नूंह हिंसा के आरोपी बिट्टू बजरंगी की जमानत याचिका पर शुक्रवार को जिला अतिरिक्त एवं सत्र न्यायाधीश संदीप कुमार दुग्गल की अदालत में सुनवाई हुई. जिसके बाद बट्टू बजरंगी के वकीलों ने उसकी जमानत अर्जी को वापस ले लिया है. ये जानकारी बिट्टू बजरंगी के सीनियर अधिवक्ता एलएन पाराशर ने दी. बिट्टू बजरंगी के अधिवक्ता एलएन पाराशर ने बताया कि बिट्टू बजरंगी की शुक्रवार को एडीजे नूंह की कोर्ट में जमानत याचिका लगाई गई थी.
इस मामले में कोर्ट में सुनवाई भी हुई, लेकिन कस्टडी कम होने और बेल अर्जी जल्दी लगाने के बाद न्यायाधीश ने वकीलों से जमानत याचिका वापस लेने को कहा. सरकारी वकील ने भी जमानत का विरोध किया. जिसके चलते जमानत अर्जी को वापस ले लिया गया. मामले में अगली सुनवाई 31 अगस्त को होगी. 14 दिन की न्यायिक हिरासत पूरी होने के बाद बिट्टू बजरंगी को अदालत में पेश किया जाएगा.
बिट्टू बजरंगी के वकीलों ने कहा कि अब उनकी जमानत 31 अगस्त को नहीं लगाई जाएगी. उनकी जमानत याचिका सितंबर महीने में लगाई जाएगी. सोमदत्त शर्मा एडवोकेट ने कहा कि 15 अगस्त को जिस समय बिट्टू बजरंगी की गिरफ्तारी हुई थी. उस समय हमने अर्जी लगाई थी कि नूंह जेल में माहौल खराब है और बिट्टू बजरंगी की जान को खतरा है, इसलिए बिट्टू बजरंगी को नीमका फरीदाबाद की जेल में रखा जाए.
बिट्टू बजरंगी के तीन वकीलों सोमदत्त शर्मा, एलएन पाराशर और अमित जाजूका ने बिट्टू बजरंगी को शुक्रवार को बेल दिलाने के लिए अर्जी लगाई थी. कोर्ट बहस के बाद भी उनकी दलील पर कोर्ट ने गौर नहीं किया. कोर्ट के सख्त रुख के चलते वकीलों को जमानत अर्जी वापस लेनी पड़ी. बता दें कि 31 जुलाई को नूंह में ब्रजमंडल यात्रा के दौरान दो समुदाय आमने सामने हो गए थे, जिसके बाद हिंसा भड़क गई. बिट्टू बजरंगी और मोनू मानेसर पर हिंसा भड़काने का आरोप है.