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हरियाणा में थाईलैंड के अमरूद का कमाल, 800 ग्राम है एक अमरूद का वजन

हरियाणा में जींद के एक किसान सुनील अपने खेत में थाईलैंड व ताइवान किस्म के हाईब्रिड अमरूद उगा कर कमाल कर रहे हैं. सुनील ने अपने खेत में 800-800 ग्राम के अमरूद उगाए हैं, जो थाईलैंड और ताइवान किस्म के हैं. सुनील आज इन अमरूदों की बागवानी से लाखों का मुनाफा कमा रहे हैं और दूसरे किसानों को भी इसके लिए प्रेरित कर रहे हैं.

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थाईलैंड का अमरूद
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Published : Dec 15, 2019, 5:24 PM IST

जींद : हरियाणा में एक किसान ने अमरूद की ऐसी प्रजाति तैयार की है, जिसे देखने के लिए लोग दूर-दूर से आ रहे हैं और किसान की तारीफ कर रहे हैं. कंडेला गांव के किसान सुनील आज प्रदेश के किसानों के लिए मिसाल बन चुके हैं.

सुनील ने थाईलैंड और ताइवान किस्म के ऐसे अमरूद की खेती शुरू की है, जिसकी किलोग्राम के हिसाब से नहीं बल्कि प्रति अमरूद 100 रुपये के हिसाब से बिक्री होती है. अमरूद का वजन करीब 800 से एक किलोग्राम है. खास बात ये है कि अमरूद का टेस्ट भी बहुत बढ़िया है और यह पूरी तरह से रासायनिक पदार्थों से दूर रखकर तैयार किया गया है.

थाईलैंड किस्म के अमरूद की खेती कर वाहवाही बटोर रहे हरियाणा के किसान सुनील.

दो साल पहले लगाया था बाग
सुनील बताते हैं कि उन्होंने करीब दो साल पहले तीन एकड़ जमीन पर अमरूद का बाग लगाया था. तब उन्होंने एक एकड़ जमीन पर थाईलैंड की किस्म का अमरूद का बाग भी लगाया था. अब यह बाग पूरी तरह से तैयार हो गया है. यहां पर अब फल लगने शुरू हो गए हैं.

इस बार अमरूद की अच्छी पैदावार हो रही है. सुनील के मुताबिक इस बाग में उन्होंने न किसी प्रकार का कोई रासायनिक पदार्थ डाला है और न ही किसी प्रकार का स्प्रे किया है.

100 रुपये का है एक अमरूद
कंडेला गांव के किसान सुनील के बाग से अमरूद हाथों-हाथ बिक रहे हैं. भाव प्रति किलो नहीं, बल्कि प्रति नग मिल रहा है. एक अमरूद की कीमत 100 रुपये है.

ये सुनने में अजीब लगता है कि एक अमरूद के इतने रुपये कैसे. इतने महंगे तो सेब भी नहीं हैं, लेकिन बता दें कि ये कोई बाजार में मिलने वाले सामान्य अमरूद नहीं हैं. थाइलैंड किस्म के अमरूद हैं. एक अमरूद का वजन 800 ग्राम से एक किलो तक है.

ऐसे तैयार किया 800 ग्राम का अमरूद
सुनील ने बताया कि उसने पौधे पर लगे फलों को ट्रिपल प्रोटेक्शन फॉम से कवर किया. जिससे फल पर गर्मी, सर्दी, धूल और बीमारियों का सीधा असर न हो. इससे अमरूद की साइज भी काफी बढ़ गयी और अमरूद पूरी तरह से फ्रेश भी है. इसमें ना तो किसी तरह के स्प्रे का प्रयोग किया गया है और ना ही रासायनिक खाद का इस्तेमाल किया गया है. सुनील बताते हैं कि उन्होंने खेत में घास-फूस और पौधों के पत्तों को गला कर तैयार की गई खाद का प्रयोग किया है.

पढ़ेंः CAA का व्यापक विरोध, पश्चिम बंगाल में कई स्थानों पर इंटरनेट सेवाएं ठप

डालते हैं गाय का गोबर
सुनील ने तीन गायें भी पाल रखी हैं. खेतों में गायों के गोबर और मूत्र को खाद के रूप में प्रयोग किया जाता है. खाद और मूत्र में डी-कंपोजर डाल कर जैविक खाद बनाते हैं. इससे लागत भी काफी आती है और फसल में किसी तरह के कीटनाशकों का प्रयोग भी नहीं करना पड़ता.

सालाना हो रहा है अच्छा मुनाफा
किसान सुनील का मानना है कि वैज्ञानिक तरीके से खेतीबाड़ी की जाए तो काफी फायदा हो सकता है. सुनील ने अपने खेत में आर्गेनिक अरहर से लेकर थाईलैंड के अमरूद तक उगा रखे हैं. अमरूद का वजन 700 से 900 ग्राम के बीच है. जिसका मंडी में अच्छा भाव मिल रहा है. सुनील का कहना है कि प्रति एकड़ के हिसाब से सालाना तीन लाख रुपये की बचत हो जाती है. किसान बागवानी के साथ-साथ उसमें अन्य फसलें भी ले सकते हैं. थोड़ा सा ध्यान देने की जरूरत है, खेती को फायदेमंद बनाया जा सकता है.

सुनील ने बताया कि इस साल बड़ी मात्रा में अमरूद का उत्पादन हुआ है. इसके लिए उन्हें न मार्केटिंग करनी पड़ी और न ही बेचने के लिए मंडी जाना पड़ा. खेत से ही अमरूद खरीदकर ले जाने वालों की होड़ लग गई. आसपास के गांवों के अलावा दूसरे जिलों और राज्यों से भी लोग आ रहे हैं.

जींद : हरियाणा में एक किसान ने अमरूद की ऐसी प्रजाति तैयार की है, जिसे देखने के लिए लोग दूर-दूर से आ रहे हैं और किसान की तारीफ कर रहे हैं. कंडेला गांव के किसान सुनील आज प्रदेश के किसानों के लिए मिसाल बन चुके हैं.

सुनील ने थाईलैंड और ताइवान किस्म के ऐसे अमरूद की खेती शुरू की है, जिसकी किलोग्राम के हिसाब से नहीं बल्कि प्रति अमरूद 100 रुपये के हिसाब से बिक्री होती है. अमरूद का वजन करीब 800 से एक किलोग्राम है. खास बात ये है कि अमरूद का टेस्ट भी बहुत बढ़िया है और यह पूरी तरह से रासायनिक पदार्थों से दूर रखकर तैयार किया गया है.

थाईलैंड किस्म के अमरूद की खेती कर वाहवाही बटोर रहे हरियाणा के किसान सुनील.

दो साल पहले लगाया था बाग
सुनील बताते हैं कि उन्होंने करीब दो साल पहले तीन एकड़ जमीन पर अमरूद का बाग लगाया था. तब उन्होंने एक एकड़ जमीन पर थाईलैंड की किस्म का अमरूद का बाग भी लगाया था. अब यह बाग पूरी तरह से तैयार हो गया है. यहां पर अब फल लगने शुरू हो गए हैं.

इस बार अमरूद की अच्छी पैदावार हो रही है. सुनील के मुताबिक इस बाग में उन्होंने न किसी प्रकार का कोई रासायनिक पदार्थ डाला है और न ही किसी प्रकार का स्प्रे किया है.

100 रुपये का है एक अमरूद
कंडेला गांव के किसान सुनील के बाग से अमरूद हाथों-हाथ बिक रहे हैं. भाव प्रति किलो नहीं, बल्कि प्रति नग मिल रहा है. एक अमरूद की कीमत 100 रुपये है.

ये सुनने में अजीब लगता है कि एक अमरूद के इतने रुपये कैसे. इतने महंगे तो सेब भी नहीं हैं, लेकिन बता दें कि ये कोई बाजार में मिलने वाले सामान्य अमरूद नहीं हैं. थाइलैंड किस्म के अमरूद हैं. एक अमरूद का वजन 800 ग्राम से एक किलो तक है.

ऐसे तैयार किया 800 ग्राम का अमरूद
सुनील ने बताया कि उसने पौधे पर लगे फलों को ट्रिपल प्रोटेक्शन फॉम से कवर किया. जिससे फल पर गर्मी, सर्दी, धूल और बीमारियों का सीधा असर न हो. इससे अमरूद की साइज भी काफी बढ़ गयी और अमरूद पूरी तरह से फ्रेश भी है. इसमें ना तो किसी तरह के स्प्रे का प्रयोग किया गया है और ना ही रासायनिक खाद का इस्तेमाल किया गया है. सुनील बताते हैं कि उन्होंने खेत में घास-फूस और पौधों के पत्तों को गला कर तैयार की गई खाद का प्रयोग किया है.

पढ़ेंः CAA का व्यापक विरोध, पश्चिम बंगाल में कई स्थानों पर इंटरनेट सेवाएं ठप

डालते हैं गाय का गोबर
सुनील ने तीन गायें भी पाल रखी हैं. खेतों में गायों के गोबर और मूत्र को खाद के रूप में प्रयोग किया जाता है. खाद और मूत्र में डी-कंपोजर डाल कर जैविक खाद बनाते हैं. इससे लागत भी काफी आती है और फसल में किसी तरह के कीटनाशकों का प्रयोग भी नहीं करना पड़ता.

सालाना हो रहा है अच्छा मुनाफा
किसान सुनील का मानना है कि वैज्ञानिक तरीके से खेतीबाड़ी की जाए तो काफी फायदा हो सकता है. सुनील ने अपने खेत में आर्गेनिक अरहर से लेकर थाईलैंड के अमरूद तक उगा रखे हैं. अमरूद का वजन 700 से 900 ग्राम के बीच है. जिसका मंडी में अच्छा भाव मिल रहा है. सुनील का कहना है कि प्रति एकड़ के हिसाब से सालाना तीन लाख रुपये की बचत हो जाती है. किसान बागवानी के साथ-साथ उसमें अन्य फसलें भी ले सकते हैं. थोड़ा सा ध्यान देने की जरूरत है, खेती को फायदेमंद बनाया जा सकता है.

सुनील ने बताया कि इस साल बड़ी मात्रा में अमरूद का उत्पादन हुआ है. इसके लिए उन्हें न मार्केटिंग करनी पड़ी और न ही बेचने के लिए मंडी जाना पड़ा. खेत से ही अमरूद खरीदकर ले जाने वालों की होड़ लग गई. आसपास के गांवों के अलावा दूसरे जिलों और राज्यों से भी लोग आ रहे हैं.

Intro:Body:जींद के किसान सुनील एक मिसाल है उन किसानों के लिए जो खेती से हो रहे नुकसान के कारण हताश हो गए हैं उन्होंने अब उम्मीद ही छोड़ दी है कि वो खेती से अपना घर गुजारा चला पाएंगे अब युवा पीढ़ी भी खेती से दूर जाने लगे हैं क्योंकि हर तरफ किसानों को बर्बादी ही दिखाई दे रही है सुनील एक मिसाल है उन किसानों के लिए जो खेती से हो रहे नुकसान के कारण हताश हो गए हैं उन्होंने अब उम्मीद थी छोड़ दी है कि वो खेती से अपना घर गुजरा चला पाएंगे अब युवा पीढ़ी भी खेती से दूर जाने लगे हैं क्योंकि हर तरफ किसानों को बर्बादी ही दिखाई दे रही है , सुनील खंडेला एक धारण है उन युवाओं के लिए जो बेरोजगारी का रोना रो रहे हैं और तमाम आशाएं सरकार पर टिकाये बैठे हैं हैं




जींद की धरती पर किसान सुनील ने अपनी मेहनत से एक बड़ा कमाल कर दिखाया , किसान सुनील ने कंडेला गांव में अपने खेत में लगे 800-800 ग्राम के अमरूद उगाए है जो थाईलैंड व ताइवान किस्म के है । इनको देखने के लिए आसपास के गांवों के किसानों के अलावा दूसरे देशों से भी लोग आ रहे हैं। थाइलैंड की किस्म के अमरूद के तीन एकड़ में सुनील कंडेला ने दो साल पहले पौधे लगाए थे। जिन पर अब फल लगना शुरू हो गया है। सुनील ने पौधों में किसी तरह के कीटनाशक का प्रयोग नहीं किया। जैविक तरीका अपनाते हुए पौधों में देसी खाद डाली। वहीं पौधे पर लगे फल को धूल-मिट्टी व बीमारियों से बचाने के लिए उनके ऊपर पॉलीथीन डाली गई हैं। जिसके अमरूदों पर किसी प्रकार के दाग भी नहीं हैं और खाने में भी टेस्ट ज्यादा है। आमतौर पर एक अमरूद 200 से 250 ग्राम का होता है। लेकिन सुनील के खेत में 800 ग्राम से ज्यादा वजन के अमरूद होने से लोग अचंभित हैं।



गांव कंडेला निवासी किसान सुनील का शौक रहा है कि वह वैज्ञानिक तरीके से बागवानी के साथ-साथ सब्जी उगाकर खेतीबाड़ी को लाभकारी बना सके। जिसके चलते उसने (मल्टीक्रॉप) एक समय में हर मौसम की फसल उगाने का फैसला लिया, जिसके सकारात्मक परिणाम सामने आ रहे हैं। खास बात यह है कि जो अपने खेत में पैदा कर रहा है वह आर्गेनिक है और डिमांड भी अच्छी खासी है।

बाइट - सुनील , किसान

किसान सुनील कंडेला का मानना है कि वैज्ञानिक तरीके से खेतीबाड़ी की जाए तो काफी फायदा हो सकता है। सुनील ने अपने खेत में आर्गेनिक अरहर से लेकर थाईलैंड के अमरूद तक उगा रखे हैं। , थाईलैंड व ताइवान का अमरूद, अमरूद का वजन 700 से 900 ग्राम के बीच है। जिसका मंडी में अच्छा भाव मिल रहा है। । सुनील का कहना है कि प्रति एकड़ के हिसाब से सालाना तीन लाख रुपये की बचत हो जाती है। किसान बागवानी के साथ-साथ उसमे अन्य फसलें भी ले सकते हैं। थोड़ा सा ध्यान देने की जरूरत है। खेती को फायदेमंद बनाया जा सकता है।

बाइट - सुनील , किसान

सुनील को बचपन से ही शौक था कि एक ही समय में हर मौसम की फसल तथा सब्जियों को उगाया जाए। इसके बारे में उन्होंने वैज्ञानिकों से सलाह ली और उनके बारे में पढ़ा भी। जिसके चलते उन्होंने आर्गेनिक खेती की शुरुआत की। पिछले चार साल से वे लगातार आर्गेनिक खेती को बढ़ावा दे रहे हैं। आर्गेनिक खेती को लेकर आसपास के किसानों को भी जागरूक कर रहे हैं। ताकि फसलों की भी पैदावार बढ़े और लोगों को शुद्ध खादय सामग्री मिल सके।  


द्वारा तैयार की गई मल्टी क्रॉप मॉडल वह वैज्ञानिक तरीके से खेती को देखने जर्मनी फ्रांस व अन्य कई देशों से वैज्ञानिक आ चुके हैं सुनील ने बताया कि दूसरे देशों से आए वैज्ञानिक उन्हें भी बहुत कुछ सिखाते हैं और यहां से सीख कर भी जाते हैं


Conclusion:
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