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Lymphoma Awareness Day : रोग प्रतिरोधक क्षमता से समझौता करना पड़ता है लिम्फोमा मरीजों को - world lymphoma awareness day 15 september

लिम्फोमा से पीड़ित मरीजों में रोग प्रतिरोधक क्षमता कम हो जाती है, उन्हें प्रतिरक्षा प्रणाली से समझौता करना पड़ता है, जिससे वे संक्रमणों के प्रति अधिक संवेदनशील हो जाते हैं, जिनमें कोरोनोवायरस भी शामिल है. उनकी प्रतिरक्षा कम होने से इन्हें कोविड-19 संक्रमण का उच्च जोखिम होता है. कोरोनावायरस महामारी के दौरान लिम्फोमा रोगियों के परिजनों को अतिरिक्त सावधानी बरतनी चाहिए. इसके साथ ही कैंसर के इलाज से गुजर रहे पीड़ितों पर भी संक्रमण का खतरा अधिक होता है. इसलिए इस विश्व लिम्फोमा जागरूकता दिवस पर लोगों को इन रोगियों की सुरक्षा के लिए प्रेरित करना है. World lymphoma awareness day 15 september . Lymphoma cancer patients highly vulnerable to infectious disease .

World lymphoma awareness day 15 september
विश्व लिम्फोमा जागरूकता दिवस
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Published : Sep 15, 2022, 5:38 AM IST

Updated : Sep 15, 2022, 5:56 PM IST

विश्व लिम्फोमा जागरूकता दिवस पर चिकित्सा विशेषज्ञों का कहना है कि इस दिन उन लोगों की रक्षा करने के साधनों पर ध्यान केंद्रित किया जाता है, जो संक्रमण के जोखिम और इसके प्रतिकूल प्रभाव में हैं. लिम्फोमा कैंसर के लिए एक व्यापक शब्द है, जो लसिका प्रणाली की कोशिकाओं में शुरू होता है. दो मुख्य प्रकार हॉजकिन लिंफोमा और नॉन-हॉजकिन लिंफोमा (NHL) हैं. काशी हिंदू विश्वविद्यालय के प्राणि विज्ञान विभाग के वैज्ञानिकों ने टी सेल लिंफोमा (एक प्रकार का इम्यून सेल कैंसर) में एक अत्यंत महत्वपूर्ण अध्ययन किया है. इस अध्ययन में पहली बार इस प्रकार के कैंसर को बढ़ाने में लाइसोफॉस्फेटिडिक एसिड (LPA) की भूमिका प्रदर्शित की गई है.

वैज्ञानिकों (Scientists from the Department of Zoology, Banaras Hindu University) के मुताबिक अभी तक टी सेल लिंफोमा (T cell lymphoma) बढ़ाने में एलपीए की भूमिका तथा टी सेल लिंफोमा के चिकित्सीय उपचार में एलपीए रिसेप्टर की संभावित क्षमता का मूल्यांकन नहीं किया गया है. लाइसोफॉस्फेटिडिक (Lysophosphatidic acid) सबसे सरल प्राकृतिक बायोएक्टिव फॉस्फोलिपिड्स में से एक है, जो ऊतकों की मरम्मत, घाव भरने और कोशिका के जीवित बने रहने में शामिल है. सामान्य शारीरिक स्थितियों के दौरान, एलपीए घाव भरने, आंतों के ऊतकों की मरम्मत, इम्यून सेल माइग्रेशन और भ्रूण के मस्तिष्क विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. हालांकि, डिम्बग्रंथि, स्तन, प्रोस्टेट और कोलोरेक्टल कैंसर (ovarian cancer, breast cancer, prostate cancer, and colorectal cancer) के मामलों में एलपीए व इसके रिसेप्टर का बढ़ा हुआ स्तर देखा गया है.

कोविड-19 का खतरा : लिम्फोमा से पीड़ित मरीजों में रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होने से कोविड-19 से संक्रमित होने का खतरा अधिक होता है. ऐसे में इन्हें उच्च जोखिम वाले समूहों में शामिल किया गया है. क्योंकि लिम्फोमा पीड़ितों को जानलेवा वायरस का शिकार होना पड़ता है. लेकिन किसी भी अध्ययन में यह सिद्ध नहीं हुआ है कि वायरस का सीधा प्रभाव लिम्फोमा या कैंसर पीड़ितों पर पड़ता है. हॉजकिन लिंफोमा को अक्सर ठीक किया जा सकता है. NHL का पूर्वानुमान विशिष्ट प्रकार पर निर्भर करता है. कैंसर कोई अकेली बीमारी नहीं है बल्कि इससे जुड़ी बीमारियों का समूह है. हमारे जीन, हमारी जीवनशैली और हमारे आस-पास के वातावरण में कई चीजें कैंसर होने के हमारे जोखिम को बढ़ा या घटा सकती हैं.

प्रतिरक्षा प्रणाली से समझौता : जिन रोगियों को कैंसर के उपचार से गुजरना पड़ता है, उन्हें प्रतिरक्षा प्रणाली से समझौता करना पड़ता है, जिससे वे संक्रमणों के प्रति अधिक संवेदनशील हो जाते हैं, जिनमें कोरोनोवायरस भी शामिल है. और हेमैटोकोलॉजिकल विकृतियों जैसे कि तीव्र माइलॉयड ल्यूकेमिया (AML), लिम्फोमा और मायलोमा विशेष रूप से कमजोर हो सकते हैं, क्योंकि ये कैंसर प्रतिरक्षा प्रणाली को कमजोर करते हैं.

'किसी व्यक्ति का इम्यून सिस्टम कीमोथेरेपी या इम्यूनोथेरेपी या रेडिएशन थेरेपी के माध्यम से कमजोर पड़ जाता है, तो इन उपचारों से गुजरने वाले रोगियों के SARS-CoV-2/ कोविड-19 वायरस से संक्रमित होने का जोखिम बढ़ जाता है.' डॉ. भानु प्रकाश, कंसल्टेंट मेडिकल, हेमाटो-ऑन्कोलॉजी, मेडिकवेर हॉस्पिटल्स (Dr. Bhanu Prakash, Consultant Medical, Hemato-Oncology, Medicare Hospitals) का कहना है कि यहां तक कि वे मरीज जो सक्रिय कैंसर का इलाज नहीं करा रहे है, उनको भी सावधानी बरतनी चाहिए, क्योंकि पिछले थेरेपी का प्रभाव आमतौर पर लंबे समय तक रहता हैं.

'लिम्फोमा के रोगियों को कोविड-19 संक्रमण के जोखिम को कम करने के लिए अतिरिक्त सावधानी बरतनी चाहिए. सामान्य निवारक उपायों के अलावा, भीड़-भाड़ वाली जगहों से दूर रहने, गैर-आवश्यक यात्रा से बचने, तनाव के स्तर को कम करके प्रतिरक्षा प्रणाली को बढ़ावा देने, पर्याप्त नींद लेने, मध्यम शारीरिक व्यायाम करने, और पौष्टिक भोजन का सेवन करने से मदद मिलेगी. डॉ. पी अवंती, कंसल्टेंट मेडिकल ऑन्कोलॉजिस्ट, कॉन्टिनेंटल हॉस्पिटल्स (Dr. P Avanti, Consultant Medical Oncologist, Continental Hospitals) का कहना है कि कुछ लिम्फोमा रोगियों के लिए उपचार एक निरंतर प्रक्रिया है. इसलिए यह सुनिश्चित करना जरूरी है कि इस कठिन समय में उनकी रक्षा करने के लिए अतिरिक्त सावधानी बरती जाए.

विशेषज्ञों का कहना है कि लिम्फोमा पीड़ितों के परिवार के सदस्यों और देखभाल करने वालों को उचित सावधानी और घर पर कोरोनावायरस लाने से बचने के लिए अतिरिक्त सावधानी बरतनी चाहिए. उन्हें रोगियों की लगातार निगरानी, दवाओं को स्टॉक और अन्य आवश्यक आपूर्ति करनी चाहिए, जो कई हफ्तों तक चल सके. जल्दी खराब ना होने वाले भोजन को संग्रहीत करने से बाहर जाने की आवृत्ति को कम किया जा सकता है.

BHU Cancer Research कैंसर पर महत्वपूर्ण अध्ययन, इस रोग को बढ़ाने में लाइसोफॉस्फेटिडिक एसिड की अहम भूमिका

विश्व लिम्फोमा जागरूकता दिवस पर चिकित्सा विशेषज्ञों का कहना है कि इस दिन उन लोगों की रक्षा करने के साधनों पर ध्यान केंद्रित किया जाता है, जो संक्रमण के जोखिम और इसके प्रतिकूल प्रभाव में हैं. लिम्फोमा कैंसर के लिए एक व्यापक शब्द है, जो लसिका प्रणाली की कोशिकाओं में शुरू होता है. दो मुख्य प्रकार हॉजकिन लिंफोमा और नॉन-हॉजकिन लिंफोमा (NHL) हैं. काशी हिंदू विश्वविद्यालय के प्राणि विज्ञान विभाग के वैज्ञानिकों ने टी सेल लिंफोमा (एक प्रकार का इम्यून सेल कैंसर) में एक अत्यंत महत्वपूर्ण अध्ययन किया है. इस अध्ययन में पहली बार इस प्रकार के कैंसर को बढ़ाने में लाइसोफॉस्फेटिडिक एसिड (LPA) की भूमिका प्रदर्शित की गई है.

वैज्ञानिकों (Scientists from the Department of Zoology, Banaras Hindu University) के मुताबिक अभी तक टी सेल लिंफोमा (T cell lymphoma) बढ़ाने में एलपीए की भूमिका तथा टी सेल लिंफोमा के चिकित्सीय उपचार में एलपीए रिसेप्टर की संभावित क्षमता का मूल्यांकन नहीं किया गया है. लाइसोफॉस्फेटिडिक (Lysophosphatidic acid) सबसे सरल प्राकृतिक बायोएक्टिव फॉस्फोलिपिड्स में से एक है, जो ऊतकों की मरम्मत, घाव भरने और कोशिका के जीवित बने रहने में शामिल है. सामान्य शारीरिक स्थितियों के दौरान, एलपीए घाव भरने, आंतों के ऊतकों की मरम्मत, इम्यून सेल माइग्रेशन और भ्रूण के मस्तिष्क विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. हालांकि, डिम्बग्रंथि, स्तन, प्रोस्टेट और कोलोरेक्टल कैंसर (ovarian cancer, breast cancer, prostate cancer, and colorectal cancer) के मामलों में एलपीए व इसके रिसेप्टर का बढ़ा हुआ स्तर देखा गया है.

कोविड-19 का खतरा : लिम्फोमा से पीड़ित मरीजों में रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होने से कोविड-19 से संक्रमित होने का खतरा अधिक होता है. ऐसे में इन्हें उच्च जोखिम वाले समूहों में शामिल किया गया है. क्योंकि लिम्फोमा पीड़ितों को जानलेवा वायरस का शिकार होना पड़ता है. लेकिन किसी भी अध्ययन में यह सिद्ध नहीं हुआ है कि वायरस का सीधा प्रभाव लिम्फोमा या कैंसर पीड़ितों पर पड़ता है. हॉजकिन लिंफोमा को अक्सर ठीक किया जा सकता है. NHL का पूर्वानुमान विशिष्ट प्रकार पर निर्भर करता है. कैंसर कोई अकेली बीमारी नहीं है बल्कि इससे जुड़ी बीमारियों का समूह है. हमारे जीन, हमारी जीवनशैली और हमारे आस-पास के वातावरण में कई चीजें कैंसर होने के हमारे जोखिम को बढ़ा या घटा सकती हैं.

प्रतिरक्षा प्रणाली से समझौता : जिन रोगियों को कैंसर के उपचार से गुजरना पड़ता है, उन्हें प्रतिरक्षा प्रणाली से समझौता करना पड़ता है, जिससे वे संक्रमणों के प्रति अधिक संवेदनशील हो जाते हैं, जिनमें कोरोनोवायरस भी शामिल है. और हेमैटोकोलॉजिकल विकृतियों जैसे कि तीव्र माइलॉयड ल्यूकेमिया (AML), लिम्फोमा और मायलोमा विशेष रूप से कमजोर हो सकते हैं, क्योंकि ये कैंसर प्रतिरक्षा प्रणाली को कमजोर करते हैं.

'किसी व्यक्ति का इम्यून सिस्टम कीमोथेरेपी या इम्यूनोथेरेपी या रेडिएशन थेरेपी के माध्यम से कमजोर पड़ जाता है, तो इन उपचारों से गुजरने वाले रोगियों के SARS-CoV-2/ कोविड-19 वायरस से संक्रमित होने का जोखिम बढ़ जाता है.' डॉ. भानु प्रकाश, कंसल्टेंट मेडिकल, हेमाटो-ऑन्कोलॉजी, मेडिकवेर हॉस्पिटल्स (Dr. Bhanu Prakash, Consultant Medical, Hemato-Oncology, Medicare Hospitals) का कहना है कि यहां तक कि वे मरीज जो सक्रिय कैंसर का इलाज नहीं करा रहे है, उनको भी सावधानी बरतनी चाहिए, क्योंकि पिछले थेरेपी का प्रभाव आमतौर पर लंबे समय तक रहता हैं.

'लिम्फोमा के रोगियों को कोविड-19 संक्रमण के जोखिम को कम करने के लिए अतिरिक्त सावधानी बरतनी चाहिए. सामान्य निवारक उपायों के अलावा, भीड़-भाड़ वाली जगहों से दूर रहने, गैर-आवश्यक यात्रा से बचने, तनाव के स्तर को कम करके प्रतिरक्षा प्रणाली को बढ़ावा देने, पर्याप्त नींद लेने, मध्यम शारीरिक व्यायाम करने, और पौष्टिक भोजन का सेवन करने से मदद मिलेगी. डॉ. पी अवंती, कंसल्टेंट मेडिकल ऑन्कोलॉजिस्ट, कॉन्टिनेंटल हॉस्पिटल्स (Dr. P Avanti, Consultant Medical Oncologist, Continental Hospitals) का कहना है कि कुछ लिम्फोमा रोगियों के लिए उपचार एक निरंतर प्रक्रिया है. इसलिए यह सुनिश्चित करना जरूरी है कि इस कठिन समय में उनकी रक्षा करने के लिए अतिरिक्त सावधानी बरती जाए.

विशेषज्ञों का कहना है कि लिम्फोमा पीड़ितों के परिवार के सदस्यों और देखभाल करने वालों को उचित सावधानी और घर पर कोरोनावायरस लाने से बचने के लिए अतिरिक्त सावधानी बरतनी चाहिए. उन्हें रोगियों की लगातार निगरानी, दवाओं को स्टॉक और अन्य आवश्यक आपूर्ति करनी चाहिए, जो कई हफ्तों तक चल सके. जल्दी खराब ना होने वाले भोजन को संग्रहीत करने से बाहर जाने की आवृत्ति को कम किया जा सकता है.

BHU Cancer Research कैंसर पर महत्वपूर्ण अध्ययन, इस रोग को बढ़ाने में लाइसोफॉस्फेटिडिक एसिड की अहम भूमिका

Last Updated : Sep 15, 2022, 5:56 PM IST
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