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क्यों अनिश्चितता हमें व्यवहार बदलने पर मजबूर कर देती है: शोध - अनिश्चितता

दुनिया भर में लोगों का खरीदारी करने का पैटर्न कोविड-19 के दौरान काफी ज्यादा बदला है। भविष्य की अनिश्चितताओं को लेकर इस दौर में बहुत से लोगों और दुकानदारों ने घर में इस्तेमाल आने वाले सामानों की जरूरत से काफी ज्यादा मात्रा में खरीदारी की , विशेष तौर पर टॉयलेट पेपर जैसे उत्पादों की। जिसका नतीजा यह रहा कि बाजार में घरेलू इस्तेमाल में आने वाले ज्यादातर सामानों की काफी कमी हो गई।

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Behavior amidst uncertainty
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Published : Aug 10, 2021, 3:27 PM IST

यूएनएसडब्ल्यू सिडनी द्वारा किए गए एक शोध में सामने आया है भविष्य में अनिश्चितता की संभावना को लेकर घर या दुकान में जरूरी समान का स्टाक भर लेने जैसा आमजन का प्रतिक्रियाशील व्यवहार न सिर्फ सामान्य है, बल्कि यह अप्रत्याशित अनिश्चितता को संभालने का एक सामान्य तरीका भी है। शोध के मुख्य सूत्रों में इस बात ने अपनी सत्यता साबित की है कि अप्रत्याशित अनिश्चितता, परिवर्तन के लिए इतनी शक्तिशाली प्रेरणा है कि यह अक्सर हमें अपने व्यवहार को समायोजित करने के लिए प्रेरित करती है, भले ही यह हमारे लिए अच्छा या लाभदायक न हो।

पुरानी सोच के बावजूद व्यवहार बदलने का प्रयास

शोध में पाया गया कि लोग परिसतिथ्यों के अनुरूप अपने व्यवहार और निर्णय लेने की रणनीतियों को बदलने की कोशिश कर सकते हैं और नियंत्रण की भावना हासिल करने का तरीका ढूंढ सकते हैं। भले ही मूल रूप से वे पुरानी रणनीति से चिपके रहना बेहतर समझते थे।

शोध के दौरान यह जांचने के लिए कि लोग अप्रत्याशित परिवर्तन की परिस्थितियों में कैसी प्रतिक्रिया देते हैं, एक गतिविधि का सहारा लिया गया । जिसमें अध्ययन प्रतिभागियों को वर्चुअल पटल पर दो विषयों में से एक को वस्तुओं की एक जोड़ी बेचने का काम सौंपा गया । प्रतिभागियों का कार्य सरल था, उन्हे इस प्रक्रिया में अधिक से अधिक अंक ( 'विदेशी डॉलर' के स्वरूप में ) प्राप्त करने थे। जिसके लिए प्रतिभागियों को यह चुनने की आवश्यकता थी कि किस एलियन को रसायनों की एक जोड़ी बेचनी है। लेकिन यहाँ एलियन द्वारा किया जाने वाला भुगतान केवल एक रसायन द्वारा ही निर्धारित होना था। सर्वप्रथम 35 प्रतिभागियों के एक प्रारंभिक समूह को इस कार्य से परिचित कराया गया। जो इस कार्य के लिए जरूरी रणनीति से जल्द ही परिचित हो गए और बेहतर परिणाम देने लगे। इस समूह ने रणनीति को समझते हुए (जैसे, विकल्प ए) 15 अंकों का बेहतर प्रस्ताव दिया। लेकिन प्रयोग के बीच में, इनाम पैटर्न बदल गया, और विकल्प ए ने अब 8 और 22 अंकों के बीच एक यादृच्छिक संख्या दी।

इस शोध के दौरान होने वाली गतिविधि में प्रतीकात्मक रूप में उदाहरण स्वरूप काफी बातें सामने आई, जैसे तालाबंदी और भविष्य को लेकर अनिश्चितता ने समाज को किस तरह प्रभावित किया है, जैसे घर में बैठ कर पढ़ाई या नौकरी आदि। या फिर किस तरह से लोगों की खरीदारी का पैटर्न बदला। दरअसल अपने जन्म के उपरांत जिन नियमों के साथ लोग अपना जीवन यापन कर रहे थे, महामारी के चलते वे अब पूरी तरह से बदल गए है। हालांकि महामारी कब और कैसे समाप्त होगी, इस बारे में कोई स्पष्ट उत्तर नहीं है लेकिन लोग इस नई अनिश्चितता को कम करने और 'सामान्य पटरी' पर लौटने के लिए सही-गलत, हर संभव तरह की कोशिश कर रहें है।

बॉयलिंग फ्रॉग सिंड्रोम

शोध के पहले चरण में जहां अप्रत्याशित अनिश्चितता के कारण नाटकीय प्रतिक्रियाएं हुईं और अपेक्षित अनिश्चितता का विपरीत प्रभाव पड़ा। परीक्षण के दूसरे चरण में भी 35 प्रतिभागियों का दूसरे समूह ने भी अनिश्चितता का परिचय दिया। अब विकल्प ए के सामान्य 15 अंक 14-16 अंक में बदल गए, और वे तब तक बदलते रहे जब तक वह पहले 13-17 अंक, और फिर 8-22 अंक तक नहीं पहुंच गए।

यूएनएसडब्ल्यू मेडिसिन एंड हेल्थ में मनोचिकित्सा विभाग में शोधकर्ता डॉ वॉकर बताते हैं की अनिश्चितता के बारे में निश्चित होना एक ऐसी चीज है जिसका सामना मनुष्य हर दिन करता है। लेकिन कोविड -19 महामारी ने हमारे जीवन के प्रमुख क्षेत्रों, जैसे करियर, स्वास्थ्य और रहने की परिस्थितियों पर अनिश्चितता की एक नई ही परत चढ़ा दी है। डॉ वॉकर बताते हैं की "हालांकि यह अध्ययन महामारी के दौरान मानव व्यवहार की पूरी तस्वीर प्रस्तुत नहीं करता है लेकिन यह कुछ हद तक यह समझाने में मदद कर सकता है कि इतने सारे लोगों ने इन परिसतिथ्यों में जीवन को निश्चितता से जोड़ने के लिए नए तरीकों की तलाश क्यों की है या कर रहें है।

पढ़ें: बदल रही है टीनएजर्स की दुनिया, कूल या अनकूल?

यूएनएसडब्ल्यू सिडनी द्वारा किए गए एक शोध में सामने आया है भविष्य में अनिश्चितता की संभावना को लेकर घर या दुकान में जरूरी समान का स्टाक भर लेने जैसा आमजन का प्रतिक्रियाशील व्यवहार न सिर्फ सामान्य है, बल्कि यह अप्रत्याशित अनिश्चितता को संभालने का एक सामान्य तरीका भी है। शोध के मुख्य सूत्रों में इस बात ने अपनी सत्यता साबित की है कि अप्रत्याशित अनिश्चितता, परिवर्तन के लिए इतनी शक्तिशाली प्रेरणा है कि यह अक्सर हमें अपने व्यवहार को समायोजित करने के लिए प्रेरित करती है, भले ही यह हमारे लिए अच्छा या लाभदायक न हो।

पुरानी सोच के बावजूद व्यवहार बदलने का प्रयास

शोध में पाया गया कि लोग परिसतिथ्यों के अनुरूप अपने व्यवहार और निर्णय लेने की रणनीतियों को बदलने की कोशिश कर सकते हैं और नियंत्रण की भावना हासिल करने का तरीका ढूंढ सकते हैं। भले ही मूल रूप से वे पुरानी रणनीति से चिपके रहना बेहतर समझते थे।

शोध के दौरान यह जांचने के लिए कि लोग अप्रत्याशित परिवर्तन की परिस्थितियों में कैसी प्रतिक्रिया देते हैं, एक गतिविधि का सहारा लिया गया । जिसमें अध्ययन प्रतिभागियों को वर्चुअल पटल पर दो विषयों में से एक को वस्तुओं की एक जोड़ी बेचने का काम सौंपा गया । प्रतिभागियों का कार्य सरल था, उन्हे इस प्रक्रिया में अधिक से अधिक अंक ( 'विदेशी डॉलर' के स्वरूप में ) प्राप्त करने थे। जिसके लिए प्रतिभागियों को यह चुनने की आवश्यकता थी कि किस एलियन को रसायनों की एक जोड़ी बेचनी है। लेकिन यहाँ एलियन द्वारा किया जाने वाला भुगतान केवल एक रसायन द्वारा ही निर्धारित होना था। सर्वप्रथम 35 प्रतिभागियों के एक प्रारंभिक समूह को इस कार्य से परिचित कराया गया। जो इस कार्य के लिए जरूरी रणनीति से जल्द ही परिचित हो गए और बेहतर परिणाम देने लगे। इस समूह ने रणनीति को समझते हुए (जैसे, विकल्प ए) 15 अंकों का बेहतर प्रस्ताव दिया। लेकिन प्रयोग के बीच में, इनाम पैटर्न बदल गया, और विकल्प ए ने अब 8 और 22 अंकों के बीच एक यादृच्छिक संख्या दी।

इस शोध के दौरान होने वाली गतिविधि में प्रतीकात्मक रूप में उदाहरण स्वरूप काफी बातें सामने आई, जैसे तालाबंदी और भविष्य को लेकर अनिश्चितता ने समाज को किस तरह प्रभावित किया है, जैसे घर में बैठ कर पढ़ाई या नौकरी आदि। या फिर किस तरह से लोगों की खरीदारी का पैटर्न बदला। दरअसल अपने जन्म के उपरांत जिन नियमों के साथ लोग अपना जीवन यापन कर रहे थे, महामारी के चलते वे अब पूरी तरह से बदल गए है। हालांकि महामारी कब और कैसे समाप्त होगी, इस बारे में कोई स्पष्ट उत्तर नहीं है लेकिन लोग इस नई अनिश्चितता को कम करने और 'सामान्य पटरी' पर लौटने के लिए सही-गलत, हर संभव तरह की कोशिश कर रहें है।

बॉयलिंग फ्रॉग सिंड्रोम

शोध के पहले चरण में जहां अप्रत्याशित अनिश्चितता के कारण नाटकीय प्रतिक्रियाएं हुईं और अपेक्षित अनिश्चितता का विपरीत प्रभाव पड़ा। परीक्षण के दूसरे चरण में भी 35 प्रतिभागियों का दूसरे समूह ने भी अनिश्चितता का परिचय दिया। अब विकल्प ए के सामान्य 15 अंक 14-16 अंक में बदल गए, और वे तब तक बदलते रहे जब तक वह पहले 13-17 अंक, और फिर 8-22 अंक तक नहीं पहुंच गए।

यूएनएसडब्ल्यू मेडिसिन एंड हेल्थ में मनोचिकित्सा विभाग में शोधकर्ता डॉ वॉकर बताते हैं की अनिश्चितता के बारे में निश्चित होना एक ऐसी चीज है जिसका सामना मनुष्य हर दिन करता है। लेकिन कोविड -19 महामारी ने हमारे जीवन के प्रमुख क्षेत्रों, जैसे करियर, स्वास्थ्य और रहने की परिस्थितियों पर अनिश्चितता की एक नई ही परत चढ़ा दी है। डॉ वॉकर बताते हैं की "हालांकि यह अध्ययन महामारी के दौरान मानव व्यवहार की पूरी तस्वीर प्रस्तुत नहीं करता है लेकिन यह कुछ हद तक यह समझाने में मदद कर सकता है कि इतने सारे लोगों ने इन परिसतिथ्यों में जीवन को निश्चितता से जोड़ने के लिए नए तरीकों की तलाश क्यों की है या कर रहें है।

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