नई दिल्ली: केंद्र ने पश्चिम बंगाल सरकार को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है. यह चुनौती हाउसिंग इंडस्ट्री रेगुलेशन एक्ट (HIRA), 2017 को लेकर है.
इस विषय पर केंद्र में आवास और शहरी मामलों की सचिव दुर्गा शंकर मिश्रा ने ईटीवी भारत से खास बातचीत की. उन्होंने कहा कि उनके मंत्रालय ने उच्चतम न्यायालय में एक हलफनामा भरा है, जिसमें पश्चिम बंगाल गवर्नमेंट के आवास उद्योग विनियमन अधिनियम (एचआईआरए), 2017 को चुनौती दी गई है.
उन्होंने HIRA की आलोचना करते हुए कहा, 'जब इस क्षेत्र में केंद्रीय कानून है, तो आप राज्य में अलग कानून कैसे लागू कर सकते हैं और वह भी हमारी सहमति के बिना.'
मिश्रा ने कहा, 'इससे पहले आवास क्षेत्र में ट्रांसपेरेंसी रखने के लिए कोई नियम नहीं थे. हमने रियल एस्टेट मालिकों और बिल्डरों को नियंत्रण में रखने के लिए RERA की पहल की थी.'
केंद्र ने रियल एस्टेट उद्योग में निवेश को बढ़ावा देने के साथ-साथ घर खरीदारों की रक्षा करने के उद्देश्य से रियल एस्टेट (विनियमन और विकास) अधिनियम, 2016 को लागू किया था.
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केन्द्र में यह अधिनियम होने के बावजूद पश्चिम बंगाल गवर्नमेण्ट ने रियल एस्टेट क्षेत्र में एक अलग कानून HIRA,2017 को लागू किया.
मिश्रा ने कहा, 'पश्चिम बंगाल में घर खरीदारों और संघों के एक समूह ने पहले ही सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका भरी है, जिसमें HIRA की वैधता को चुनौती दी गई है और हमने हलफनामा भी दिया है.'
उन्होंने कहा कि जब एक ही विषय पर दो अलग-अलग कानून होंगे तो लोग भ्रमित हो जाएंगे.
मिश्रा ने कहा, RERA के लागू होने के बाद हमने बिल्डरों और रियल एस्टेट मालिकों को नियंत्रण में रखने की कोशिश की है. साथ ही दोनों के बीच संतुलन बनाने की भी कोशिश की.