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Birendra Singh Jind Rally: पूर्व केंद्रीय मंत्री चौधरी बीरेंद्र सिंह क्या छोड़ेंगे बीजेपी? जींद रैली में 2 अक्टूबर को कर सकते हैं बड़ा ऐलान

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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Sep 30, 2023, 10:20 PM IST

Birendra Singh Jind Rally: हरियाणा के दिग्गज नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री चौधरी बीरेंद्र सिंह 2014 में लोकसभा चुनाव के वक्त कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में शामिल हो गए थे. अब एक बार फिर राजनीतिक गलियारे में चर्चा है कि बीरेंद्र सिंह बीजेपी से किनारा कर सकते हैं. इस बात के संकेत उनके समर्थकों ने जींद में आयोजित प्रेस वार्ता में दिए थे.

Birendra Singh Jind Rally
Birendra Singh Jind Rally

चंडीगढ़: हरियाणा में अगले साल लोकसभा और विधानसभा दोनो चुनाव हैं. इससे पहले अब प्रदेश की सियासी फिजा बदलने लगी है. 2014 में कांग्रेस छोड़कर बीजेपी का दामन थामने वाले चौधरी बीरेंद्र सिंह 2 अक्टूबर को जींद के एकलव्य स्टेडियम में एक कार्यक्रम का आयोजन कर रहे हैं. ऐसी चर्चा है कि 'मेरी आवाज सुनो' नाम से हो रहे इस कार्यक्रम में चौधरी बीरेंद्र सिंह बीजेपी छोड़ने का ऐलान कर सकते हैं.

जींद में आयोजित प्रेस वार्ता में चौधरी बीरेंद्र सिंह के समर्थकों ने बीजेपी में पूर्व केंद्रीय मंत्री की अनदेखी होने के आरोप लगाए. उनके समर्थकों ने कहा कि बीरेंद्र सिंह कि बीजेपी अनदेखी कर रही है. 2 अक्टूबर को वह कोई बड़ा ऐलान करेंगे. हालांकि इस मामले पर अभी तक चौधरी बीरेंद्र सिंह की तरफ से कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है. लेकिन उनके समर्थक चौधरी बीरेंद्र सिंह के बीजेपी से किनारा करने के संकेत दे रहे हैं.

ये भी पढ़ें- बीरेंद्र सिंह पर दिग्विजय का पलटवार, कहा- दुष्यंत चौटाला की नहीं कर पा रहे बराबरी, अपनी लीडरशिप को दे रहे सलाह

चौधरी बीरेंद्र सिंह जींद में उचाना कला विधानसभा सीट पर अपने परिवार की दावेदारी लंबे वक्त से करते आए हैं. हालांकि पिछले विधानसभा चुनाव में उप मुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला ने चौधरी बीरेंद्र सिंह की पत्नी प्रेमलता को उचाना सीट से हरा दिया था. बीरेंद्र सिंह आने वाले चुनाव में इस सीट से अपने परिवार का टिकट पुख्ता करना चाह रहे हैं. इस वजह से ही वे काफी लंबे वक्त से बीजेपी को जननायक जनता पार्टी से अलग होने की सलाह भी देते नजर आए हैं.

चौधरी बीरेंद्र सिंह के 2 अक्टूबर को होने वाले कार्यक्रम के लिए उनके बेटे ब्रिजेंद्र सिंह अपने समर्थकों को जुटाने के लिए मोटरसाइकिल के जरिए गांव-गांव का सफर तय कर रहे हैं. जबकि वे वर्तमान में हिसार सीट से भाजपा के सांसद हैं. एक तरफ चौधरी बीरेंद्र सिंह और उनका परिवार बीजेपी पर जननायक जनता पार्टी से अलग होने का दबाव बना रहा है तो दूसरी ओर 2 अक्टूबर को कार्यक्रम कर रहा है. इसके कई सियासी मायने भी हैं.

ये भी पढ़ें- क्या AAP में शामिल होंगे चौधरी बीरेंद्र सिंह? उचाना में इस दिन करने वाले हैं बड़ी रैली

राजनीतिक मामलों के जानकारी प्रोफेसर गुरमीत सिंह कहते हैं कि चौधरी बीरेंद्र सिंह के मन में क्या चल रहा है कोई कह नहीं सकता. वे कहते हैं कि चौधरी बीरेंद्र सिंह का कार्यक्रम बीजेपी पर दबाव बनाने की राजनीति भी हो सकती है, क्योंकि जिन सीटों पर लोकसभा या विधानसभा में उनका परिवार दावेदारी जताता रहा है, उस पर अगर बीजेपी और जेजेपी का गठबंधन चुनाव में होता है तो उनके परिवार की दावेदारी छूट सकती है. ऐसे में वे नए विकल्प पर भी विचार कर सकते हैं. उनका 2 अक्टूबर का कार्यक्रम इसी रणनीति का हिस्सा हो सकता है.

कांग्रेस के बाद जब बीरेंद्र सिंह बीजेपी में शामिल हुए तो उनको पूरा सम्मान दिया गया. बीजेपी में शामिल होने के बाद वे केंद्र में मंत्री भी बने. बीजेपी ने उनकी धर्मपत्नी को विधायक और बेटे को सांसद बनाया. बीजेपी हमेशा उनका एक वरिष्ठ राजनेता के तौर पर सम्मान करती है. चौधरी बीरेंद्र सिंह भविष्य में क्या करना चाह रहे हैं, उस पर कोई प्रतिक्रिया देना उचित नहीं है, ये उनकी निजी इच्छा है. प्रवीण अत्रे, सरकार के मीडिया सचिव

चौधरी बीरेंद्र सिंह के बयानों को लेकर जेजेपी के प्रदेश अध्यक्ष निशान सिंह कहते हैं कि जब जेजेपी के साथ बीजेपी का गठबंधन हुआ था, तो इसमें अमित शाह सहित आला कमान शामिल था. चौधरी बीरेंद्र सिंह से राय लेकर गठबंधन नहीं किया गया था. साथ ही जननायक जनता पार्टी किसी के रहमोंकरम पर नहीं है। चौधरी बीरेंद्र सिंह एक पुराने नेता है और जब इस तरह की बात करते हैं तो हैरानी होती है. बीजेपी में रहते हुए वो खुद को नया दल बनाने की भी बात करते हैं.

बीरेंद्र सिंह बीजेपी में रहते हुए 25 सितंबर को इनेलो की रैली में भी शामिल हुए थे. इससे पहले बीजेपी प्रभारी बिप्लब देब ने उचाना सीट पर प्रेमलता की चुनाव लड़ने की जो बात कही थी, हमने उसका भी विरोध किया था. जेजेपी ने तब कहा था कि उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला उचाना से वर्तमान में जनप्रतिनिधि हैं. उनका ही इस सीट पर हक बनता है और वही लड़ेंगे. बीजेपी को मंथन करना चाहिए कि उनके साथी इस तरह के आपत्तिजनक बयान क्यों देते हैं. जेजेपी आज एनडीए का घटक है. हम गठबंधन को लेकर गंभीर हैं. हमारी तरफ से गठबंधन को लेकर कोई विवाद नहीं है. निशान सिंह, प्रदेश अध्यक्ष, जेजेपी

चौधरी बीरेंद्र सिंह को लेकर कांग्रेस पार्टी के प्रवक्ता केवल ढींगरा कहते हैं कि अगर चौधरी बीरेंद्र सिंह कांग्रेस में आना चाहते हैं तो पार्टी निश्चित तौर पर उन्हें पूरा मान सम्मान देगी. वे कहते हैं कि अगर वो अपनी नई पारी भी शुरू करना चाह रहे हैं तो उनको शुभकामनाएं ही दे सकते हैं. फिलहाल चौधरी बीरेंद्र सिंह बीजेपी के साथ रहेंगे, या फिर से कांग्रेस में घर वापसी करेंगे. या फिर किसी अन्य दल के साथ नई सियासी पारी शुरू करेंगे, इसका खुलासा 2 अक्टूबर को ही होगा.

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जींद में आयोजित प्रेस वार्ता में चौधरी बीरेंद्र सिंह के समर्थकों ने बीजेपी में पूर्व केंद्रीय मंत्री की अनदेखी होने के आरोप लगाए. उनके समर्थकों ने कहा कि बीरेंद्र सिंह कि बीजेपी अनदेखी कर रही है. 2 अक्टूबर को वह कोई बड़ा ऐलान करेंगे. हालांकि इस मामले पर अभी तक चौधरी बीरेंद्र सिंह की तरफ से कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है. लेकिन उनके समर्थक चौधरी बीरेंद्र सिंह के बीजेपी से किनारा करने के संकेत दे रहे हैं.

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चौधरी बीरेंद्र सिंह जींद में उचाना कला विधानसभा सीट पर अपने परिवार की दावेदारी लंबे वक्त से करते आए हैं. हालांकि पिछले विधानसभा चुनाव में उप मुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला ने चौधरी बीरेंद्र सिंह की पत्नी प्रेमलता को उचाना सीट से हरा दिया था. बीरेंद्र सिंह आने वाले चुनाव में इस सीट से अपने परिवार का टिकट पुख्ता करना चाह रहे हैं. इस वजह से ही वे काफी लंबे वक्त से बीजेपी को जननायक जनता पार्टी से अलग होने की सलाह भी देते नजर आए हैं.

चौधरी बीरेंद्र सिंह के 2 अक्टूबर को होने वाले कार्यक्रम के लिए उनके बेटे ब्रिजेंद्र सिंह अपने समर्थकों को जुटाने के लिए मोटरसाइकिल के जरिए गांव-गांव का सफर तय कर रहे हैं. जबकि वे वर्तमान में हिसार सीट से भाजपा के सांसद हैं. एक तरफ चौधरी बीरेंद्र सिंह और उनका परिवार बीजेपी पर जननायक जनता पार्टी से अलग होने का दबाव बना रहा है तो दूसरी ओर 2 अक्टूबर को कार्यक्रम कर रहा है. इसके कई सियासी मायने भी हैं.

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राजनीतिक मामलों के जानकारी प्रोफेसर गुरमीत सिंह कहते हैं कि चौधरी बीरेंद्र सिंह के मन में क्या चल रहा है कोई कह नहीं सकता. वे कहते हैं कि चौधरी बीरेंद्र सिंह का कार्यक्रम बीजेपी पर दबाव बनाने की राजनीति भी हो सकती है, क्योंकि जिन सीटों पर लोकसभा या विधानसभा में उनका परिवार दावेदारी जताता रहा है, उस पर अगर बीजेपी और जेजेपी का गठबंधन चुनाव में होता है तो उनके परिवार की दावेदारी छूट सकती है. ऐसे में वे नए विकल्प पर भी विचार कर सकते हैं. उनका 2 अक्टूबर का कार्यक्रम इसी रणनीति का हिस्सा हो सकता है.

कांग्रेस के बाद जब बीरेंद्र सिंह बीजेपी में शामिल हुए तो उनको पूरा सम्मान दिया गया. बीजेपी में शामिल होने के बाद वे केंद्र में मंत्री भी बने. बीजेपी ने उनकी धर्मपत्नी को विधायक और बेटे को सांसद बनाया. बीजेपी हमेशा उनका एक वरिष्ठ राजनेता के तौर पर सम्मान करती है. चौधरी बीरेंद्र सिंह भविष्य में क्या करना चाह रहे हैं, उस पर कोई प्रतिक्रिया देना उचित नहीं है, ये उनकी निजी इच्छा है. प्रवीण अत्रे, सरकार के मीडिया सचिव

चौधरी बीरेंद्र सिंह के बयानों को लेकर जेजेपी के प्रदेश अध्यक्ष निशान सिंह कहते हैं कि जब जेजेपी के साथ बीजेपी का गठबंधन हुआ था, तो इसमें अमित शाह सहित आला कमान शामिल था. चौधरी बीरेंद्र सिंह से राय लेकर गठबंधन नहीं किया गया था. साथ ही जननायक जनता पार्टी किसी के रहमोंकरम पर नहीं है। चौधरी बीरेंद्र सिंह एक पुराने नेता है और जब इस तरह की बात करते हैं तो हैरानी होती है. बीजेपी में रहते हुए वो खुद को नया दल बनाने की भी बात करते हैं.

बीरेंद्र सिंह बीजेपी में रहते हुए 25 सितंबर को इनेलो की रैली में भी शामिल हुए थे. इससे पहले बीजेपी प्रभारी बिप्लब देब ने उचाना सीट पर प्रेमलता की चुनाव लड़ने की जो बात कही थी, हमने उसका भी विरोध किया था. जेजेपी ने तब कहा था कि उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला उचाना से वर्तमान में जनप्रतिनिधि हैं. उनका ही इस सीट पर हक बनता है और वही लड़ेंगे. बीजेपी को मंथन करना चाहिए कि उनके साथी इस तरह के आपत्तिजनक बयान क्यों देते हैं. जेजेपी आज एनडीए का घटक है. हम गठबंधन को लेकर गंभीर हैं. हमारी तरफ से गठबंधन को लेकर कोई विवाद नहीं है. निशान सिंह, प्रदेश अध्यक्ष, जेजेपी

चौधरी बीरेंद्र सिंह को लेकर कांग्रेस पार्टी के प्रवक्ता केवल ढींगरा कहते हैं कि अगर चौधरी बीरेंद्र सिंह कांग्रेस में आना चाहते हैं तो पार्टी निश्चित तौर पर उन्हें पूरा मान सम्मान देगी. वे कहते हैं कि अगर वो अपनी नई पारी भी शुरू करना चाह रहे हैं तो उनको शुभकामनाएं ही दे सकते हैं. फिलहाल चौधरी बीरेंद्र सिंह बीजेपी के साथ रहेंगे, या फिर से कांग्रेस में घर वापसी करेंगे. या फिर किसी अन्य दल के साथ नई सियासी पारी शुरू करेंगे, इसका खुलासा 2 अक्टूबर को ही होगा.

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