चंडीगढ़: हिमाचल प्रदेश के बाद अब कर्नाटक में कांग्रेस पार्टी पूर्ण बहुमत के साथ सरकार बनाने में कामयाब हुई है. कांग्रेस पार्टी की इस कामयाबी के बाद देश के अन्य राज्यों में भी पार्टी के कार्यकर्ताओं और नेताओं में कर्नाटक में मिली इस जीत का जोश देखने को मिल रहा है. खास तौर पर ऐसे राज्य जहां इस साल और अगले साल लोकसभा के साथ ही विधानसभा चुनाव होने हैं वहां पर इस जीत का असर होना तय है.
राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा के बाद से हरियाणा कांग्रेस अधिक एक्टिव: बात हरियाणा की हो तो, प्रदेश में अगले साल लोकसभा चुनाव 2024 के बाद विधानसभा चुनाव होने हैं. वहीं, हरियाणा कांग्रेस राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा के बाद प्रदेश में काफी सक्रिय नजर आ रही है. पार्टी के नेता विभिन्न कार्यक्रमों के माध्यम से लगातार जनता के बीच जाकर प्रदेश की मौजूदा गठबंधन की सरकार की नीतियों पर सवाल उठाते हुए पार्टी को सत्ता में वापस लाने के लिए पूरी ताकत लगा रहे हैं.
हरियाणा में भी कांग्रेस को बंधने लगी जीत की उम्मीद: पार्टी की इस जीत को लेकर कांग्रेस नेता और राज्यसभा सांसद सांसद दीपेंद्र हुड्डा कहते हैं कि हिमाचल और कर्नाटक तो झांकी है हरियाणा दिखाना अभी बाकी है. उनका यह बयान साबित करता है कि हिमाचल और कर्नाटक की जीत के बाद अब 2014 से प्रदेश की सत्ता से बाहर बैठी कांग्रेस को हरियाणा में भी जीत की उम्मीद बंधने लगी है. दीपेंद्र हुड्डा कहते हैं कि हरियाणा के लोग अब फिर से सत्ता में कांग्रेस को लाने का मन बना चुके हैं.
हर राज्य में बीजेपी को टक्कर देने की तैयारी में कांग्रेस: इसमें कोई शक नहीं है कि जिस तरह से हिमाचल के बाद कर्नाटक में कांग्रेस को कामयाबी मिली है और बीजेपी को हार का सामना करना पड़ा है. इसको लेकर बीजेपी को मंथन करना जरूरी है. क्योंकि इस साल और भी कुछ राज्यों में विधानसभा चुनाव होने हैं और अगले साल लोकसभा चुनाव के बाद हरियाणा विधानसभा चुनाव होंगे. ऐसे में बीजेपी को अपनी चुनावी रणनीति में भी बदलाव लाना पड़ेगा. नहीं तो कांग्रेस जिस ऊर्जा के साथ आगे बढ़ रही है, वह उसे हर राज्य में कड़ी टक्कर देगी.
क्या कहते हैं राजनीतिक विशेषज्ञ?: कर्नाटक की जीत का क्या हरियाणा में असर पड़ेगा? इसको लेकर राजनीतिक मामलों के जानकार प्रोफेसर गुरमीत सिंह कहते हैं कि इसमें कोई दो राय नहीं है कि हिमाचल के बाद जिस तरीके से कांग्रेस पार्टी ने कर्नाटक में पूर्ण बहुमत के साथ सत्ता में वापसी की है, उससे हरियाणा में भी कांग्रेस के नेताओं और कार्यकर्ताओं का मनोबल बढ़ा है. ऐसे में आने वाले चुनाव में प्रदेश में कांग्रेस बीजेपी को कड़ी टक्कर दे सकती है.
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वे कहते हैं कि हरियाणा में 2014 के बाद से बीजेपी और वर्तमान में बीजेपी जेजेपी का गठबंधन सत्ता में बना हुआ है. प्रदेश में पिछले दो विधानसभा चुनाव से सत्ता से बाहर रह रही कांग्रेस हर हाल में सत्ता के खिलाफ एंटी इनकंबेंसी फैक्टर को आने वाले चुनाव में भुनाना चाहेगी. इसके साथ ही हिमाचल और कर्नाटक विधानसभा चुनाव में मिली जीत का जोश भी उसके लिए ताकत का काम करेगा.
क्या इन हालातों में बीजेपी को अपनी रणनीति में बदलाव करने की जरूरत है?: इस सवाल को लेकर प्रोफेसर गुरमीत सिंह कहते हैं कि राजनीति में वक्त और हालात के साथ पार्टियां अपनी रणनीति में बदलाव लाती रहती हैं. वे कहते हैं कि इसमें कोई दो राय नहीं है कि बीजेपी हिमाचल और कर्नाटक में मिली हार के बाद इसको लेकर मंथन जरूर करेगी. इसके साथ ही आने वाले प्रदेशों के चुनाव को लेकर भी पार्टी अपनी रणनीति में बदलाव कर हर हाल में सत्ता में आना चाहेगी.
वे कहते हैं कि हवाओं का रुख जिस तरह का अभी दिखाई दे रहा है, उसे देखते हुए निश्चित तौर पर इस वक्त कांग्रेस खुद की हरियाणा में वापसी की उम्मीद लगाए हुए है. हालांकि वे यह भी कहते हैं कि अभी प्रदेश में चुनाव के लिए करीब डेढ़ साल का वक्त बचा है, ऐसे में बीजेपी अगर अपनी रणनीति में किसी तरह का कोई बदलाव लाती है तो फिर उस रणनीति का जमीनी क्या असर होगा, यह देखना भी लाजमी होगा.
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