भोपाल : मध्य प्रदेश की डेढ़ साल की बच्ची वेदिका के पेट के ट्यूमर का सफल इजाल किया गया है. उसके पेट से 400 ग्राम का अविकसित भ्रूण मिला है. बच्ची की सर्जरी अहमदाबाद सिविल अस्पताल के डॉक्टरों ने की है. इसके लिए डॉक्टरों ने तीन घंटे की कड़ी मशक्कत की.
मध्य प्रदेश में रहने वाले हर्षितभाई की डेढ़ साल की बेटी तीन महीने से पेट के ट्यूमर से पीड़ित थी, जिससे उसके घर वाले परेशान चल रहे थे. वेदिका के पिता हर्षितभाई पटेल को सोशल मीडिया के जरिए सिविल अस्तपाल की जानकारी मिली. इसके बाद उन्होंने ट्विटर के जरिए अस्पताल के डॉक्टर राकेश जोशी से संपर्क किया और डॉक्टर राकेश जोशी मदद करने के लिए राजी हो गए.
दरअसल, इस अस्पताल में बच्चों के जटिल बीमारियों की सर्जरी होती है. इसके बाद वेदिका के पिता को उम्मीद की किरण जगी थी.
मध्य प्रदेश की रहने वाली है वेदिका
हर्षितभाई ज्वेलरी के कारोबार करते हैं. वह वेदीका के ट्यूमर के इलाज के लिए मध्य प्रदेश के सभी अस्पतालों के चक्कट काटे, लेकिन वहां से उम्मीद की कोई किरण नहीं दिखाई दी, क्योंकि वेदिका के पेट में अविकसित भ्रूण था. इसकी सर्जरी मध्य प्रदेश में डॉक्टर करने के लिए तैयार नहीं थे, क्योंकि इसकी सर्जरी काफी चुनौतिपूर्ण होती है. इसलिए वेदिका के पिता हर्षितभाई की हताशा बढ़ गई थी.
सिविल अस्पताल के पीडियाट्रिक सर्जरी विभाग के डॉक्टरों ने वेदिका का सीटी स्कैन किया, जिसमें पता चला कि वेदिका के पेट में 400 ग्राम का अविकसित भ्रूण था. सिविल अस्पताल के पीडियाट्रिक सर्जरी विभाग के प्रमुख डॉ. राकेश जोशी के पास इस प्रकार की अत्यंत जटिल सर्जरी करने का लंबा अनुभव है, इसलिए उन्होंने अपनी टीम के साथ पूरी सर्जरी को सफलतापूर्वक करने की पहल की. पीडियाट्रिक सर्जरी विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. जयश्री रामजी और एनेस्थीसिया विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर तृप्ती शाह की मदद से तीन घंटे के भारी प्रयास के बाद पूरी सर्जरी सफलतापूर्वक की गई और भ्रूण को निकाल में सफला मिली.
डॉक्टर का बयान
ऑपरेशन की जानकारी देते हुए डॉ. राकेश जोशी ने कहा कि 20 साल के मेडिकल करियर में 18 महीने की बच्ची के गर्भ में अविकसित भ्रूण का यह तीसरा मामला है. दुनियाभर में 5 लाख बच्चों में से एक को इस प्रकार की जटिल बीमारी का पाई जाती है. यदि सर्जरी के दौरान सटीकता और सतर्कता नहीं बरती जाती, तो बच्ची की दाहिनी किडनी, अग्न्याशय, से खून बहने की संभावना अधिक होती है. इन सब बातों का ख्याल रखते हुए पूरी सर्जरी सफलतापूर्वक की गई.
पिता हर्षितभाई हुए भावुक
वेदिका को दर्द से मुक्त देखकर उसके पिता हर्षितभाई भावुक हो गए. उन्होंने मध्य प्रदेश से गुजरात आने और पूरे इलाज को मुफ्त उपलब्ध कराने और सिविल अस्पताल में बेहतरीन इलाज और सुविधाएं दिलाने के लिए सिविल अस्पताल के डॉक्टरों को धन्यवाद दिया.
सिविल अस्पताल अधीक्षक का बयान
सिविल अस्पताल अधीक्षक डॉ. जेवी मोदी ने कहा कि यहां पर इलाज के लिए विभिन्न राज्यों से लोग आते हैं. किसी भी मरीज को सिविल अस्पताल के डॉक्टरों द्वारा इलाज से इनकार नहीं किया गया है. डॉक्टरों द्वारा सभी रोगियों को सर्वोत्तम उपचार उपलब्ध कराया जाता है. राज्य सरकार के स्वास्थ्य विभाग द्वारा सिविल अस्पताल में सभी सुविधाएं नियमित आधार पर उपलब्ध करायी जा रही हैं.