कॉम्प्लेक्स साइक्लिक डिसऑर्डर माने जाने वाले बाइपोलर डिसऑर्डर को डिप्रेशन तथा हाइपोमेनिया का संयुक्त प्रभाव माना जाता हैं। आंकड़े बताते हैं कि बाइपोलर डिसऑर्डर वैश्विक आबादी के करीब 2.7 फीसदी लोगों को प्रभावित करता है। वही कुछ जानकार मानते हैं की लगभग हर 100 में से एक व्यक्ति को बाइपोलर डिसऑर्डर होने की आशंका रहती है। वहीं इस मनोविकार को लेकर किए गए कुछ अन्य शोध तथा उनसे प्राप्त आंकड़ों की माने तो दुनिया भर में हर वर्ष आत्महत्या करने वालों में से एक बड़ा प्रतिशत इस मनोविकार से पीड़ित लोगों का होता हैं। इस गंभीर मनोविकार के सही स्वरूप तथा इसकी गंभीरता को लेकर वैश्विक स्तर पर जनजागरूकता फैलाने के उद्देश्य से हर साल 30 मार्च को 'विश्व बाइपोलर दिवस' मनाया जाता है।
इस वर्ष यानी विश्व बाइपोलर दिवस 2021 को मनाए जाने के लिए विशेष रूप से सोशल नेटवर्किंग साइट्स के माध्यम से इस रोग को लेकर जानकारी तथा इसकी संवेदनशीलता को जन-जन तक पहुंचाए जाने का उद्देश्य निर्धारित किया गया है। जिसके लिए लोगों से इस मनोविकार को लेकर जागरूकता फैलाने वाले फोटो तथा वीडियो को हैशटैग #वर्ल्डबाइपोलरडे तथा #बाइपोलरस्ट्रॉन्ग वाइल्स्ट टैगिंग @इंटलबाइपोलर के साथ ट्विटर तथा इंस्टाग्राम पर तथा @इन्टरनेशनलबाइपोलरफाउंडेशन के साथ फेसबुक पर अपलोड करने के लिए अपील की जा रही है।
बाइपोलर डिसऑर्डर
विश्व बाइपोलर दिवस 2021 के अवसर पर इस मानसिक विकार के बारे में ETV भारत सुखीभवा की टीम को ज्यादा जानकारी देते हुए वरिष्ठ मनोचिकित्सक डॉ. वीना कृष्णन बताती है की बाइपोलर डिसऑर्डर एक मूड डिसऑर्डर है, जिसे उन्माद और हाइपोमेनिया के रूप में भी समझा जा सकता है। इस मनोविकार में व्यक्ति का मूड बार-बार बदल सकता है, मूड बदलने की अवधि कभी कुछ दिनों की हो सकती है, तो कभी महीनों की। कभी वह ऊर्जा से भरा महसूस कर सकता है, तो कभी लगातार बिना थकान महसूस किए दिन और रात काम करता या सोचता रहता है। और कभी अकारण गहन अवसाद का शिकार हो जाता है। इस अवस्था में बदलाव हाइपोमेनिक भी हो सकते है। यदि समय पर इस मनोविकार के बारे में पता चल जाए, तो व्यक्ति के व्यवहार को विभिन्न थेरेपी तथा दवाइयों की मदद से नियंत्रित किया जा सकता है, लेकिन यदि समस्या बढ़ जाए, तो व्यक्ति आत्महत्या या अन्य तरीकों से स्वयं को हानी पहुंचाने का प्रयास कर सकता है।
बाइपोलर डिसऑर्डर होने के संकेत
जानकार बताते हैं की इस मनोविकार में मूड एपिसोड वैकल्पिक होते हैं और आमतौर पर बदलते रहते हैं। लेकिन इसके संकेतों को अगर समय रहते पहचान लिया जाए, तो किसी की जिंदगी बचाई जा सकती है। बाइपोलर मनोविकार के मुख्य संकेत तथा लक्षण इस प्रकार हैं;
- नींद ना आना
- तनाव, क्रोध, डिप्रेशन और थकान होना
- व्यवहार में चिड़चिड़ापन
- सोचने में परेशानी होना तथा भूलने की बीमारी हो जाना
- किसी भी काम को अच्छे से नहीं कर पाना
- दूसरों से बात करने में परेशानी होना
- ऊर्जा की कमी या काम में मन ना लगना
- हमेशा अपने ख्यालों में खोया रहना। विचारों पर काबू ना कर पाना
- नशीले पदार्थों की लत
- खरीदारी जैसी आदतों पर नियंत्रण ना कर पाना और बेकार की चीजों पर बहुत पैसा खर्च करना
- खाना ना खाना या बहुत कम खाना
- अकारण और अचानक दुखी होना
- इस तरह के विचारों पर व्यक्ति का कोई नियंत्रण नहीं रहना
- कोई भी बात को बार-बार बोलना, जल्दी-जल्दी बोलना या लगातार दोहराते रहना
- स्वयं को नुकसान पहुंचाने वाले काम करना, जैसे कि काटना, जलाना या किसी दवाई का ओवरडोज कर लेना
- आत्महत्या जैसे विचार बार-बार आना
- बैचैनी भरा या लापरवाह व्यवहार, जैसे कि असुरक्षित यौन संबंध और लापरवाह ड्राइविंग
- अकेले में डरना
- लोगों के साथ होते हुए भी अकेलेपन का एहसास होना
बाइपोलर डिसऑर्डर के कारण
ज्यादातर मामलों में मस्तिष्क में होने वाले भौतिक बदलाव इस मनोविकार के लिए जिम्मेदार माने जाते हैं। वहीं न्यूरोट्रांसमीटर, यानि प्राकृतिक रूप से हमारे मस्तिष्क के रसायनों में असंतुलन के कारण यह मनोविकार हो सकता है।
व्यवहारपरक कारणों की बात करें तो, डॉ. कृष्णन बताती है कि इंसानी आदतों में तुलना करना सबसे आम बात है, विशेषतौर पर इंसानों की आदतों, उनके व्यवहार, उनकी शख्सियत तथा सौन्दर्य, तो कई बार उनकी सामाजिक व आर्थिक स्थिति तुलना का आधार बनती है। लोगों का तुलनात्मक व्यवहार ऐसे लोगों के मन में हीन भावना या असुरक्षा का भाव उत्पन्न कर देता है, जिन्हें कमतर आंका जाता है। यह समस्या बाइपोलर डिसऑर्डर होने का बड़ा कारण होती है।
इसके अलावा हद से ज्यादा नशीले पदार्थों के सेवन की लत भी इस समस्या का कारण बन सकती है। बहुत ज्यादा तनाव या अवसाद की स्थिति भी इस रोग को जन्म देती है।
डॉ. कृष्णन बताती है की बाइपोलर डिसऑर्डर आनुवंशिक रोग की श्रेणी में भी आता है। ऐसे लोग जिनके परिवार में इस मनोविकार के रोगी हो, उन्हें यह समस्या होने का खतरा ज्यादा रहता है।
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बाइपोलर डिसऑर्डर होने पर ध्यान देने योग्य बातें
- जहां तक संभव हो तनाव से बचें।
- नशीले पदार्थों तथा धूम्रपान से दूर रहें।
- बाइपोलर डिसऑर्डर में नियमित योग, ध्यान तथा व्यायाम का अभ्यास बेहतर उपाय है। यह शरीर को स्वस्थ रखने के साथ ही भवनाओं को नियंत्रित रखने तथा नींद ना आने जैसी समस्या को दूर करने में मदद करते है।
- सक्रिय दिनचर्या का पालन करें।
- संतुलित और पौष्टिक आहार लें, तथा खाने- पीने में अनुशासन बरतें।
- सकारात्मक सोच बनाए रखें।