Video : अनूठी पहल, यहां इस्तेमाल की हुई प्लास्टिक है स्कूल की फीस

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गुवहाटी:  इस्तेमाल किए गए प्लास्टिक हर जगह बेकार समझे जाते हैं. लेकिन गुवाहाटी के कुछ छात्रों के लिए इनकी अहमियत सोने से कम नहीं. पामोखी गांव के अक्षर स्कूल की फीस बेकार प्लास्टिक है. छात्र हफ्ते में एक दिन इस्तेमाल किया हुआ प्लास्टिक स्कूल लाते हैं. स्कूल में प्लास्टिक का दोबारा इस्तेमाल करना सिखाया जाता है. स्कूल की ये पहल प्लास्टिक को जलाकर प्रदूषण फैलने से रोकने की नायाब पहल है. स्कूल के सुपरवाइजर मुनी तालिकदार ने बतााया कि 'एवरी थर्स्डे वो लोग घर से प्लास्टिक लेके आते हैं. वहीं उन लोगों का फीस होता है. यहां पे पढ़ाई के अलावा उस फील्ड में बहुत ध्यान दे रहे हैं. लाइक स्किल, कार्पेंट्री, इलेक्ट्रॉनिक्स लैंडस्केपिंग, टेलरिंग, एवरीथिंग उनको सिखाते हैं. यहां पे हम लोग मेटा टीचिंग फॉलो करते हैं. मेटा टीचिंग ये है, जो स्टूडेंट - बड़े स्टूडेंट, छोटे बच्चे को पढ़ाता है. हम लोग का स्टूडेंट जो बड़ा बच्चा है, वो छोटे बच्चे को पढ़ाता है. उसके लिए उन लोगों को मनी मिलते हैं. उनको एक स्टूडेंट को पढ़ाने के लिए दो रुपये से फाइव रुपीज मिलता है.' स्कूल से जुड़े एक शिक्षक ने बताया कि ये पैसे छात्रों के खाते में जमा किए जाते हैं, जिसे वो जरूरत पड़ने पर निकाल सकते हैं. स्कूल से जुड़े छात्र रहे यश कश्यप ने बताया कि मैंने यहां पे तकरीबन छह साल पढ़ाई किया है. मैंने टेंथ भी यहां से कम्पलिट किया है. अब मैं पढ़ने के अलावा यहां पे छोटे बच्चों को भी पढ़ाता हूं. यहां का एन्वायरमेंट अलग है. नेचर से कनेक्टेड है. उसके बाद हम लोग यहां पे रिसाइक्लिंग करते हैं, जो कोई और स्कूल नहीं करता. 

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