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Watch : चीनी फंडिंग मुद्दे पर भाजपा ने राहुल और कांग्रेस को घेरा, अमेरिकी कारोबारी से जुड़ा जानिए क्या है ये पूरा मामला - BJP slams Congress

भाजपा ने न्यूज क्लिक में चीनी फंडिंग मुद्दे पर सोमवार को सदन के अंदर और बाहर, दोनों जगहों पर कांग्रेस को आड़े हाथों लिया. भाजपा ने कहा कि भारत विरोधी अभियान में शामिल न्यूजक्लिक मुद्दे पर राहुल गांधी को जवाब देना चाहिए. जानिए क्या है ये पूरा मामला जिस पर भाजपा इतनी हमलावर है.

News Click Issue
चीनी फंडिंग मुद्दे पर घिरे राहुल
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Published : Aug 7, 2023, 3:52 PM IST

Updated : Aug 7, 2023, 4:21 PM IST

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नई दिल्ली : न्यूज क्लिक में चीनी फंडिंग मुद्दे पर भाजपा ने कांग्रेस और राहुल गांधी पर जमकर निशाना साधा है. महीनों बाद संसद पहुंचे कांग्रेस सांसद राहुल गांधी की मौजूदगी में बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे ने लोकसभा में यह मुद्दा उठाया. वहीं, केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर निशाना साधा.

लोकसभा में इस मुद्दे पर आक्रामक बीजेपी ने सोमवार को द न्यूयॉर्क टाइम्स (NYT) की रिपोर्ट का हवाला देते हुए आरोप लगाया कि न्यूज क्लिक को दुनिया भर में देश के राजनीतिक एजेंडे को बढ़ावा देने के लिए चीनी फंडिंग मिली है. भाजपा सांसद ने आरोप लगाया कि 2004 और 2014 के बीच 'जब भी भारत को परेशानी का सामना करना पड़ा' कांग्रेस को चीन से पैसा मिला.

दुबे ने लोकसभा में कहा, 'NYT ने कहा है कि न्यूज़ क्लिक को 38 करोड़ रुपये का भुगतान किया गया है. NYT ने न्यूज क्लिक पर ईडी की छापेमारी का जिक्र किया है. कैसे पैसा नक्सलवादियों को दिया गया और कैसे चीनी पैसा कुछ लोगों को भारत के खिलाफ माहौल तैयार करने के लिए दिया गया. 2004 से 2014 के बीच जब भी भारत को परेशानी का सामना करना पड़ा, चीनी सरकार ने कांग्रेस को पैसा दिया, जिसका एफसीआरए लाइसेंस भारत सरकार ने रद्द कर दिया था.'

उन्होंने आरोप लगाया कि कांग्रेस चीनियों के साथ मिलकर देश को 'बर्बाद' करना चाहती है. दुबे ने कहा कि '2008 में, जब ओलंपिक आयोजित किया गया था, कांग्रेस, सोनिया गांधी, राहुल गांधी को बुलाया गया था. 2017 में जब डोकलाम मुद्दा था, तो वह (राहुल गांधी की ओर इशारा करते हुए) चीनियों से मिल रहे थे और उनसे बातचीत कर रहे थे. वे नेहरू की 'हिंदी-चीनी भाई-भाई' की नीति का प्रचार करना चाहते हैं. कांग्रेस चीनियों के साथ मिलकर देश को बर्बाद करना चाहती है.' दुबे ने सरकार से सभी चीनी फंडिंग की जांच करने का आग्रह किया है.

  • #WATCH | In 2021, we exposed NewsClick as to how foreign propaganda is against India. In this anti-India campaign, Congress and other opposition parties came in their support... Chinese companies were funding NewsClick through Mogul Neville Roy Singham but their salesmen were… pic.twitter.com/9ACdyYLj3A

    — ANI (@ANI) August 7, 2023 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data=" ">

अनुराग ठाकुर बोले, राहुल की 'नकली मोहब्बत की दुकान' में चीनी सामान : वहीं, केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर ने सोमवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस कर न्यूज क्लिक में चीनी फंडिंग मुद्दे पर कांग्रेस और उसके नेता राहुल गांधी पर निशाना साधा. अनुराग ठाकुर ने आरोप लगाया कि संगठन के माध्यम से भारत विरोधी, 'भारत तोड़ो' अभियान चलाया जा रहा है.

उन्होंने कहा, 'चीन नेविल रॉय सिंघम को फंड देता है. उसका चीनी प्रोपेगेंडा से सीधा संबंध है.' उन्होंने कहा, 'कांग्रेस, चीन और न्यूज़क्लिक का कनेक्शन है. राहुल गांधी की 'नकली मोहब्बत की दुकान' में चीनी सामान स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है. चीन के प्रति उनका प्रेम देखा जा सकता है. वे भारत विरोधी एजेंडा चला रहे थे.'

ठाकुर ने आरोप लगाया कि कंपनी के भारत में 'सेल्समैन' थे जो 'चीनी वित्त पोषित कंपनी' के खिलाफ कार्रवाई होने पर उसके समर्थन में आए थे. उन्होंने कहा कि 'जब हमने इस मुद्दे को उठाया था तो कांग्रेस और उसके सहयोगी न्यूज़क्लिक के समर्थन में आए थे. उनका कहना था कि भारत सरकार प्रेस की आज़ादी के खिलाफ काम कर रही है. चीनी कंपनियां मुगल नेविल रॉय सिंघम के माध्यम से न्यूज़क्लिक को फंडिंग कर रही थीं लेकिन उनके सेल्समैन भारत के कुछ लोग थे, जो उनके खिलाफ कार्रवाई होने पर उनके समर्थन में आ गए.'

मंत्री ने कहा कि यह गलत सूचना के खिलाफ युद्ध है और यह जारी रहना चाहिए. उन्होंने कहा कि 'क्या कांग्रेस पार्टी सत्ता के लिए इतनी गिर जाएगी कि वे न्यूज़क्लिक के लिए खड़े हो जाएंगे? मैं राहुल गांधी से पूछना चाहता हूं कि जब विदेशी मीडिया हाउस ने पूरी दुनिया के सामने दुष्प्रचार और एजेंडे को उजागर किया है, तो क्या राहुल गांधी देश को जवाब देंगे? न्यूज़क्लिक आपके द्वारा की गई उच्च-स्तरीय बैठकों का हिस्सा था?'

ईडी की जांच में हुआ था खुलासा : दरअसल करीब दो साल पहले ईडी की जांच में खुलासा हुआ था कि मीडिया पोर्टल न्यूजक्लिक को विदेशों से लगभग 38 करोड़ रुपये की फंडिंग मिली थी. अमेरिकी करोड़पति नेविल रॉय सिंघम ने लगातार न्यूजक्लिक को फंडिंग दी थी. नेविल पर चीन की कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीसी) के साथ संबंध के आरोप लगते रहे हैं. ईडी की जांच में पता चला कि तीन साल में न्यूज क्लिक को 38 करोड़ रुपये की फंडिंग मिली थी. आरोप है कि इसे तीस्ता सीतलवाड़ समेत कई लोगों में बांटा गया था.

मनी ट्रेल : प्रवर्तन निदेशालय ने नेविल रॉय सिंघम से जुड़े समूहों को दान में करोड़ों डॉलर का पता लगाया है. भारत एकमात्र देश नहीं है जिसे सिंघम के नेटवर्क से फंडिंग मिली है. न्यूयॉर्क टाइम्स की जांच में ब्राजील में एक समाचार संगठन, मैसाचुसेट्स में एक थिंक टैंक, मैनहट्टन में एक कार्यक्रम स्थल और दक्षिण अफ्रीका में एक राजनीतिक दल को फंडिंग का पता चला.

कौन है नेविल रॉय सिंघम : अमेरिकी करोड़पति कारोबारी नेविल रॉय सिंघम (69) फिलहाल शंघाई में हैं. उनका एक नेटवर्क आउटलेट यूट्यूब शो का सह-निर्माण कर रहा है, जिसे आंशिक रूप से शंघाई के प्रचार विभाग से फंडिंग मिल रही है. टेक मुगल के दो अन्य आउटलेट 'चीन की आवाज को दुनिया तक फैलाने' के लिए एक चीनी विश्वविद्यालय के साथ मिलकर काम कर रहे हैं.

जुलाई में नेविल रॉय सिंघम ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पार्टी को बढ़ावा देने के बारे में एक कम्युनिस्ट पार्टी सेमिनार में भाग लिया. हालांकि, सिंघम ने दावा किया है कि वह चीनी सरकार के निर्देश पर काम नहीं कर रहे हैं.

नेटवर्क कैसे करता है काम : सेंटर फॉर इंफॉर्मेशन रेजिलिएंस (सीआईआर) की 2021 की एक रिपोर्ट में पता चला था कि कैसे नकली सोशल मीडिया प्रोफाइल के एक नेटवर्क का इस्तेमाल चीन समर्थक बयानों को आगे बढ़ाने, चीनी सरकार के विरोधियों के रूप में देखे जाने वाले लोगों को बदनाम करने और विदेशों में चीन के प्रभाव और छवि को बढ़ावा देने के लिए किया जा रहा था.

हालांकि ये नेटवर्क सीधे तौर पर चीनी सरकार से जुड़े हुए नहीं पाए गए, लेकिन सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ट्विटर और फेसबुक द्वारा पहले हटाए गए चीन समर्थक नेटवर्क से मिलते जुलते पाए गए. नेविल रॉय सिंघम के नेटवर्क की न्यूयॉर्क टाइम्स की जांच से पता चला कि कैसे दुष्प्रचार कर कई चीजों को प्रभावित किया गया.

विश्व राजनीति को प्रभावित करने की कोशिश : सिंघम के समूहों ने YouTube वीडियो बनाए हैं जो चीनी समर्थक संदेशों को बढ़ावा देते हैं. कुल मिलाकर, सभी वीडियो को लाखों से अधिक बार देखा गया है. इनका प्रभाव इंटरनेट पर ही समाप्त नहीं होता. इन नेटवर्कों का विश्व राजनीति में भी असर है.

नेविल रॉय सिंघम के कुछ समूहों ने राजनीति को प्रभावित करने की कोशिश की. समूह के सदस्यों ने अफ्रीका में कांग्रेस के सहयोगियों और प्रशिक्षित राजनेताओं से मुलाकात की, दक्षिण अफ्रीकी चुनावों में उम्मीदवारों को खड़ा किया और लंदन के चाइनाटाउन में विरोध प्रदर्शन आयोजित किया. इस प्रक्रिया के परिणामस्वरूप दूर-दराज के वामपंथी समूह सामने आए हैं जो चीनी सरकार की बातों को दोहराते हैं.

कैसे बनाया गया नेटवर्क : न्यूयॉर्क टाइम्स ने कहा कि यह नेटवर्क अमेरिकी गैर-लाभकारी समूहों की मदद से बनाया गया है, इसकी जांच में चैरिटी और शेल कंपनियों के जाल का खुलासा हुआ है. कुछ समूह, जैसे नो कोल्ड वॉर, कानूनी संस्थाओं के रूप में मौजूद नहीं हैं, बल्कि डोमेन पंजीकरण रिकॉर्ड और साझा आयोजकों के माध्यम से नेविल रॉय सिंघम के नेटवर्क से जुड़े हुए हैं. विशेष रूप से, नो कोल्ड वॉर ज्यादातर अमेरिकी और ब्रिटिश कार्यकर्ताओं द्वारा चलाया जाता है, जो तर्क देते हैं कि चीन के खिलाफ पश्चिम की बयानबाजी ने जलवायु परिवर्तन और नस्लीय अन्याय जैसे मुद्दों से ध्यान भटका दिया है.

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नई दिल्ली : न्यूज क्लिक में चीनी फंडिंग मुद्दे पर भाजपा ने कांग्रेस और राहुल गांधी पर जमकर निशाना साधा है. महीनों बाद संसद पहुंचे कांग्रेस सांसद राहुल गांधी की मौजूदगी में बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे ने लोकसभा में यह मुद्दा उठाया. वहीं, केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर निशाना साधा.

लोकसभा में इस मुद्दे पर आक्रामक बीजेपी ने सोमवार को द न्यूयॉर्क टाइम्स (NYT) की रिपोर्ट का हवाला देते हुए आरोप लगाया कि न्यूज क्लिक को दुनिया भर में देश के राजनीतिक एजेंडे को बढ़ावा देने के लिए चीनी फंडिंग मिली है. भाजपा सांसद ने आरोप लगाया कि 2004 और 2014 के बीच 'जब भी भारत को परेशानी का सामना करना पड़ा' कांग्रेस को चीन से पैसा मिला.

दुबे ने लोकसभा में कहा, 'NYT ने कहा है कि न्यूज़ क्लिक को 38 करोड़ रुपये का भुगतान किया गया है. NYT ने न्यूज क्लिक पर ईडी की छापेमारी का जिक्र किया है. कैसे पैसा नक्सलवादियों को दिया गया और कैसे चीनी पैसा कुछ लोगों को भारत के खिलाफ माहौल तैयार करने के लिए दिया गया. 2004 से 2014 के बीच जब भी भारत को परेशानी का सामना करना पड़ा, चीनी सरकार ने कांग्रेस को पैसा दिया, जिसका एफसीआरए लाइसेंस भारत सरकार ने रद्द कर दिया था.'

उन्होंने आरोप लगाया कि कांग्रेस चीनियों के साथ मिलकर देश को 'बर्बाद' करना चाहती है. दुबे ने कहा कि '2008 में, जब ओलंपिक आयोजित किया गया था, कांग्रेस, सोनिया गांधी, राहुल गांधी को बुलाया गया था. 2017 में जब डोकलाम मुद्दा था, तो वह (राहुल गांधी की ओर इशारा करते हुए) चीनियों से मिल रहे थे और उनसे बातचीत कर रहे थे. वे नेहरू की 'हिंदी-चीनी भाई-भाई' की नीति का प्रचार करना चाहते हैं. कांग्रेस चीनियों के साथ मिलकर देश को बर्बाद करना चाहती है.' दुबे ने सरकार से सभी चीनी फंडिंग की जांच करने का आग्रह किया है.

  • #WATCH | In 2021, we exposed NewsClick as to how foreign propaganda is against India. In this anti-India campaign, Congress and other opposition parties came in their support... Chinese companies were funding NewsClick through Mogul Neville Roy Singham but their salesmen were… pic.twitter.com/9ACdyYLj3A

    — ANI (@ANI) August 7, 2023 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data=" ">

अनुराग ठाकुर बोले, राहुल की 'नकली मोहब्बत की दुकान' में चीनी सामान : वहीं, केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर ने सोमवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस कर न्यूज क्लिक में चीनी फंडिंग मुद्दे पर कांग्रेस और उसके नेता राहुल गांधी पर निशाना साधा. अनुराग ठाकुर ने आरोप लगाया कि संगठन के माध्यम से भारत विरोधी, 'भारत तोड़ो' अभियान चलाया जा रहा है.

उन्होंने कहा, 'चीन नेविल रॉय सिंघम को फंड देता है. उसका चीनी प्रोपेगेंडा से सीधा संबंध है.' उन्होंने कहा, 'कांग्रेस, चीन और न्यूज़क्लिक का कनेक्शन है. राहुल गांधी की 'नकली मोहब्बत की दुकान' में चीनी सामान स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है. चीन के प्रति उनका प्रेम देखा जा सकता है. वे भारत विरोधी एजेंडा चला रहे थे.'

ठाकुर ने आरोप लगाया कि कंपनी के भारत में 'सेल्समैन' थे जो 'चीनी वित्त पोषित कंपनी' के खिलाफ कार्रवाई होने पर उसके समर्थन में आए थे. उन्होंने कहा कि 'जब हमने इस मुद्दे को उठाया था तो कांग्रेस और उसके सहयोगी न्यूज़क्लिक के समर्थन में आए थे. उनका कहना था कि भारत सरकार प्रेस की आज़ादी के खिलाफ काम कर रही है. चीनी कंपनियां मुगल नेविल रॉय सिंघम के माध्यम से न्यूज़क्लिक को फंडिंग कर रही थीं लेकिन उनके सेल्समैन भारत के कुछ लोग थे, जो उनके खिलाफ कार्रवाई होने पर उनके समर्थन में आ गए.'

मंत्री ने कहा कि यह गलत सूचना के खिलाफ युद्ध है और यह जारी रहना चाहिए. उन्होंने कहा कि 'क्या कांग्रेस पार्टी सत्ता के लिए इतनी गिर जाएगी कि वे न्यूज़क्लिक के लिए खड़े हो जाएंगे? मैं राहुल गांधी से पूछना चाहता हूं कि जब विदेशी मीडिया हाउस ने पूरी दुनिया के सामने दुष्प्रचार और एजेंडे को उजागर किया है, तो क्या राहुल गांधी देश को जवाब देंगे? न्यूज़क्लिक आपके द्वारा की गई उच्च-स्तरीय बैठकों का हिस्सा था?'

ईडी की जांच में हुआ था खुलासा : दरअसल करीब दो साल पहले ईडी की जांच में खुलासा हुआ था कि मीडिया पोर्टल न्यूजक्लिक को विदेशों से लगभग 38 करोड़ रुपये की फंडिंग मिली थी. अमेरिकी करोड़पति नेविल रॉय सिंघम ने लगातार न्यूजक्लिक को फंडिंग दी थी. नेविल पर चीन की कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीसी) के साथ संबंध के आरोप लगते रहे हैं. ईडी की जांच में पता चला कि तीन साल में न्यूज क्लिक को 38 करोड़ रुपये की फंडिंग मिली थी. आरोप है कि इसे तीस्ता सीतलवाड़ समेत कई लोगों में बांटा गया था.

मनी ट्रेल : प्रवर्तन निदेशालय ने नेविल रॉय सिंघम से जुड़े समूहों को दान में करोड़ों डॉलर का पता लगाया है. भारत एकमात्र देश नहीं है जिसे सिंघम के नेटवर्क से फंडिंग मिली है. न्यूयॉर्क टाइम्स की जांच में ब्राजील में एक समाचार संगठन, मैसाचुसेट्स में एक थिंक टैंक, मैनहट्टन में एक कार्यक्रम स्थल और दक्षिण अफ्रीका में एक राजनीतिक दल को फंडिंग का पता चला.

कौन है नेविल रॉय सिंघम : अमेरिकी करोड़पति कारोबारी नेविल रॉय सिंघम (69) फिलहाल शंघाई में हैं. उनका एक नेटवर्क आउटलेट यूट्यूब शो का सह-निर्माण कर रहा है, जिसे आंशिक रूप से शंघाई के प्रचार विभाग से फंडिंग मिल रही है. टेक मुगल के दो अन्य आउटलेट 'चीन की आवाज को दुनिया तक फैलाने' के लिए एक चीनी विश्वविद्यालय के साथ मिलकर काम कर रहे हैं.

जुलाई में नेविल रॉय सिंघम ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पार्टी को बढ़ावा देने के बारे में एक कम्युनिस्ट पार्टी सेमिनार में भाग लिया. हालांकि, सिंघम ने दावा किया है कि वह चीनी सरकार के निर्देश पर काम नहीं कर रहे हैं.

नेटवर्क कैसे करता है काम : सेंटर फॉर इंफॉर्मेशन रेजिलिएंस (सीआईआर) की 2021 की एक रिपोर्ट में पता चला था कि कैसे नकली सोशल मीडिया प्रोफाइल के एक नेटवर्क का इस्तेमाल चीन समर्थक बयानों को आगे बढ़ाने, चीनी सरकार के विरोधियों के रूप में देखे जाने वाले लोगों को बदनाम करने और विदेशों में चीन के प्रभाव और छवि को बढ़ावा देने के लिए किया जा रहा था.

हालांकि ये नेटवर्क सीधे तौर पर चीनी सरकार से जुड़े हुए नहीं पाए गए, लेकिन सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ट्विटर और फेसबुक द्वारा पहले हटाए गए चीन समर्थक नेटवर्क से मिलते जुलते पाए गए. नेविल रॉय सिंघम के नेटवर्क की न्यूयॉर्क टाइम्स की जांच से पता चला कि कैसे दुष्प्रचार कर कई चीजों को प्रभावित किया गया.

विश्व राजनीति को प्रभावित करने की कोशिश : सिंघम के समूहों ने YouTube वीडियो बनाए हैं जो चीनी समर्थक संदेशों को बढ़ावा देते हैं. कुल मिलाकर, सभी वीडियो को लाखों से अधिक बार देखा गया है. इनका प्रभाव इंटरनेट पर ही समाप्त नहीं होता. इन नेटवर्कों का विश्व राजनीति में भी असर है.

नेविल रॉय सिंघम के कुछ समूहों ने राजनीति को प्रभावित करने की कोशिश की. समूह के सदस्यों ने अफ्रीका में कांग्रेस के सहयोगियों और प्रशिक्षित राजनेताओं से मुलाकात की, दक्षिण अफ्रीकी चुनावों में उम्मीदवारों को खड़ा किया और लंदन के चाइनाटाउन में विरोध प्रदर्शन आयोजित किया. इस प्रक्रिया के परिणामस्वरूप दूर-दराज के वामपंथी समूह सामने आए हैं जो चीनी सरकार की बातों को दोहराते हैं.

कैसे बनाया गया नेटवर्क : न्यूयॉर्क टाइम्स ने कहा कि यह नेटवर्क अमेरिकी गैर-लाभकारी समूहों की मदद से बनाया गया है, इसकी जांच में चैरिटी और शेल कंपनियों के जाल का खुलासा हुआ है. कुछ समूह, जैसे नो कोल्ड वॉर, कानूनी संस्थाओं के रूप में मौजूद नहीं हैं, बल्कि डोमेन पंजीकरण रिकॉर्ड और साझा आयोजकों के माध्यम से नेविल रॉय सिंघम के नेटवर्क से जुड़े हुए हैं. विशेष रूप से, नो कोल्ड वॉर ज्यादातर अमेरिकी और ब्रिटिश कार्यकर्ताओं द्वारा चलाया जाता है, जो तर्क देते हैं कि चीन के खिलाफ पश्चिम की बयानबाजी ने जलवायु परिवर्तन और नस्लीय अन्याय जैसे मुद्दों से ध्यान भटका दिया है.

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Last Updated : Aug 7, 2023, 4:21 PM IST
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