बिलासपुर: रविवार को सोशल मीडिया में तेजी से एक वीडियो वायरल हुआ. जिसमें देखा जा सकता है कि रायपुर से बिलासपुर होकर कोरबा जाने वाली मेमू ट्रेन को बीच ट्रैक पर रोक दिया गया. पैसेंजर ट्रेन को रोकने के बाद देखा गया कि उसी ट्रैक पर 100 की दूरी पर एक मालगाड़ी खड़ी थी. एक ही ट्रैक पर दोनों गाड़ी आमने-सामने होने की वजह से यात्रियों में हड़कंप मच गया. यात्री खुद को किस्मत वाला मान रहे थे. साथ ही लोको पायलट को दुआएं दे रहे थे कि उसकी सूझबूझ की वजह से उनकी जान बच गई. वहीं इस मामले में रेल प्रशासन ने अपनी सफाई दी है. इस वायरल वीडियो की रेलवे ने पुष्टि की है. रेलवे ने इसे सामान्य परिचालन की व्यवस्था बताया है.
रेलवे की ओर से स्पष्टीकरण: वीडियो के वायरल होने की जानकारी लगते ही रेल अधिकारियों ने मामले में अपनी सफाई दी है. अधिकारियों ने वायरल वीडियो पर स्पष्टीकरण दिया कि वाट्सएप ग्रुप में वायरल हो रहा वीडियो जयरामनगर-बिलासपुर सेक्शन का है. जिसमें यह दिखाया जा रहा है कि दो गाड़ी आमने सामने खड़ी है. वहीं इस संबंध में यह स्पष्ट किया जाता है कि जयरामनगर बिलासपुर सेक्शन ऑटोमेटिक सिग्नलिंग ब्लॉक सेक्शन है.
एक ही लाइन पर ट्रेनों का परिचालन : रेलवे के सामान्य नियम के अनुसार जहां भी ऑटोमेटिक सिग्नलिंग ब्लॉक सेक्शन है. वहां एक ही लाइन पर एक से अधिक गाड़ियों का सुरक्षित परिचालन एक ही समय में सिग्नल के आधार पर किया जाता है. इन गाड़ियों का परिचालन भी इसी नियम के अनुसार किया गया है. रेलवे के अलग-अलग खंडों के ऑटोमेटिक सिग्नलिंग ब्लॉक सेक्शन में गाड़ियों का परिचालन इसी नियम के अनुसार किया जाता है.
रेलवे ने ट्वीट कर इस घटना पर अपना पक्ष रखा: इस घटना पर साउथ इस्टर्न सेंट्रल रेलवे ने ट्वीट किया है. जिसमें बताया गया है कि जयरामनगर-बिलासपुर सेक्शन ऑटोमेटिक सिग्नलिंग ब्लॉक सेक्शन है. रेलवे सामान्य नियम के अनुसार जहां भी ऑटोमेटिक सिग्नलिंग ब्लॉक सेक्शन है. वहां एक ही लाइन पर एक से अधिक गाड़ियों का सुरक्षित परिचालन एक ही समय में सिग्नल के आधार पर किया जाता है.इन गाड़ियों का परिचालन भी ऑटोमेटिक सिग्नलिंग सिस्टम के नियम के अनुसार किया गया.रेलवे के अलग-अलग खंडों के ऑटोमेटिक सिग्नलिंग ब्लॉक सेक्शन में गाड़ियों का परिचालन इसी नियम के अनुसार किया जाता है. ऑटोमेटिक सिग्नलिंग सिस्टम में आगे खड़ी हुई गाड़ी के लगभग 150 मीटर पीछे तक दूसरी गाड़ी आ सकती है. जबकि MEMU train होने पर गैप घटकर 75 मीटर तक हो सकता है .MEMU train के पीछे LV बोर्ड लगा हुआ है. इसका अर्थ है की मेमू ट्रैन आगे है और दूसरी ट्रेन फॉलो में आकर विधिवत निश्चित दूरी पर आकर खड़ी हुई है. इसमें कोई अनियमितता नहीं है.पूर्व में भी इसी प्रकार की एक घटना का मीडिया में प्रचार किया गया था. जिसका SECR द्वारा खंडन किया गया था. यह एक अत्याधुनिक सिग्नल प्रणाली की तकनीक है. अतः इसे सनसनीखेज नहीं बनाए जिससे कि आम यात्रियों की संवेदना खंडित होती है.
रेलवे की ओर से बड़ी लापरवाही का लोग लगा रहे आरोप: पिछले दिनों ओडिशा के बालासोर में हुए रेल दुर्घटना के जख्म अभी भरे भी नहीं है और दोबारा वैसा ही हादसा रिपीट हो जाता. इस घटना में लोको पायलट की सूझबूझ ने कई लोगों की जिंदगी बचा ली है. वहीं घटना दोबारा घटने से पहले ही टल गई. इस मामले में भले ही रेलवे स्पष्टीकरण दे रहा है कि ऑटोमेटिक सिग्नलिंग में एक ही लाइन में कई गाड़ियों का परिचालन किया जा सकता है. लेकिन क्या अगर बालासोर जैसी घटना घट जाती. तो इसका जिम्मेदार कौन होता ?. लोग इस मामले में रेलवे पर लापरवाही के आरोप लगा रहे हैं.