Vijayadashami 2023: बुराई पर अच्छाई की जीत का पर्व वियजदशमी आज, जानिए महिषासुर वध की कहानी

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नई दिल्ली: दशहरा के पर्व को वियजदशमी भी कहा जाता है. यह असत्य पर सत्य की और बुराई पर अच्छाई की जीत का पर्व है. पौराणिक मान्‍यताओं के अनुसार, इस दिन देवी दुर्गा ने चंडी रूप धारण करके महिषासुर नामक असुर का वध किया था. महिषासुर के आतंक को समाप्त करने के लिए मां भगवती को जन्म लेना पड़ा. उनका यह रूप महिषासुर मर्दिनी कहलाता है. अंत समय में महिषासुर को अपनी मृत्यु का ज्ञात हो गया था. उसने देवी से प्रार्थना की कि आप के हाथों ही मेरा वध हो, जिससे मुझे मुक्ति प्राप्त हो. तब माता ने करुणा दिखाई और उसे वरदान दिया कि मेरे हाथों मृत्यु को प्राप्त कर तुम्हें मेरा सानिध्य प्राप्त हो जाएगा और मेरे साथ तुम्हारी भी पूजा होगी. यही कारण है कि नवरात्रि में देवी दुर्गा की सभी प्रतिमाओं में मां भगवती को महिषासुर का वध करते हुए दर्शाया जाता है. उनकी भी पूजा होती है.

वहीं, विजयादशमी को मनाने के पीछे एक और मान्‍यता यह है कि मर्यादा पुरुषोत्‍तम श्रीराम ने जिस दिन रावण का वध किया. उस दिन शारदीय नवरात्र की दशमी तिथि थी. श्रीराम ने नौ दिन तक मां दुर्गा की उपासनी की और फिर 10वें दिन रावण पर विजय प्राप्‍त की. रावण के बुरे कर्मों पर श्रीराम की अच्‍छाइयों की जीत हुई, इसलिए इसे बुराई पर अच्छाई की जीत के त्योहार के रूप में भी मनाते हैं. इस दिन रावण के साथ उसके पुत्र मेघनाद और उसके भाई कुंभकरण का पुतले भी फूंके जाता है.

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