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World Stroke Day 2023 : 'टुगेदर वी आर, ग्रेटर दैन स्ट्रोक' थीम पर मनेगा विश्व स्ट्रोक दिवस 2023

दुनिया भर में पिछले कुछ सालों में लगातार ब्रेन स्ट्रोक के मामलों में बढ़ोतरी देखी जा रही है. यही नहीं आंकड़ों की माने तो फिलहाल दुनिया भर में ब्रेन स्ट्रोक मृत्यु का दूसरा बड़ा कारण तथा विकलांगता का तीसरा प्रमुख कारण माना जा रहा है. वैश्विक स्तर पर स्ट्रोक की गंभीरता को लेकर लोगों को सचेत करने तथा इसके कारणों, उपचार व प्रबंधन को लेकर लोगों में जागरूकता बढ़ाने के लिए हर साल 29 अक्टूबर को विश्व स्ट्रोक दिवस मनाया जाता है. पढ़ें पूरी खबर..पढ़ें पूरी खबर..World Stroke Day, World Stroke Day 2023, World Stroke Day History, World Stroke Day Significance.

World Stroke Day 2023
ब्रेन स्ट्रोक
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Oct 28, 2023, 11:56 PM IST

हैदराबाद : स्ट्रोक एक बेहद गंभीर तथा कई बार जानलेवा प्रभाव दिखाने वाली समस्या है. कुछ समय पहले तक माना जाता था स्ट्रोक की समस्या ज्यादातर 55 से 60 साल की आयु वाले लोगों को प्रभावित करती है, लेकिन पिछले कुछ सालों में 30 से 40 वर्ष की आयु वाले लोगों में भी अलग-अलग स्वास्थ्य व जीवनशैली जनित कारणों के चलते इसके मामलों में बढ़ोतरी देखी जा रही है.

  • WSO is part of the RESQ+ consortium working to drive improvements in stroke care by leveraging registry data and innovative use of AI across the patient pathway.

    Today we are in Athens sharing expertise and the #workdstrokeday message that together we are #GreaterThan stroke!… pic.twitter.com/w8m3zSo6On

    — World Stroke Org (@WorldStrokeOrg) October 27, 2023 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data=" ">

हालांकि इसके जोखिम को बढ़ाने वाले कारकों व लक्षणों को यदि समय से समझ लिया जाय तो स्ट्रोक के होने की आशंका को कम किया जा सकता है. वहीं समय से जांच तथा शीघ्र व सही उपचार से स्ट्रोक पीड़ितों के पूरी तरह से ठीक होने की संभावना बढ़ जाती है. लेकिन बहुत से लोग स्ट्रोक को लेकर तथा उससे जुड़ी सावधानियों को लेकर जानकारी के अभाव में सही समय पर सही कदम नहीं उठा पाते हैं , जिसका असर उनके इलाज की रफ्तार तथा उनके पूरी तरह से ठीक होने पर पड़ता है. वहीं कई बार यह लापरवाही जानलेवा प्रभाव या स्थाई विकलांगता का कारण भी बन सकती है.

वर्तमान परिस्थितियों को देखते हुए हर साल 29 अक्टूबर को मनाए जाने वाले विश्व स्ट्रोक दिवस की प्रासंगिकता काफी ज्यादा बढ़ जाती है, क्योंकि यह ना सिर्फ आम जन में जागरूकता बढ़ाने का अवसर देता है बल्कि स्ट्रोक की जांच व इलाज में बेहतरी से जुड़े मुद्दों पर चिकित्सकों व जानकारों को चर्चा के लिए एक मंच भी देता है.

विश्व स्ट्रोक दिवस 2023 की थीम
गौरतलब है कि हर साल विश्व स्ट्रोक दिवस कुछ नए व पुराने उद्देश्यों के साथ एक नई थीम पर मनाया जाता है. इस साल विश्व स्ट्रोक दिवस " टुगेदर वी आर #ग्रेटर देन स्ट्रोक" थीम पर मनाया जा रहा है. उपलब्ध जानकारी के अनुसार इस साल इस थीम का चयन उच्च रक्तचाप, अनियमित दिल की धड़कन, धूम्रपान, आहार और व्यायाम में लापरवाही जैसे स्ट्रोक के जोखिम को बढ़ाने के लिए जिम्मेदार माने जाने वाले कारकों की रोकथाम पर जोर देने के उद्देश्य किया गया है. चिकित्सक मानते हैं कि स्ट्रोक के लिए ये कारण काफी हद तक जिम्मेदार हो सकते हैं तथा इन कारकों को लेकर सचेत रहने तथा इनके सही समय पर सही इलाज कराने से स्ट्रोक के लगभग 90% मामलों को रोका जा सकता है.

क्या कहते हैं आंकड़े
विश्व स्वास्थ्य संगठन के एक अनुमान के अनुसार दुनियाभर में हर साल लगभग 15 मिलियन लोगों को स्ट्रोक होता है, जिनमें से लगभग 5 मिलियन लोगों की मृत्यु हो जाती है और एक बड़ी संख्या में पीड़ित स्थायी रूप से विकलांगता का शिकार हो जाते हैं. वहीं मेडिकल मैगजीन लैंसेट में स्ट्रोक पर प्रकाशित एक रिपोर्ट में अगले कुछ दशकों में वैश्विक स्तर पर स्ट्रोक से मरने वाले लोगों की संख्या में काफी ज्यादा वृद्धि होने की बात भी कही गई है.

गौरतलब है कि स्ट्रोक के मामले ज्यादातर निम्न और मध्यम आय वाले देशों में देखने में आते हैं. वहीं सिर्फ भारत की बात करे तो यहां स्ट्रोक की औसत घटना दर प्रति एक लाख जनसंख्या पर 145 है. स्ट्रोक से संबंधी कुछ शोधों में यह भी बताया गया है कि भारत में हर मिनट लगभग तीन लोग स्ट्रोक का शिकार होते हैं.

जिम्मेदार कारण
चिकित्सकों कि माने तो स्ट्रोक के बढ़ते मामलों के लिए स्वास्थ्य समस्याओं के अलावा खराब जीवनशैली तथा खराब आहार शैली काफी ज्यादा जिम्मेदार हो सकती है. ज्ञात हो कि पिछले कुछ सालों में इन्ही कारणों से बड़ी संख्या में कम लोगों के लोगों में भी ब्लड प्रेशर, कोलेस्ट्रॉल और मधुमेह सहित कई स्वास्थ्य समस्याओं से जुड़े मामले काफी ज्यादा संख्या में देखने में आ रहे हैं. जो स्ट्रोक को ट्रिगर करने वाले अहम कारणों में गिने जाते हैं.

विश्व स्ट्रोक दिवस का इतिहास
गौरतलब है कि सबसे पहले 29 अक्टूबर 2004 को वैंकूवर, कनाडा में आयोजित हुए विश्व स्ट्रोक कांग्रेस में विश्व स्ट्रोक दिवस की स्थापना की गई थी. इसके बाद वर्ष 2006 में वर्ल्ड स्ट्रोक फेडरेशन और इंटरनेशनल स्ट्रोक सोसाइटी की बैठक के बाद वर्ल्ड स्ट्रोक संगठन बना, जिसके बाद आमजन में जन जागरूकता फैलाने के लिए इस दिन को नियमित रूप से मनाए जाने की घोषणा हुई.

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हैदराबाद : स्ट्रोक एक बेहद गंभीर तथा कई बार जानलेवा प्रभाव दिखाने वाली समस्या है. कुछ समय पहले तक माना जाता था स्ट्रोक की समस्या ज्यादातर 55 से 60 साल की आयु वाले लोगों को प्रभावित करती है, लेकिन पिछले कुछ सालों में 30 से 40 वर्ष की आयु वाले लोगों में भी अलग-अलग स्वास्थ्य व जीवनशैली जनित कारणों के चलते इसके मामलों में बढ़ोतरी देखी जा रही है.

  • WSO is part of the RESQ+ consortium working to drive improvements in stroke care by leveraging registry data and innovative use of AI across the patient pathway.

    Today we are in Athens sharing expertise and the #workdstrokeday message that together we are #GreaterThan stroke!… pic.twitter.com/w8m3zSo6On

    — World Stroke Org (@WorldStrokeOrg) October 27, 2023 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data=" ">

हालांकि इसके जोखिम को बढ़ाने वाले कारकों व लक्षणों को यदि समय से समझ लिया जाय तो स्ट्रोक के होने की आशंका को कम किया जा सकता है. वहीं समय से जांच तथा शीघ्र व सही उपचार से स्ट्रोक पीड़ितों के पूरी तरह से ठीक होने की संभावना बढ़ जाती है. लेकिन बहुत से लोग स्ट्रोक को लेकर तथा उससे जुड़ी सावधानियों को लेकर जानकारी के अभाव में सही समय पर सही कदम नहीं उठा पाते हैं , जिसका असर उनके इलाज की रफ्तार तथा उनके पूरी तरह से ठीक होने पर पड़ता है. वहीं कई बार यह लापरवाही जानलेवा प्रभाव या स्थाई विकलांगता का कारण भी बन सकती है.

वर्तमान परिस्थितियों को देखते हुए हर साल 29 अक्टूबर को मनाए जाने वाले विश्व स्ट्रोक दिवस की प्रासंगिकता काफी ज्यादा बढ़ जाती है, क्योंकि यह ना सिर्फ आम जन में जागरूकता बढ़ाने का अवसर देता है बल्कि स्ट्रोक की जांच व इलाज में बेहतरी से जुड़े मुद्दों पर चिकित्सकों व जानकारों को चर्चा के लिए एक मंच भी देता है.

विश्व स्ट्रोक दिवस 2023 की थीम
गौरतलब है कि हर साल विश्व स्ट्रोक दिवस कुछ नए व पुराने उद्देश्यों के साथ एक नई थीम पर मनाया जाता है. इस साल विश्व स्ट्रोक दिवस " टुगेदर वी आर #ग्रेटर देन स्ट्रोक" थीम पर मनाया जा रहा है. उपलब्ध जानकारी के अनुसार इस साल इस थीम का चयन उच्च रक्तचाप, अनियमित दिल की धड़कन, धूम्रपान, आहार और व्यायाम में लापरवाही जैसे स्ट्रोक के जोखिम को बढ़ाने के लिए जिम्मेदार माने जाने वाले कारकों की रोकथाम पर जोर देने के उद्देश्य किया गया है. चिकित्सक मानते हैं कि स्ट्रोक के लिए ये कारण काफी हद तक जिम्मेदार हो सकते हैं तथा इन कारकों को लेकर सचेत रहने तथा इनके सही समय पर सही इलाज कराने से स्ट्रोक के लगभग 90% मामलों को रोका जा सकता है.

क्या कहते हैं आंकड़े
विश्व स्वास्थ्य संगठन के एक अनुमान के अनुसार दुनियाभर में हर साल लगभग 15 मिलियन लोगों को स्ट्रोक होता है, जिनमें से लगभग 5 मिलियन लोगों की मृत्यु हो जाती है और एक बड़ी संख्या में पीड़ित स्थायी रूप से विकलांगता का शिकार हो जाते हैं. वहीं मेडिकल मैगजीन लैंसेट में स्ट्रोक पर प्रकाशित एक रिपोर्ट में अगले कुछ दशकों में वैश्विक स्तर पर स्ट्रोक से मरने वाले लोगों की संख्या में काफी ज्यादा वृद्धि होने की बात भी कही गई है.

गौरतलब है कि स्ट्रोक के मामले ज्यादातर निम्न और मध्यम आय वाले देशों में देखने में आते हैं. वहीं सिर्फ भारत की बात करे तो यहां स्ट्रोक की औसत घटना दर प्रति एक लाख जनसंख्या पर 145 है. स्ट्रोक से संबंधी कुछ शोधों में यह भी बताया गया है कि भारत में हर मिनट लगभग तीन लोग स्ट्रोक का शिकार होते हैं.

जिम्मेदार कारण
चिकित्सकों कि माने तो स्ट्रोक के बढ़ते मामलों के लिए स्वास्थ्य समस्याओं के अलावा खराब जीवनशैली तथा खराब आहार शैली काफी ज्यादा जिम्मेदार हो सकती है. ज्ञात हो कि पिछले कुछ सालों में इन्ही कारणों से बड़ी संख्या में कम लोगों के लोगों में भी ब्लड प्रेशर, कोलेस्ट्रॉल और मधुमेह सहित कई स्वास्थ्य समस्याओं से जुड़े मामले काफी ज्यादा संख्या में देखने में आ रहे हैं. जो स्ट्रोक को ट्रिगर करने वाले अहम कारणों में गिने जाते हैं.

विश्व स्ट्रोक दिवस का इतिहास
गौरतलब है कि सबसे पहले 29 अक्टूबर 2004 को वैंकूवर, कनाडा में आयोजित हुए विश्व स्ट्रोक कांग्रेस में विश्व स्ट्रोक दिवस की स्थापना की गई थी. इसके बाद वर्ष 2006 में वर्ल्ड स्ट्रोक फेडरेशन और इंटरनेशनल स्ट्रोक सोसाइटी की बैठक के बाद वर्ल्ड स्ट्रोक संगठन बना, जिसके बाद आमजन में जन जागरूकता फैलाने के लिए इस दिन को नियमित रूप से मनाए जाने की घोषणा हुई.

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