वर्तमान समय में एक बार फिर से देश कोरोना संक्रमण की नई लहर के साए में सांसे ले रहा है। चिकित्सक, शोधकर्ता तथा विशेषज्ञ इसी प्रयास में हैं की जल्द से जल्द लोगों को इस महामारी के जंजाल से बाहर निकाल सकें। इस वर्ष 'विश्व स्वास्थ्य दिवस 2021' भी विश्व को रोगमुक्त और स्वस्थ बनाने के उद्देश्य के साथ 'निष्पक्ष तथा स्वस्थ समाज' थीम पर मनाया जा रहा है। हर वर्ष 7 अप्रैल को मनाए जाने वाले 'विश्व स्वास्थ्य दिवस' के अवसर पर ETV भारत सुखीभवा की टीम ने वैश्विक महामारी कोरोना के लगातार बदलते स्वरूप तथा उसके चलते लोगों के स्वास्थ्य पर बढ़ते खतरे को लेकर विभिन्न विधाओं के चिकित्सकों से चर्चा की।
विश्व स्वास्थ्य दिवस का इतिहास
जुलाई 1946 में न्यूयॉर्क शहर में विभिन्न देशों की पहल पर स्वास्थ्य क्षेत्र में कार्य करने के लिए अंतरराष्ट्रीय एनजीओ संस्था के रूप में विश्व स्वास्थ्य संगठन के निर्माण की योजना पारित हुई थी। इसके उपरांत 7 अप्रैल, 1948 को 61 देशों द्वारा विधिवत हस्ताक्षर के उपरांत विश्व स्वास्थ्य संगठन की औपचारिक शुरुआत की घोषणा हुई। वर्ष 1950 से हर वर्ष विश्व स्वास्थ्य संगठन की पहल पर 7 अप्रैल को विश्व स्वास्थ्य दिवस मनाया जाता है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन की ओर से जारी आंकड़ों की मानें तो दुनिया भर के कई देश ऐसे हैं, जहां 60 प्रतिशत से भी ज्यादा लोग जरूरी स्वास्थ्य सेवाओं के अभाव में जी रहे हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन का मुख्य उद्देश्य वैश्विक स्तर पर हर वर्ग के अंतर्गत आने वाले देशों में स्वास्थ्य संबंधी जरूरतों की दिशा में सही कदम उठाना तथा लोगों में विभिन्न रोगों व बीमारियों के बारे में जागरूकता फैलाने के लिए कार्यक्रमों का आयोजन करना है। अपने इस उद्देश की पूर्ति के लिए विश्व स्वास्थ्य संगठन हमेशा से प्रयासरत है। विशेष तौर पर कोविड-19 महामारी की बात करें तो इस निराशाजनक दौर की शुरुआत से ही विश्व स्वास्थ्य संगठन की ओर से विभिन्न स्तरों पर इस रोग से लड़ने तथा सभी लोगों तक जरूरी स्वास्थ्य सुविधाएं मुहैया कराने के लिए प्रयास किए जा रहे हैं।
कोरोना को लेकर विश्व स्वास्थ्य संगठन की रिपोर्ट
विश्व स्वास्थ्य संगठन की ओर से कोरोना के बारे में जारी एक रिपोर्ट के अनुसार कोविड -19 से प्रभावित होने वाले लोगों के इलाज में उनकी देश, काल, परिस्थिति, शिक्षा, पर्यावरण, उनकी आर्थिक स्थिति सहित स्वास्थ्य सेवाओं तथा सही चिकित्सा की उपलब्धता भी बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। जनहित तथा जन सेवा के लिए विश्व स्वास्थ्य संगठन की तरफ से कोविड-19 के मद्देनजर कुछ उद्देश्य भी निर्धारित किए गए, जो इस प्रकार हैं;
- विभिन्न राष्ट्रों के वरिष्ठों के साथ मिलकर इस प्रकार से प्रयास तथा योजना निर्माण करना, कि हर वर्ग के लोगों को जरूरी स्वास्थ्य सेवाएं मिल सके।
- लोगों के स्वास्थ्य की नियमित जांच तथा निरीक्षण कर आंकड़े एकत्रित किया जाए, जिससे सबसे ज्यादा प्रचलित समस्याओं के बारे में जानकारी मिल सके।
- इस बात को सुनिश्चित किया जाए कि हर वर्ग और आयु के लोगों को सभी प्रकार की जरूरी स्वास्थ्य सुविधाएं तथा इलाज व दवाइयां मुहैया हो पाए।
- दुनिया भर में आर्थिक समस्याओं के चलते स्वास्थ्य संबंधी सुविधाओं का फायदा ना उठा सकने वाले लोगों की मदद के लिए प्रयास किया जाना।
विश्व स्वास्थ्य दिवस पर कोरोनावायरस को लेकर चिकित्सकों का नजरिया
वर्ष 2020 की शुरुआत से ही कोरोना ने जनजीवन को बुरी तरह से प्रभावित किया हुआ है। कोरोना से इस जंग में स्वास्थ्य कर्मियों तथा चिकित्सकों ने सबसे आगे रहकर अपनी-अपनी भागीदारी सुनिश्चित की। लेकिन अब फिर से कोविड-19 के पीड़ितों का आंकड़ा बढ़ने लगा हैं तथा इस नई लहर को चिकित्सक पहले से ज्यादा गंभीर मान रहे है।
कोविड-19 संक्रमण की नई लहर की गंभीरता के बारे में एप्पल अस्पताल, इंदौर के जनरल फिजिशियन डॉक्टर संजय जैन बताते हैं की कोरोनावायरस एक वायरल संक्रमण है और वायरल संक्रमण हमेशा अपनी संरचना बदलते रहते हैं। कोरोना के बढ़ते मामलों को संक्रमण की बदली संरचना की ही देन माना जा रहा है। डॉ. जैन बताते हैं की पहले के मुकाबले जितनी तेजी से यह संक्रमण फैल रहा है, उतने ही ज्यादा सघन इसके लक्षण भी नजर आ रहे हैं। आंकड़ों की माने तो नई लहर का असर ना सिर्फ उम्रदराज लोगों बल्कि बच्चों के स्वास्थ्य पर पहले से ज्यादा पड़ रहा है।
वरिष्ठ ऑर्थोपेडिक सर्जन डॉ. हेम जोशी भी कोरोना की नई लहर के चलते लोगों के स्वास्थ्य पर पड़ने वाले ज्यादा गंभीर प्रभावों को लेकर चिंता जताते हैं। डॉक्टर जोशी बताते हैं कि हालांकि अभी भी कोमोरबिडिटी के शिकार लोगों में कोरोना होने का खतरा दूसरों के मुकाबले काफी ज्यादा है, लेकिन उनके पास सलाह के लिए आने वाले ऐसे संक्रमण पीड़ितों की संख्या बढ़ी है, जिनका पूरा का पूरा परिवार संक्रमित है। हालांकि डॉ. जोशी बताते हैं कि कोरोनावायरस पुष्टि होने पर यदि पीड़ित की अवस्था ज्यादा गंभीर नहीं है, तो होम क्वारंटाइन होकर भी वह इस रोग से मुक्ति पा सकते हैं, बशर्ते वह चिकित्सक द्वारा बताई गई सभी दवाइयों का नियमित तौर पर सेवन करें तथा उनके दिशा निर्देशों का पालन करें।
बाल रोग विशेषज्ञ डॉक्टर सोनाली नवले पुरंदरे बताती हैं कि कोरोना संक्रमण के शुरुआती दौर में माना जा रहा था कि बच्चों को यह संक्रमण बहुत ज्यादा प्रभावित नहीं करता है, क्योंकि उनकी इम्यूनिटी मजबूत होती है। लेकिन कोरोना की नई लहर का अब असर बच्चों पर भी काफी बढ़ रहा है। वे बताती हैं की संक्रमण की संरचना में हुए म्यूटेशन के चलते फिलहाल स्थिति ऐसी है कि दो-तीन महीने से लेकर हर आयु के बच्चों को यह संक्रमण अपनी चपेट में ले सकता है। बच्चों में कोरोना के लक्षणों के बारे में वे बताती हैं बच्चों में हालांकि कोरोना के लक्षणों में ज्यादा अंतर नजर नहीं आ रहा है। पहले की ही भांति कफ, कोल्ड तथा बुखार कोरोना के सामान्य लक्षण है।
वहीं वरिष्ठ बाल रोग चिकिसक डॉ. लतिका जोशी बताती है कि आमतौर पर परिवार में बच्चों में ज्यादा लक्षणों पर ध्यान नहीं दिया जाता है, तो ऐसे में बच्चे कोरोना के कैरियर भी बन जाते हैं। डॉ. जोशी बताती हैं की वर्तमान पारिस्थितियों में जरूरी हैं की बच्चों में हल्के से लक्षण नजर आने पर भी उनकी जांच प्रमुखता से कारवाई जाए।
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वरिष्ठ मनोचिकित्सक डॉ. वीणा कृष्णन बताती हैं की कोरोना का टीका बाजार में आने से कहीं ना कहीं लोगों के मन में एक तसल्ली उत्पन्न हो गई थी की अब इस रोग से मुक्ति मिल पाएगी। लेकिन कोरोना की इस नई लहर के कारण लगातार बढ़ रहे कोरोना के मामलों ने एक बार फिर से लोगों के मन में तनाव, बैचेनी और चिंता को बढ़ा दिया है। हालांकि पहले के मुकाबले इस संक्रमण तथा उससे जुड़ी जानकारियों को लेकर जागरूकता तथा कहीं ना कहीं इस संक्रमण के साथ इतना लंबा अरसा गुजरने के कारण इन मानसिक दबावों की तीक्ष्णता पहले के मुकाबले कम है।