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कर्नाटक के मंत्री का किसानों पर विवादित बयान, भाजपा ने की माफी की मांग

Karnataka BJP lashed out on Shivanand Patils statement: कर्नाटक के मंत्री किसानों पर बयान देकर विवादों में आ गए हैं. उन्होंने कहा कि 'किसान चाहते हैं कि सूखा पड़े ताकि उनका कर्ज माफ हो जाए.' भाजपा ने कृषि विपणन मंत्री शिवानंद पाटिल के बयान की निंदा की है. Minister Shivanand Patil.

Minister
कर्नाटक के मंत्री
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Dec 25, 2023, 8:09 PM IST

चिक्कोडी (बेलागावी): कर्नाटक के चीनी और कृषि विपणन मंत्री शिवानंद पाटिल ने एक बार फिर किसानों पर एक और विवादित बयान दिया है. उन्होंने खुलकर कहा कि 'राज्य के किसान चाहते हैं कि बार-बार सूखा पड़े और सरकार से उनका कर्ज माफ हो जाए.' उन्होंने रविवार रात बेलगावी जिले के अथानी तालुक के सुत्तत्ती गांव में बहुउद्देशीय सहकारी समिति की 75वीं वर्षगांठ कार्यक्रम में भाग लेते हुए यह बात कही.

उन्होंने कहा, 'कृष्णा नदी का पानी मुफ़्त है, बिजली भी मुफ़्त है. चूंकि उत्तरी कर्नाटक के कई क्षेत्र सूखे की चपेट में हैं, इसलिए मुख्यमंत्री ने बीज और उर्वरक भी मुफ्त दिए. अब किसान चाह रहे हैं कि राज्य में बार-बार सूखा पड़े और उनका कर्ज माफ हो जाए, जो सही तरीका नहीं है. आपको ऐसी इच्छा नहीं करनी चाहिए. न चाहने पर भी तीन-चार साल में एक बार सूखा पड़ेगा. पिछली सरकारों ने कर्ज माफ किया है. लेकिन, जब सरकार संकट में हो तो यह मुश्किल हो सकता है.' मंत्री शिवानंद पाटिल ने सुझाव दिया कि किसानों को इन सभी मुद्दों को ध्यान में रखते हुए फसलें उगानी चाहिए.

बीजेपी नेताओं ने मंत्री शिवानंद पाटिल पर निशाना साधते हुए कहा है कि, 'मंत्री शिवानंद पाटिल, जिन्होंने पहले कहा था कि किसान राहत के लिए आत्महत्या कर लेंगे, अब उन्होंने यह कहकर किसानों का अपमान किया है कि वे कर्ज माफी के लिए सूखे की उम्मीद कर रहे हैं.' इस टिप्पणी पर कांग्रेस सरकार पर कड़ा प्रहार करते हुए भाजपा ने मुख्यमंत्री सिद्धारमैया से उनका इस्तीफा लेने का आग्रह किया है.

भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष बी वाई विजयेंद्र ने 'एक्स' पोस्ट में आलोचना की. उन्होंने कहा कि 'बार-बार किसानों का अपमान करना, किसानों को गाली देना कांग्रेस की संस्कृति है. मंत्री शिवानंद पाटिल ने ऐसा बयान देकर किसानों का अपमान किया है. पिछले दिनों शिवानंद पाटिल ने अमानवीय बयान दिया था कि 'किसान मुआवजे के लिए आत्महत्या करते हैं.' 'सूखे की कामना' जैसे व्यंग्यात्मक शब्द किसानों के प्रति क्रूरता की मानसिकता को दर्शाते हैं.

किसानों का फिर अपमान: किसानों की बढ़ती आत्महत्या के बारे में पूछे जाने पर उपमुख्यमंत्री गुस्से में कहते हैं, 'आत्महत्या कहां है? क्या वे सभी लोग किसान कहलाते हैं जो अपने लिए कुछ करते हैं?' नेता प्रतिपक्ष आर अशोक ने तंज कसते हुए कहा कि अब मंत्री हल्की-फुल्की बातें कर रहे हैं और कह रहे हैं कि किसान चाहते हैं कि सूखे से लेकर कर्ज माफ हो.

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चिक्कोडी (बेलागावी): कर्नाटक के चीनी और कृषि विपणन मंत्री शिवानंद पाटिल ने एक बार फिर किसानों पर एक और विवादित बयान दिया है. उन्होंने खुलकर कहा कि 'राज्य के किसान चाहते हैं कि बार-बार सूखा पड़े और सरकार से उनका कर्ज माफ हो जाए.' उन्होंने रविवार रात बेलगावी जिले के अथानी तालुक के सुत्तत्ती गांव में बहुउद्देशीय सहकारी समिति की 75वीं वर्षगांठ कार्यक्रम में भाग लेते हुए यह बात कही.

उन्होंने कहा, 'कृष्णा नदी का पानी मुफ़्त है, बिजली भी मुफ़्त है. चूंकि उत्तरी कर्नाटक के कई क्षेत्र सूखे की चपेट में हैं, इसलिए मुख्यमंत्री ने बीज और उर्वरक भी मुफ्त दिए. अब किसान चाह रहे हैं कि राज्य में बार-बार सूखा पड़े और उनका कर्ज माफ हो जाए, जो सही तरीका नहीं है. आपको ऐसी इच्छा नहीं करनी चाहिए. न चाहने पर भी तीन-चार साल में एक बार सूखा पड़ेगा. पिछली सरकारों ने कर्ज माफ किया है. लेकिन, जब सरकार संकट में हो तो यह मुश्किल हो सकता है.' मंत्री शिवानंद पाटिल ने सुझाव दिया कि किसानों को इन सभी मुद्दों को ध्यान में रखते हुए फसलें उगानी चाहिए.

बीजेपी नेताओं ने मंत्री शिवानंद पाटिल पर निशाना साधते हुए कहा है कि, 'मंत्री शिवानंद पाटिल, जिन्होंने पहले कहा था कि किसान राहत के लिए आत्महत्या कर लेंगे, अब उन्होंने यह कहकर किसानों का अपमान किया है कि वे कर्ज माफी के लिए सूखे की उम्मीद कर रहे हैं.' इस टिप्पणी पर कांग्रेस सरकार पर कड़ा प्रहार करते हुए भाजपा ने मुख्यमंत्री सिद्धारमैया से उनका इस्तीफा लेने का आग्रह किया है.

भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष बी वाई विजयेंद्र ने 'एक्स' पोस्ट में आलोचना की. उन्होंने कहा कि 'बार-बार किसानों का अपमान करना, किसानों को गाली देना कांग्रेस की संस्कृति है. मंत्री शिवानंद पाटिल ने ऐसा बयान देकर किसानों का अपमान किया है. पिछले दिनों शिवानंद पाटिल ने अमानवीय बयान दिया था कि 'किसान मुआवजे के लिए आत्महत्या करते हैं.' 'सूखे की कामना' जैसे व्यंग्यात्मक शब्द किसानों के प्रति क्रूरता की मानसिकता को दर्शाते हैं.

किसानों का फिर अपमान: किसानों की बढ़ती आत्महत्या के बारे में पूछे जाने पर उपमुख्यमंत्री गुस्से में कहते हैं, 'आत्महत्या कहां है? क्या वे सभी लोग किसान कहलाते हैं जो अपने लिए कुछ करते हैं?' नेता प्रतिपक्ष आर अशोक ने तंज कसते हुए कहा कि अब मंत्री हल्की-फुल्की बातें कर रहे हैं और कह रहे हैं कि किसान चाहते हैं कि सूखे से लेकर कर्ज माफ हो.

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