय पार्टी इंडियन नेशनल लोकदल (इनेलो) के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं.
सिर्फ एक बार सीएम का कार्यकाल पूरा किया- ओपी चौटाला भले 4 बार हरियाणा के मुख्यमंत्री रहे हों लेकिन वो सिर्फ एक बार ही कार्यकाल पूरा कर पाए. चौटाला की इंडियन नेशनल लोकदल ने साल 2000 में पूर्ण बहुमत की सरकार बनाई जो पूरे 5 साल चली और ओपी चौटाला इस दौरान मुख्यमंत्री रहे.
वैसे 1989 से 1991 के बीच एक वक्त ऐसा भी आय जब डेढ साल से कम के वक्त में वो 3 बार मुख्यमंत्री बन गए. दिसंबर 1989 में जब चौधरी देवीलाल देश के उप प्रधानमंत्री बने तो उन्होंने अपने बेटे ओपी चौटाला को बिना विधायक बने ही हरियाणा का मुख्यमंत्री बनवा दिया. देवीलाल की महम विधानसभा सीट खाली हुई तो 27 फरवरी 1990 को उपचुनाव के दौरान बूथ कैप्चरिंग से लेकर फायरिंग जैसी घटनाएं हुई जिसमें 8 लोगों की जान भी चली गई. जिसके बाद चुनाव रद्द हो गया.
बिना विधायक चुने बने रहे मुख्यमंत्री- करीब 3 महीने बाद 21 मई 1990 को महम सीट पर फिर उपचुनाव होना था लेकिन एक उम्मीदवार की हत्या हो गई. जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने रिटायर्ड जज से मामले की जांच करवाई गई. केंद्र सरकार और उपप्रधानमंत्री देवीलाल पर दबाव बढ़ा तो ओम प्रकाश चौटाला का इस्तीफा दिलाया गया. 172 दिन मुख्यमंत्री रहने के बाद चौटाला ने इस्तीफा दिया, खास बात ये है कि इस दौरान वो बिना विधायक चुने ही मुख्यमंत्री बने रहे.
कभी 5 दिन तो कभी 15 दिन के सीएम- इसके बाद जनता दल ने बनारसी दास को मुख्यमंत्री बनाया लेकिन वो सिर्फ 51 दिन सीएम रहे, 12 जुलाई 1990 को चौटाला फिर से सीएम की कुर्सी पर बैठ गए. कांग्रेस ने फिर से महम कांड को उठाया तो चौटाला को सिर्फ 5 दिन बाद 17 जुलाई को ही इस्तीफा देना पड़ा. 17 जून को हुकुम सिंह ने सीएम की कुर्सी संभाली लेकिन 248 दिन बाद चौटाला ने उन्हें कुर्सी से हटाकर फिर से 22 मार्च 1990 को मुख्यमंत्री बन गए. फिर विरोध हुआ तो 15 दिन बाद 5 अप्रैल को कुर्सी छोड़ दी. जिसके बाद हरियाणा में राष्ट्रपति शासन लग गया.
घड़ियों की स्मगलिंग पर पिता ने किया था घर से बेदखल- जानकार अजीब लगेगा लेकिन ये सच है कि जो शख्स किसी सूबे का मुख्यमंत्री रहा है. वो कभी घड़ियों की स्मगलिंग करता था. कहते हैं कि किसी जमाने में ओपी चौटाला घड़ियों की स्मगलिंग किया करते थे. स्मगलिंग करते हुए उन्हें दिल्ली एयरपोर्ट पर गिरफ्तार किया गया था. जिसके बाद उनके पिता चौधरी देवीलाल ने उन्हें घर से बेदखल कर दिया था. वैसे ये भी हैरानी की बात है कि जिस पिता ने बेटे को घड़ियों की स्मगलिंग करने पर घर से बेदखल कर दिया था. केंद्र सरकार में उप प्रधानमंत्री बनने पर उसी बेटे को हरियाणा के मुख्यमंत्री की गद्दी सौंप दी थी.
जेबीटी भर्ती घोटाले में काट चुके हैं सजा- साल 2013 में हरियाणा के जेबीटी भर्ती घोटाले में ओम प्रकाश चौटाला, उनके बेटे अजय चौटाला समेत कुछ अन्य नेताओं और अधिकारियों को दोषी पाया गया था. कोर्ट ने ओपी चौटाला और अजय चौटाला को 10-10 साल की सजा सुनाई थी. ओपी चौटाला पर साल 2000 में करीब 3200 टीचर्स को गैर-कानूनी तरीके से भर्ती का आरोप लगा थाय कोर्ट ने उन्हें इस मामले में भ्रष्टाचार और आपराधिक साजिश का दोषी करार दिया था.
जेबीटी भर्ती घोटाला और उसका खुलासा- साल 2000 में हरियाणा में 3206 जेबीटी टीचर्स के जिस मामले में चौटाला सजा काट चुके हैं उसकी पठकथा उनके मुख्यमंत्री रहते ही लिखी गई थी. मामले की चार्जशीट के मुताबिक 3206 जूनियर बेसिक ट्रेंड टीचर्स की नियुक्ति (JBT Recruitment) में ओम प्रकाश चौटाला और अजय चौटाला (Om prakash and ajay chautala) ने फर्जी दस्तावेजों का इस्तेमाल किया था. नियुक्तियों की दूसरी लिस्ट 18 जिलों की चयन समिति के सदस्यों और अध्यक्षों को हरियाणा भवन और चंडीगढ़ के गेस्ट हाउस में बुलाकर तैयार कराई गई. इसमें जिन अयोग्य उम्मीदवारों से पैसा मिला था. उनके नाम योग्य उम्मीदवारों की सूची में डाल दिए गए थे.
जेबीटी भर्ती घोटाले को अंजाम देने के लिए साल 1985 बैच के आईएएस अधिकारी संजीव कुमार को शिक्षा विभाग का निदेशक बनाया गया था. मामले के मुताबिक परीक्षा के बाद योग्य उम्मीदवारों की जो सूची बनी उनमें संजीव कुमार के उम्मीदवार भी थे. जब नतीजे घोषित करने की बारी आई तो अजय चौटाला और तत्कालीन विधायक शेर सिंह बडशामी ने संजीव कुमार को धमकाते हुए उनके उम्मीदवारों के नाम सूची से काटकर नई सूची बनवाई और नतीजे घोषित करने को कह दिया. यहीं से घोटाले का खुलासा होना शुरू हो गया.
संजीव कुमार ने खोल दी पोल- खुद को ठगा महसूस होने पर संजीव कुमार 2003 में सुप्रीम कोर्ट गए, उन्होंने याचिका दायर करके योग्य और अयोग्य उम्मीदवारों की दो सूचियां पेश कीं. सूत्रों के मुताबिक जब मामले की सुनवाई सुप्रीम कोर्ट में चल रही थी तो संजीव कुमार के कार्यालय में आग लग गई और उसमें उम्मीदवारों की सूची सहित जेबीटी भर्ती का काफी रिकॉर्ड जल गया. याचिका पर सुनवाई के बाद मामले की सीबीआई जांच का आदेश दिए गए. हालांकि मामले का खुलासा करने वाले संजीव कुमार सीबीआई जांच में खुद भी दोषी पाए गए.
कोर्ट ने 55 लोगों को ठहराया था दोषी- ओम प्रकाश चौटाला और उनके बेटे अजय चौटाला के अलावा प्राथमिक शिक्षा के पूर्व निदेशक संजीव कुमार, चौटाला के पूर्व ओएसडी विद्या धर और दिल्ली कोर्ट ने हरियाणा के पूर्व सीएम के राजनीतिक सलाहकार शेर सिंह बाड़शामी को दोषी ठहराया. कोर्ट ने माना कि ओपी चौटाला के इशारे पर ही आरोपियों ने पूरे घोटाले को अंजाम दिया. चौटाला ने संजीव कुमार को प्राथमिक शिक्षा निदेशक नियुक्त करते हुए उनसे नियुक्तियों की पहले से तैयार सूची को बदलकर दूसरी सूची तैयार करने को कहा था. कोर्ट ने कुल 55 लोगों को दोषी करार दिया था. जिनमें 16 महिलाएं शामिल थीं. कुल मिलाकर मामले में 62 आरोपी थे, 6 की मुकदमे की सुनवाई के दौरान मौत हुई और एक को अदालत ने बरी कर दिया था.
वक्त से पहले हुई थी रिहाई- जेबीटी भर्ती घोटाले (JBT recruitment scam) में ओम प्रकाश चौटाला जुलाई 2021 में तिहाड़ जेल से रिहा हुए थे. 10 साल की सजा पाने वाले हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री ओम प्रकाश चौटाला सजा पूरी होने से 6 महीने पहले रिहा कर दिए गए. इसकी वजह थी दिल्ली सरकार का एक फैसला जिसमें कहा गया था कि जिन कैदियों को 10 साल की सजा मिली हो और 6 महीने या उससे कम की सजा बाकी हो तो उन्हें रिहा कर दिया जाएगा. दिल्ली सरकार की यही छूट ओपी चौटाला के लिए भी फायदेमंद साबित हुई. चौटाला ने लगभग साढे 8 साल का वक्त तिहाड़ जेल में बिताया है और आखिर साल में वो पैरोल पर चल रहे थे.
जेल में रहकर की थी 10वीं और 12वीं- ओम प्रकाश चौटाला ने जेल में रहने के दौरान ही स्कूली पढ़ाई पूरी की है. जेबीटी भर्ती घोटाले की सजा काटने के दौरान चौटाला ने जेल से ही 10वीं और 12वीं की परीक्षाएं दी थी और अच्छे अंकों से पास भी की थी. बीते दिनों अभिषेक बच्चन स्टारर फिल्म दसवीं की पटकथा ओम प्रकाश चौटाला के जीवन से ही प्रेरित बताई जाती है. फिल्म अभिषेक बच्चन का किरदार राज्य का मुख्यमंत्री है और जेल में रहते हुए 10वीं की परीक्षा पास करता है.
चौटाला परिवार- ओपी चौटाला के बेटे अजय चौटाला और अभय चौटाला भी हरियाणा की राजनीति में एक्टिव हैं. दोनों भाईयों के बीच फूट पड़ने के बाद परिवार और पार्टी भी अलग हो चुकी है. फिलहाल अभय चौटाला इंडियन नेशनल लोकदल के इकलौते विधायक हैं. अभय चौटाला पहले भी ऐलनाबाद से विधायक रह चुके हैं. अभय चौटाला के बेटे करण और अर्जुन चौटाला भी राजनीति में ही हैं.
ओपी चौटाला के बड़े बेटे अजय चौटाला भी इनेलो से विधायक, लोकसभा सांसद और राज्यसभा सांसद रह चुके हैं. अजय चौटाला के बेटे दुष्यंत चौटाला ने जननायक जनता पार्टी बनाकर बीते विधानसभा चुनाव में 10 सीटें जीतकर बीजेपी को समर्थन दिया. दुष्यंत चौटाला मौजूदा वक्त में हरियाणा के डिप्टी सीएम हैं. दुष्यंत चौटाला इससे पहले हिसार लोकसभा सीट से सांसद रह चुके हैं. वहीं उनकी मां और अजय चौटाला की पत्नी नैना चौटाला भी जेजेपी की विधायक हैं. वो इससे पहले इनेलो से विधायक थीं. वैसे अजय चौटाला और अभय चौटाला के खिलाफ भी आय से अधिक संपत्ति मामला कोर्ट में लंबित है.
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