नई दिल्ली : मोदी सरकार ने आज कृषि कानूनों को वापस लेने का फैसला लिया है. इस मसले पर ईटीवी भारत ने स्वराज पार्टी के संस्थापक और किसान नेता योगेंद्र यादव (farmer leader yogendra yadav ) से खास बातचीत की. इस दौरान योगेंद्र यादव ने तीनों कृषि कानूनों की वापसी (withdrawal agriculture law) के एलान पर खुशी जताई है. योगेंद्र यादव ने कहा कि वह पहले से कह रहे थे कि किसान आंदोलन की आंच में तीनों कृषि कानून मर चुके हैं, बस हमें डेथ सर्टिफिकेट का इंतजार था, वह आज हमें मिल गया.
योगेन्द्र यादव ने इसे ऐतिहासिक जीत करार दिया है. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि यह ऐतिहासिक विजय है, लेकिन अधूरी है. इस देश में किसानों ने अपना वजूद स्थापित करके दिखाया है और बताया है कि किसानों को नजर अंदाज नहीं किया जा सकता है. यादव ने कहा कि इस देश में किसानों की बात सुने बगैर कोई प्रधानमंत्री की कुर्सी पर नहीं बैठ सकता.
आंदोलन की रणनीति की जीत है या चुनावी राजनीति की जीत के सवाल पर योगेंद्र यादव ने कहा कि हमारी रणनीति ने दबाव बनाया तो सरकार को चुनावों की फिक्र हुई है. इस आंदोलन में 700 लोग शहीद हुए, तब सरकार नहीं मानी, लेकिन चुनावी दस्तक में किसानों के आंदोलन से सिंहासन डोलने लगा, तब सरकार जागी.
विपक्षी पार्टियों की भूमिका पर योगेन्द्र यादव ने कहा कि अगर वह अपनी भूमिका निभा लेते तो शायद किसानों को सड़क पर नहीं आना पड़ता, लेकिन आंदोलन में अहम पडाव पार हुआ है, जिस-जिस ने सहयोग दिया है उन्हें वे सलाम करते हैं.
किसानों की चुनावी महत्वाकांक्षा से जुड़े मुद्दे पर योगेंद्र यादव कहते हैं कि स्वराज पार्टी पंजाब, यूपी के चुनावों में नहीं उतर रही है. एमएसपी पर कमेटी बनाने के प्रधानमंत्री मोदी के आश्वासन पर यादव ने कहा कि इस देश में जिस काम पर मिट्टी डालनी होती है, उसके लिए कमेटी बनती है. सरकार पहले तय करे कि एमएसपी की गारंटी देंगे. कैसे मिलेगी, इसके लिए फिर कमेटी बनाई जा सकती है.
गौरतलब है कि प्रधानमंत्री मोदी ने शुक्रवार को देश के नाम अपने संबोधन में कहा कि उनकी सरकार तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने का फैसला करती है. पीएम ने कहा कि इस महीने के अंत में शुरू होने जा रहे संसद सत्र में तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने की संवैधानिक प्रक्रिया को शुरू करेंगे. उन्होंने किसानों से आंदोलन खत्म करने की अपील भी की है.
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