सीओपीडी यानी क्रॉनिक ऑब्स्ट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज फेफड़ों का वह रोग है जिसमें हमारी सांस लेने की क्षमता पर असर पड़ता है। अस्थमा और ब्रोंकाइटिस से मिलते जुलते इस रोग के बारे में आम लोगों में बहुत ज्यादा जानकारी नहीं है। दुनिया भर में लोगों को सीओपीडी के बारे में जानकारी देने तथा इस रोग से बचाव के बारे में जागरूक करने के उद्देश्य से संस्था “ग्लोबल इनीशिएटिव फॉर क्रॉनिक ऑब्स्ट्रक्टिव लंग डिजीज “ (gold), स्वास्थ्य तथा चिकित्सा क्षेत्र से जुड़ी विभिन्न संस्थाओं तथा सीओपीडी रोग के मरीजों के साथ मिलकर नवंबर माह के तीसरे बुधवार को विश्व सीओपीडी दिवस मनाती हैं। इस वर्ष यह विशेष दिवस 18 नवंबर को “ सीओपीडी के साथ बेहतर जिंदगी जिए- हर कोई, हर जगह” थीम पर मनाया जा रहा है।
क्या है सीओपीडी
डब्ल्यूएचओ के अनुसार क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (सीओपीडी) फेफड़ों से संबंधित बीमारी है। क्रॉनिक ब्रोंकाइटिस और एंफिसेमा नाम से जाने जाने वाली इस बीमारी में मरीज को सांस लेने में समस्या होने लगती है तथा उसके शरीर की ऊर्जा कम हो जाती है, जिसके कारण थोड़ा था चलने पर या कोई भी काम करने पर उसकी सांस फूलने लगती है और वह थकान महसूस करने लगता है। सही समय पर ध्यान न देने पर और सही इलाज ना मिलने पर यह बीमारी जानलेवा भी हो सकती है।
सीओपीडी के लक्षण
सीओपीडी के लक्षण काफी हद तक अस्थमा और ब्रोंकाइटिस से मिलते हैं, लेकिन यह बीमारी उनसे अलग है। इस बीमारी के सामान्य लक्षण इस प्रकार हैं
- सांस फूलना सांस लेने में समस्या
- हद से ज्यादा बलगम या कफ
- पुरानी खांसी
- सांस लेने में घरघराहट
- श्वसन तंत्र में लगातार संक्रमण होना
- थकान
कारण
इस क्षेत्र में शोध कर रहे विभिन्न शोधकर्ता तथा चिकित्सक मानते हैं कि सीओपीडी का मुख्य कारण धूम्रपान तथा वातावरण में बढ़ता प्रदूषण है। इसके अलावा पुराना अस्थमा, कीटनाशक तथा पेंट जैसे रसायन का एक्सपोजर और पुरानी टीवी इस रोग की मुख्य वजह मानी जाती हैं।
इस रोग का रोगी के शरीर पर असर
द सेंटर्स फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रीवेंशन( सीडीसी) विभाग के अनुसार यह रोग होने पर पीड़ित को अपने रोजमर्रा के साधारण कार्य को करने में भी थकान और परेशानी अनुभव होने लगती है। इस रोग के मरीजों के शरीर पर पाए जाने वाले मुख्य असर इस प्रकार हैं।
- व्यक्ति को चलने तथा सीढ़ी चढ़ने जैसी साधारण गतिविधि में भी सांस फूलने लगती है।
- उसे समय-समय पर ऑक्सीजन सिलेंडर की जरूरत पड़ती है।
- वह बाहर जाकर होटल रेस्टोरेंट में खाना नहीं खा पाता है, इसके अलावा वह किसी भी प्रकार के पारिवारिक तथा सामाजिक समारोह या आयोजन का हिस्सा नहीं बन पाता है।
- उसमें असमंजस की स्थिति बढ़ने लगती है तथा भूलने की बीमारी होने लगती है।
- नियमित तौर पर अस्पताल जाना पड़ता है।
- इस रोग का रोगी के मानसिक और भावनात्मक स्वास्थ्य पर भी असर पड़ता है।
- स्वास्थ्य लगभग हमेशा ही खराब रहता है तथा अर्थराइटिस, मधुमेह, ह्रदय रोग तथा स्ट्रोक जैसी समस्याएं होने का खतरा बढ़ जाता है।
उपचार
इस बीमारी के लक्षण नजर आते ही सबसे जरूरी है कि तुरंत चिकित्सक से सलाह ली जाए तथा शीघ्र-अति शीघ्र उपचार शुरू किया जाए। दवाइयों के सेवन के अलावा बहुत जरूरी है कि इस रोग के पीड़ित कुछ विशेष सावधानियों का ध्यान बरतें, जिससे वह इस गंभीर रोग के असर से स्वयं का बचाव कर सकें।
- धूम्रपान बिलकुल छोड़ दें।
- ऐसे लोगों से दूरी बनाकर रखें जो धूम्रपान कर रहे हो।
- जहां तक संभव हो सके स्वयं को वायु प्रदूषण से बचाएं।
- अपने चिकित्सक से फुफ्फुसीय पुनर्वास के बारे में पता करें।
- किसी भी प्रकार के फेफड़ों संबंधी संक्रमण से स्वयं को बचाने का प्रयास करें
- ऑक्सीजन की कमी महसूस होने पर पूरक ऑक्सीजन का उपयोग करें।
सीओपीडी मरीजों के लिए जरूरी स्वास्थ संबंधी व्यायाम
अमेरिकन लंग एसोसिएशन के अनुसार फेफड़ों संबंधी व्यायाम से ओपीडी मरीजों को काफी फायदा होता है। व्यायाम के नियमित अभ्यास से मरीजों की श्वास लेने संबंधी समस्याओं में कमी आती है। चिकित्सकों का भी मानना है योग और प्राणायाम से सीओपीडी से पीड़ित रोगियों की श्वसन प्रक्रिया में सुधार आता है। वह योग प्रशिक्षक मानते हैं कि यदि सीओपीडी के शुरुआती चरण से ही प्राणायाम का नियमित अभ्यास किया जाए तो मरीजों की स्थिति काफी बेहतर होती है।