करनाल : जब भगवान सूर्य (Lord Sun) एक राशि से दूसरे राशि में प्रवेश करते हैं, तो इसे संक्रांति कहा जाता है. पंडित विश्वनाथ ने बताया कि 14 जनवरी 2022 के दिन मकर संक्रांति के दिन भगवान सूर्य (Lord Sun) ने मकर राशि में प्रवेश किया था, इसलिये उस दिन को मकर संक्रांति के रूप में मनाया गया. एक महीने बाद अब सूर्य मकर राशि से कुंभ राशि में प्रवेश करते हैं. 13 फरवरी 2022 को सूर्य कुंभ राशि में प्रवेश आ गए. इसलिए इसे कुंभ संक्रांति के रूप में मनाया जा रहा है. कुंभ संक्रांति (Kumbh Sankranti 2022) या यूं कहें कि सूर्य के इस राशि परिवर्तन का प्रभाव कई राशियों के पर पड़ेगा और इन जातकों के जीवन में ये बदलाव देखने को मिलेगा.
कुंभ संक्रांति हिंदू सौर कैलेंडर में ग्यारहवें महीने की शुरुआत का प्रतीक है. वर्ष में सभी बारह संक्रांति दान-पुण्य गतिविधियों के लिए अत्यधिक शुभ हैं. संक्रांति से संबंधित गतिविधियों के लिए प्रत्येक संक्रांति क्षण से पहले या बाद में केवल निश्चित समय अवधि को ही शुभ माना जाता है. कुंभ संक्रांति के दौरान गायों को अर्पित करना अत्यधिक शुभ माना जाता है. साथ ही गंगा में स्नान करना विशेष रूप से त्रिवेणी में जहां गंगा और यमुना का संगम होता है, अत्यधिक शुभ माना जाता है.
13 फरवरी के बाद सूर्य देव के राशि परिवर्तन में कई राशियों के जातकों के बिगड़े काम बनने लगेंगे वहीं रोजगार और कारोबार में भी उन्नति और प्रगति के अवसर मिलेंगे बता दे कि वर्तमान समय में गुरु भी कुंभ राशि में उपस्थित है जो कि कुंभ राशि के जातकों के लिए शुभ संयोग बन रहा है अगर आप भी कुंभ संक्रांति के दिन सूर्य देव की कृपा पाना चाहते हैं तो इस दिन सूर्य चालीसा का पाठ अवश्य करें.
शुभ मुहूर्त
कुंभ संक्रांति 2022 (kumbh sankranti 2022) महा पुण्य कालपंचांग के अनुसार सूर्य देव का कुंभ राशि में प्रवेश 13 फरवरी को तड़के 3:41 पर होगा. ऐसे में कुंभ संक्रांति का पुण्य काल प्रातः 9:01 से प्रारंभ हो जाएगा. जो दोपहर 12:35 तक रहेगा. कुंभ संक्रांति पूण्य काल का समय 5 घंटे 34 मिनट का होगा. वहीं कुंभ संक्रांति का महा पुण्य काल 7:01 से सुबह 8:00 बजे कर 53 मिनट तक है. महा पुण्य काल की अवधि 1 घंटा 51 मिनट की है.
संक्रांति स्नान एवं दानसक्रांति के दिन नदियों में स्नान करने के बाद सूर्य देव को जल अर्पित कर पूजा करने का विधान है. इस दौरान आप सूर्य देव के मंत्रों का जाप भी कर सकते हैं. स्नान के बाद सूर्य ग्रह से जुड़ी वस्तुओं का दान करने से पुण्य की प्राप्ति होती है. इस दिन आप गेहूं धान कंबल गर्म कपड़े आदि का दान कर सकते हैं. कुंभ संक्रांति विशेष महत्वहिंदू धर्म में कुंभ संक्रांति पर स्नान दान का विशेष महत्व माना गया है मान्यता है कि पूर्णिमा एकादशी और अमावस्या तिथि उससे भी ज्यादा महत्व कुंभ संक्रांति का होता है. इस दिन व्यक्ति के स्नान दान करने से उसे देव लोक की प्राप्ति होती है. पौराणिक मान्यता के अनुसार यदि संक्रांति के दिन कोई व्यक्ति स्नान नहीं करता तो कई जन्मों तक उसे दरिद्रता का दुख झेलना पड़ता है. स्नान के साथ-साथ इस दिन दान भी बहुत शुभ है. ऐसा करने से व्यक्ति को जीवन में हर प्रकार का सुख देखने को मिलता है. उसके किसी भी कार्य में बाधा नहीं आती.
कुंभ संक्रांति पर क्या करें
कुंभ संक्रांति के दिन सुबह जल्दी उठे स्नान आदि करने के बाद सूर्य देव की पूजा करें आराध्य करें. कुंभ संक्रांति के दिन आदित्य हृदय स्त्रोत का पाठ भी अवश्य करें. कुंभ संक्रांति के दिन सूर्य पूजन के साथ सूर्य चालीसा पढ़े सूर्य देवता की आरती उतारे और सूर्य मंत्र का विधि पूर्वक जाप करें. कुंभ संक्रांति के दिन दान का विशेष महत्व बताया गया है. इस दिन जरूरतमंदों या ब्राह्मणों को खाने की चीजें उन्हें गर्म कपड़े और अन्न का दान अवश्य करें सूर्य देव को प्रसन्न करने के लिए गरीब बच्चों में फल इत्यादि बांटें.