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दुनिया भर में रीढ़ की हड्डी के स्वास्थ्य को प्रेरित करने का ये है नया 'मंत्र' - spinal diseases

दुनिया भर में रीढ़ की हड्डी के स्वास्थ्य (Spinal health) को बनाए रखने के लिए प्रेरित करने और कमर दर्द (Waist pain) व रीढ़ से जुड़े अन्य रोगों (Spine diseases) और उनके उपचार के बारें में जागरूक करने के उद्देश्य से 16 अक्टूबर को विश्व स्पाइन दिवस (World Spine Day 16 October) मनाया जाता है . World Spine Day theme every spine counts . Spinal diseases . दुनिया भर में रीढ़ की हड्डी के स्वास्थ्य को प्रेरित करने का ये है नया 'मंत्र'

World Spine Day theme every spine counts
रीढ़ की हड्डी
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Published : Oct 16, 2022, 12:04 AM IST

Updated : Oct 16, 2022, 3:37 PM IST

दुनिया भर में कमर दर्द (Back Pain) के मरीजों की संख्या पिछले कुछ सालों में लगातार बढ़ रही है. कमर में दर्द आमतौर पर खराब पॉशचर, दुर्घटना, भागती दौड़ती जिंदगी,खराब सड़कें, पोषण की कमी और कई अन्य कारणों से हमारे शरीर का आधार मानी जाने वाली रीढ़ की हड्डी (Spinal cord) के प्रभावित होने से होता है. यहां तक की कई बार रीढ़ की हड्डी में समस्या व्यक्ति में विकलांगता का कारण भी बन सकती है. Spinal diseases . World Spine Day theme every spine counts . World Spine Day 16 October .

वैश्विक स्तर पर जन-जन को स्वस्थ रीढ़ की हड्डी के महत्व को समझाने तथा रीढ़ संबंधित रोगों तथा उनके उपचारों के लेकर जागरूक करने के उद्देश्य से हर साल 16 अक्टूबर को विश्व स्पाइन दिवस मनाया जाता है. इस वर्ष इस चौदहवें वार्षिक अभियान (World Spine Day annual campaign) को #EVERYSPINECOUNTS थीम पर मनाया जा रहा है.

इतिहास : वर्ल्ड स्पाइन डे की शुरुआत वर्ल्ड फेडरेशन ऑफ कायरोप्रैक्टिक (World Federation of Chiropractic) द्वारा 2008 में की गई थी. जिसका मुख्य उद्देश्य पीठ दर्द और अन्य रीढ़ की हड्डी के मुद्दों के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए वैश्विक पटल पर एक मंच तैयार करना था. वर्ष 2012 में पहली बार इसे एक थीम "Straighten Up and Move" पर मनाया गया था. गौरतलब है पीठ दर्द या रीढ़ की हड्डी का दर्द हमेशा से ही मनुष्यों में एक आम बीमारी रही है. इस समस्या के लिए जिम्मेदार कारणों तथा उपचार का उल्लेख कई प्राचीन शल्य ग्रंथों में भी मिलता है.

समय के साथ कमर दर्द के कारणों को जानने तथा रीढ़ की हड्डी से जुड़ी समस्याओं की गंभीरता की जांच तथा इलाज के क्षेत्र में काफी तरक्की हुई है. इस क्षेत्र में पहले एक्स-रे तथा और फिर 1980 के दशक तक, CT scans और MRIs जैसी नई इमेजिंग तकनीकों की शुरुआत ने पीठ दर्द या रीढ़ की हड्डी के दर्द के कारणों की जांच को काफी सुलभ बना दिया था. वर्तमान समय में ये जांच तकनीक काफी एडवांस हो चुकी हैं. वहीं रीढ़ की हड्डी की समस्या के निस्तारण के लिए, यहां तक कि सर्जरी के लिए भी अत्याधुनिक इलाज उपलब्ध है. गौरतलब है कि प्रतिवर्ष आयोजित होने वाले इस विश्व स्पाइन दिवस पर दुनिया भर के 800 से ज्यादा सरकारी, गैर सरकारी, चिकित्सा तथा सामाजिक संगठन विभिन्न प्रकार के जागरूकता कार्यक्रम तथा अभियान आयोजित करते हैं.

#EVERYSPINECOUNTS : इस साल World Spine Day theme every spine counts की थीम के रूप में #EVERYSPINECOUNTS का चयन एक खास उद्देश्य से किया गया है. दरअसल यह विषय सभी क्षेत्रों, संस्कृतियों, पृष्ठभूमि और पूरे जीवन में रीढ़ की हड्डी में दर्द के साथ जीने से जुड़ी विविध चुनौतियों पर प्रकाश डालता है. इस बार इस थीम का उद्देश्य वैश्विक स्तर पर लोगों को रीढ़ कि हड्डी के स्वास्थ्य को दुरुस्त रखने के लिए जीवनशैली को सुधारने शारीरिक रूप से सक्रिय रहने, शरीर के विशेषकर रीढ़ की हड्डी के स्वास्थ्य को दुरुस्त रखने वाले पोषण की कमी को दूर करने के लिए आहार तथा जरूरत पड़ने पर अन्य माध्यमों जैसे सप्लीमेंट्स को अपनाने तथा अपनी दिनचर्या में स्वस्थ आदतों को शामिल करने के लिए प्रोत्साहित करना है.

इसके अलावा रीढ़ की हड्डी के स्वास्थ्य को प्रभावित करने वाले कारकों को लेकर लोगों को शिक्षित बनाना, दुनिया भर में गुणवत्तापूर्ण व आवश्यक रीढ़ की हड्डी संबंधित स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुंच की आवश्यकता को संबोधित करना तथा जीवन भर कम पीठ दर्द के साथ रहने की विविध चुनौतियों पर प्रकाश डालना भी इस थीम के चयन का मुख्य उद्देश्य है.

जरूरी है चिकित्सक से परामर्श : विभिन्न आंकड़ों कि माने तो दुनिया भर में अनुमानित एक अरब लोग रीढ़ की हड्डी में दर्द से पीड़ित हैं. यह जीवन भर तक पीड़ित लोगों को प्रभावित कर सकता है और कई बार बड़ी संख्या में यह लोगों में विकलांगता का कारण भी बन सकता है. हमारी रीढ़ की हड्डी हमारे शरीर के खड़े होने का आधार होती है, इसलिए रीढ़ की हड्डी में दर्द, समस्या या रोग होने पर हमारे शरीर की कार्य करने की क्षमता पर असर पड़ सकता है. यही नहीं कई बार यह समस्या शरीर के अन्य अंगों तथा उनके कार्यों को भी प्रभावित कर सकती है.

बहुत से लोग लंबे समय तक कमर दर्द को भी नजरअंदाज करते हैं और राहत पाने के लिए पेन किलर दवाइयों और दर्द निवारक बाम का उपयोग करते रहते हैं. जो सेहत को कई बार नुकसान भी पहुंचाते हैं. जानकार मानते हैं कि कमरदर्द यदि 3 सप्ताह से अधिक समय तक भी ठीक ना हो रहा हो, उसके चलते खड़े होने , लेटने या बैठने में समस्या हो रही हो तथा हाथों और पैरों में सुन्नता महसूस हो रही हो तो तत्काल किसी हड्डी रोग विशेषज्ञ से जांच तथा परामर्श जरूरी हो जाता है.

सावधानियां

  • इसके अलावा कमरदर्द या रीढ़ की हड्डी में समस्या होने बचने तथा दर्द होने कि स्थिति में देखभाल के लिए कुछ विशेष सावधानियों को बरतना लाभकारी हो सकता है. जिनमें से कुछ इस प्रकार हैं.
  • आगे की ओर झुक कर वजन या भारी वस्तुओं को उठाने से बचना चाहिए. हमेशा अपने घुटनों पर झुकते हुए और रीढ़ को सीधा रखते हुए ही चीजों को उठाना चाहिए.
  • पॉश्चर का हमेशा ध्यान रखना चाहिए. चाहे आप बैठे हो या खड़े, गर्दन, कंधे तथा रीढ़ की हड्डी हमेशा सीधी होनी चाहिए.
  • लंबे समय तक एक मुद्रा में नहीं एक बैठना चाहिए बल्कि हर घंटे छोटे ब्रेक लेकर कुछ मिनटों तक चलना चाहिए.
  • गर्दन, कंधे तथा कमर झुकाकर मोबाइल देखने या लैपटॉप पर कार्य करने से बचना चाहिए. वहीं अधलेटी अवस्था यानी पलंग पर आधी लेटी तथा कंधों व कमर से आधी बैठी अवस्था में बैठकर टीवी देखने से बचना चाहिए.
  • भोजन में कैल्शियम, विटामिन डी तथा हड्डियों को मजबूती देने वाले पोषण से युक्त आहारों को प्राथमिकता देनी चाहिए.
  • जीवनशैली सक्रिय होनी चाहिए और दिनचर्या में नियमित व्यायाम को शामिल करना चाहिए.
  • बढ़ती उम्र में हड्डियों को मजबूत तथा रोग मुक्त रखने के लिए बोन डेंसीटी तथा हड्डियों के स्वास्थ्य की जांच करवानी चाहिए.
  • दर्द को कभी अनदेखा नहीं करना चाहिए तथा समस्या बढ़ने पर तत्काल चिकित्सक से संपर्क करना चाहिए.

MISS : सरल, कम तकलीफ व ज्यादा फायदेमंद होती है मिनिमल इन्वेसिव स्पाइन सर्जरी

दुनिया भर में कमर दर्द (Back Pain) के मरीजों की संख्या पिछले कुछ सालों में लगातार बढ़ रही है. कमर में दर्द आमतौर पर खराब पॉशचर, दुर्घटना, भागती दौड़ती जिंदगी,खराब सड़कें, पोषण की कमी और कई अन्य कारणों से हमारे शरीर का आधार मानी जाने वाली रीढ़ की हड्डी (Spinal cord) के प्रभावित होने से होता है. यहां तक की कई बार रीढ़ की हड्डी में समस्या व्यक्ति में विकलांगता का कारण भी बन सकती है. Spinal diseases . World Spine Day theme every spine counts . World Spine Day 16 October .

वैश्विक स्तर पर जन-जन को स्वस्थ रीढ़ की हड्डी के महत्व को समझाने तथा रीढ़ संबंधित रोगों तथा उनके उपचारों के लेकर जागरूक करने के उद्देश्य से हर साल 16 अक्टूबर को विश्व स्पाइन दिवस मनाया जाता है. इस वर्ष इस चौदहवें वार्षिक अभियान (World Spine Day annual campaign) को #EVERYSPINECOUNTS थीम पर मनाया जा रहा है.

इतिहास : वर्ल्ड स्पाइन डे की शुरुआत वर्ल्ड फेडरेशन ऑफ कायरोप्रैक्टिक (World Federation of Chiropractic) द्वारा 2008 में की गई थी. जिसका मुख्य उद्देश्य पीठ दर्द और अन्य रीढ़ की हड्डी के मुद्दों के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए वैश्विक पटल पर एक मंच तैयार करना था. वर्ष 2012 में पहली बार इसे एक थीम "Straighten Up and Move" पर मनाया गया था. गौरतलब है पीठ दर्द या रीढ़ की हड्डी का दर्द हमेशा से ही मनुष्यों में एक आम बीमारी रही है. इस समस्या के लिए जिम्मेदार कारणों तथा उपचार का उल्लेख कई प्राचीन शल्य ग्रंथों में भी मिलता है.

समय के साथ कमर दर्द के कारणों को जानने तथा रीढ़ की हड्डी से जुड़ी समस्याओं की गंभीरता की जांच तथा इलाज के क्षेत्र में काफी तरक्की हुई है. इस क्षेत्र में पहले एक्स-रे तथा और फिर 1980 के दशक तक, CT scans और MRIs जैसी नई इमेजिंग तकनीकों की शुरुआत ने पीठ दर्द या रीढ़ की हड्डी के दर्द के कारणों की जांच को काफी सुलभ बना दिया था. वर्तमान समय में ये जांच तकनीक काफी एडवांस हो चुकी हैं. वहीं रीढ़ की हड्डी की समस्या के निस्तारण के लिए, यहां तक कि सर्जरी के लिए भी अत्याधुनिक इलाज उपलब्ध है. गौरतलब है कि प्रतिवर्ष आयोजित होने वाले इस विश्व स्पाइन दिवस पर दुनिया भर के 800 से ज्यादा सरकारी, गैर सरकारी, चिकित्सा तथा सामाजिक संगठन विभिन्न प्रकार के जागरूकता कार्यक्रम तथा अभियान आयोजित करते हैं.

#EVERYSPINECOUNTS : इस साल World Spine Day theme every spine counts की थीम के रूप में #EVERYSPINECOUNTS का चयन एक खास उद्देश्य से किया गया है. दरअसल यह विषय सभी क्षेत्रों, संस्कृतियों, पृष्ठभूमि और पूरे जीवन में रीढ़ की हड्डी में दर्द के साथ जीने से जुड़ी विविध चुनौतियों पर प्रकाश डालता है. इस बार इस थीम का उद्देश्य वैश्विक स्तर पर लोगों को रीढ़ कि हड्डी के स्वास्थ्य को दुरुस्त रखने के लिए जीवनशैली को सुधारने शारीरिक रूप से सक्रिय रहने, शरीर के विशेषकर रीढ़ की हड्डी के स्वास्थ्य को दुरुस्त रखने वाले पोषण की कमी को दूर करने के लिए आहार तथा जरूरत पड़ने पर अन्य माध्यमों जैसे सप्लीमेंट्स को अपनाने तथा अपनी दिनचर्या में स्वस्थ आदतों को शामिल करने के लिए प्रोत्साहित करना है.

इसके अलावा रीढ़ की हड्डी के स्वास्थ्य को प्रभावित करने वाले कारकों को लेकर लोगों को शिक्षित बनाना, दुनिया भर में गुणवत्तापूर्ण व आवश्यक रीढ़ की हड्डी संबंधित स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुंच की आवश्यकता को संबोधित करना तथा जीवन भर कम पीठ दर्द के साथ रहने की विविध चुनौतियों पर प्रकाश डालना भी इस थीम के चयन का मुख्य उद्देश्य है.

जरूरी है चिकित्सक से परामर्श : विभिन्न आंकड़ों कि माने तो दुनिया भर में अनुमानित एक अरब लोग रीढ़ की हड्डी में दर्द से पीड़ित हैं. यह जीवन भर तक पीड़ित लोगों को प्रभावित कर सकता है और कई बार बड़ी संख्या में यह लोगों में विकलांगता का कारण भी बन सकता है. हमारी रीढ़ की हड्डी हमारे शरीर के खड़े होने का आधार होती है, इसलिए रीढ़ की हड्डी में दर्द, समस्या या रोग होने पर हमारे शरीर की कार्य करने की क्षमता पर असर पड़ सकता है. यही नहीं कई बार यह समस्या शरीर के अन्य अंगों तथा उनके कार्यों को भी प्रभावित कर सकती है.

बहुत से लोग लंबे समय तक कमर दर्द को भी नजरअंदाज करते हैं और राहत पाने के लिए पेन किलर दवाइयों और दर्द निवारक बाम का उपयोग करते रहते हैं. जो सेहत को कई बार नुकसान भी पहुंचाते हैं. जानकार मानते हैं कि कमरदर्द यदि 3 सप्ताह से अधिक समय तक भी ठीक ना हो रहा हो, उसके चलते खड़े होने , लेटने या बैठने में समस्या हो रही हो तथा हाथों और पैरों में सुन्नता महसूस हो रही हो तो तत्काल किसी हड्डी रोग विशेषज्ञ से जांच तथा परामर्श जरूरी हो जाता है.

सावधानियां

  • इसके अलावा कमरदर्द या रीढ़ की हड्डी में समस्या होने बचने तथा दर्द होने कि स्थिति में देखभाल के लिए कुछ विशेष सावधानियों को बरतना लाभकारी हो सकता है. जिनमें से कुछ इस प्रकार हैं.
  • आगे की ओर झुक कर वजन या भारी वस्तुओं को उठाने से बचना चाहिए. हमेशा अपने घुटनों पर झुकते हुए और रीढ़ को सीधा रखते हुए ही चीजों को उठाना चाहिए.
  • पॉश्चर का हमेशा ध्यान रखना चाहिए. चाहे आप बैठे हो या खड़े, गर्दन, कंधे तथा रीढ़ की हड्डी हमेशा सीधी होनी चाहिए.
  • लंबे समय तक एक मुद्रा में नहीं एक बैठना चाहिए बल्कि हर घंटे छोटे ब्रेक लेकर कुछ मिनटों तक चलना चाहिए.
  • गर्दन, कंधे तथा कमर झुकाकर मोबाइल देखने या लैपटॉप पर कार्य करने से बचना चाहिए. वहीं अधलेटी अवस्था यानी पलंग पर आधी लेटी तथा कंधों व कमर से आधी बैठी अवस्था में बैठकर टीवी देखने से बचना चाहिए.
  • भोजन में कैल्शियम, विटामिन डी तथा हड्डियों को मजबूती देने वाले पोषण से युक्त आहारों को प्राथमिकता देनी चाहिए.
  • जीवनशैली सक्रिय होनी चाहिए और दिनचर्या में नियमित व्यायाम को शामिल करना चाहिए.
  • बढ़ती उम्र में हड्डियों को मजबूत तथा रोग मुक्त रखने के लिए बोन डेंसीटी तथा हड्डियों के स्वास्थ्य की जांच करवानी चाहिए.
  • दर्द को कभी अनदेखा नहीं करना चाहिए तथा समस्या बढ़ने पर तत्काल चिकित्सक से संपर्क करना चाहिए.

MISS : सरल, कम तकलीफ व ज्यादा फायदेमंद होती है मिनिमल इन्वेसिव स्पाइन सर्जरी

Last Updated : Oct 16, 2022, 3:37 PM IST
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