सबसे कठिन व्रतों में से एक माना जाता है करवा चौथ (Karva Chauth Fasting) का व्रत क्योंकि इस दिन बहुत सी महिलाएं निर्जला उपवास करती हैं. इस उपवास की शुरुआत कुछ लोग नए दिन की शुरुआत से मानते हैं, तो वहीं कुछ लोग उपवास के दिन सूरज निकलने से पहले ब्रम्हमुहर्त से मानते हैं. कुछ समुदायों में सुबह सूरज निकलने से पहले सरगी खाने की भी परंपरा है, जिसमें महिलाएं सुबह पेट भर कर कुछ विशेष प्रकार के भोजन खाती हैं. जिसके उपरांत वे पूरे दिन अन्न तथा जल ग्रहण नहीं करती हैं और रात को चाद को पूजा करने के बाद हो उपवास खोलती हैं.
आमतौर पर इस उपवास के दौरान या बाद में कई महिलाओं को कमजोरी, सिर में दर्द, शरीर में ऊर्जा में कमी या गैस व एसिडिटी जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ता है. जो कई बार अगले दिन भी महिलाओं को प्रभावित करती हैं. ऐसी अवस्था से बचने के लिए कुछ बातों तथा सावधानियों को ध्यान में रखना काफी फायदेमंद हो सकता है.
बीमार महिलाएं बरतें ज्यादा सावधानी
होमियो केयर दिल्ली की होम्योपैथी तथा नेचुरोपैथी की चिकित्सक डॉक्टर साधना अग्रवाल (Dr Sadhna Aggarwal Homeo Care Delhi Naturopathy) बताती है कि यदि व्रत के दौरान ही नहीं बल्कि उससे तीन-चार दिन पहले से ही कुछ बातों को ध्यान में रखा जाए तो इस दौरान होने वाली परेशानियों से काफी हद तक बचा सकता है.
वह बताती हैं कि विशेषतौर पर एसिडिटी, मधुमेह, रक्तचाप या किसी रोग व अवस्था से पीड़ित महिलाओं तथा गर्भवती महिलाओं को उपवास रखने से पहले एक बार चिकित्सक से परामर्श अवश्य ले लेना चाहिए और अगर संभव हो तो व्रत नहीं रखना चाहिए. लेकिन अगर वे व्रत रख ही रहीं हो तो उन्हे अपनी दिनचर्या, आहार तथा चिकित्सक द्वारा बताई गई सावधानियों का विशेष ध्यान रखना चाहिए. वहीं सामान्य परिस्थितियों में भी महिलाओं को व्रत से पहले, उसके दौरान तथा व्रत को खोलते समय कुछ बातों को ध्यान में रखना चाहिए.
कैसी हो सरगी और पहले दिन का आहार (Karwa chauth sargi foods)
Dr Sadhna Aggarwal बताती हैं कि सरगी परंपरा का पालन करने वाली महिलाओं को इस बात का खास ख्याल रखना चाहिए कि वे सरगी के रूप में किस प्रकार के आहार का सेवन कर रही हैं. क्योंकि कई बार सरगी के रूप में ज्यादा घी-तेल में बना, मसालेदार या ज्यादा मीठा भोजन करने से ना सिर्फ प्यास ज्यादा लगती है बल्कि गैस, सिर में दर्द, आलस, शरीर में ऊर्जा की कमी भी महसूस होती रहती है.
वह बताती हैं कि यदि संभव हो तो सरगी के रूप में दूध, दही, पनीर या छैने से बना आहार, जिसमें प्रोटीन की मात्रा ज्यादा हो, मिले-जुले आटे से बने पकवान, सूखे मेवें, फलों का जूस या फलों व सूखे मेवों से बनी स्मूदी तथा नारियल पानी का सेवन करना चाहिए. इससे ना सिर्फ शरीर हाइड्रेट रहेगा, शरीर में ऊर्जा बनी रहेगी बल्कि देर तक भूख का अहसास भी नहीं होगा. वहीं जो महिलाएं पहली रात 12.00 बजे से व्रत की शुरुआत मानती हैं उन्हें उपवास से पहले की रात खाने में पनीर जैसे प्रोटीन युक्त खाद्य पदार्थ, मिलेजुले आटे की रोटी या पराठा तथा सरलता से पचने वाले आहार को शामिल करना चाहिए.
व्रत खोलने के समय बरतें आहार संबंधी सावधानी (Karwa chauth dietary precautions)
डॉ साधना बताती हैं कि ज्यादातर घरों में व्रत को खोलने के लिए पूड़ी तथा मसालेदार पकवान बनाए जाते हैं. पूरे दिन खाली पेट रहने के बाद जब बिना कुछ भी खाएं-पिएं महिलायें इस प्रकार के आहार का सेवन करती हैं तो ज्यादातर मामलों में उन्हे गैस या एसिडिटी जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ता है, साथ ही कई बार यह तेज सरदर्द का कारण भी बन जाता है. ऐसे में व्रत के उपरांत कुछ भी खाने से पहले कम से कम एक ग्लास पानी, या नींबू पानी, लस्सी, नारियल पानी या मौसंबी के जूस का सेवन करना चाहिए. इसके अलावा यदि संभव हो व्रत हमेशा हल्के तथा सुपाच्य भोजन से खोलना चाहिए. क्योंकि एक तो महिला ने पूरा दिन कुछ खाया नहीं होता है उस पर व्रत रात को देर से खोला जाता है. ऐसे में गरिष्ठ भोजन को पचाने में पाचन तंत्र पर काफी दबाव पड़ता है.
अन्य सावधानियां (Karva chauth tips precautions)
डॉ साधना बताती है कि सिर्फ आहार ही नहीं बल्कि कई बार हमारी दिनचर्या से जुड़े कार्य भी शरीर में ऊर्जा की कमी तथा अन्य परेशानियों का कारण बन सकते हैं. जैसे उपवास वाले दिन कई महिलायें भूख या प्यास से बचने के लिए या तो देर से सोकर उठती है या फिर सुबह तैयार होने के बाद दोबारा सो जाती हैं. वहीं बहुत सी महिलाएं दिन भर खुद को व्यस्त रखने के लिए ऐसे कामों में व्यस्त होने की कोशिश करती हैं जिनमें शारीरिक श्रम ज्यादा होता हो. लेकिन ऐसा करने से शरीर की ऊर्जा ज्यादा खर्च होती है तथा शरीर में आलस बना रहता है. जो व्यवहार में गुस्से या चिड़चिड़ापन बढ़ने का कारण भी बन जाता है. ऐसा करने की बजाय सुबह जल्दी उठने तथा अपनी रोज की दिनचर्या का पालन करने की कोशिश करनी चाहिए. इसके अलावा ज्यादा शारीरिक श्रम वाले कार्य करने से बचे तथा खुद को खुश रखने का प्रयास करें. क्योंकि जब मन प्रसन्न होगा तभी उत्सव का उत्साह भी दोगुना होगा.
वैसे तो सभी लोगों को हमेशा ही अपने आहार को लेकर सचेत रहना चाहिए लेकिन विशेषतौर पर इस तरह के उपवास से पहले सभी महिलाओं को , फिर चाहे वह नौकरीपेशा महिलायें हो या ग्रहणी, अपने आहार रूटीन का खास ध्यान रखना चाहिए. जैसे उपवास के कुछ दिन पहले से अपने आहार रूटीन में प्रोटीन तथा पोषक तत्वों से युक्त आहार जैसे दूध, दही, पनीर, सूखे मेवे, फलों तथा जल व अन्य ताजे जूस या नींबू पानी जैसे आहार को शामिल करना चाहिए. जिससे शरीर में पानी की कमी ना हो और उपवास के दौरान बीमार होने की आशंका भी कम हो.
डॉ साधना बताती हैं की वैसे तो गर्भवती महिलाओं को व्रत नहीं रखना चाहिए क्योंकि इससे उनके व गर्भ में पल रहे बच्चे के स्वास्थ्य पर असर पड़ सकता है. लेकिन यदि महिला व्रत रख ही रही हो तो उसे पूरा दिन खाली पेट रहने की बजाय थोड़ी-थोड़ी देर में फल, सूखे मेवे, दूध, ताजे फलों की स्मूदी, जूस तथा नारियल पानी आदि का सेवन करते रहना चाहिए.