माना जाता है कि शरीर पर बढ़ती उम्र के असर के चलते महिलाओं और पुरुषों में यौन संबंध बनाने की इच्छा भी कम होने लगती है, लेकिन इसे पूरी तरह सत्य नहीं माना जा सकता. चिकित्सक तथा जानकारों का मानना है किसी भी व्यक्ति में बढ़ती उम्र में यौन इच्छा में कमी के लिए शारीरिक बदलाव या बदलती जरूरतों के साथ ही कई शारीरिक, मानसिक और व्यवहारिक कारण भी जिम्मेदार होते हैं.
व्यस्क होने के उपरांत शारीरिक संबंध ना सिर्फ महिला बल्कि पुरुष के बेहतर शारीरिक तथा मानसिक स्वास्थ्य के लिए भी जरूरी माने जाते हैं. जिंदगी का अहम हिस्सा होने के बावजूद अभी भी हमारे समाज में सेक्स संबंध या उससे जुड़े मुद्दों पर बात करना वर्जित माना जाता है. सेक्स संबंधों को लेकर समाज की वर्जनाएं उस समय लोगों पर ज्यादा भारी पड़ने लगती हैं जब उम्र बढ़ने या अन्य कारणों से उनकी यौन इच्छाएं और जरूरतें बदलने लगती हैं या फिर वे किसी शारीरिक या मानसिक समस्या के चलते सेक्स संबंधों से विरक्तता महसूस करने लगते हैं. इन सब के बारे में वे किसी से भी खुल कर बात नहीं कर पाते हैं.
दरअसल उम्र बढ़ने के साथ-साथ ना सिर्फ महिला और पुरुष के शरीर में परिवर्तन आता है बल्कि उनके सामाजिक और पारिवारिक जीवन में भी परिवर्तन आता है. ऐसे में बहुत से कारण तथा समस्याएं हो सकती हैं जो अलग-अलग तरह से उनके सेक्सुअल जीवन को प्रभावित कर सकती हैं.
बढ़ती उम्र का पुरुषों मैं यौन उत्तेजना पर असर
चिकित्सक तथा जानकार मानते हैं कि 20 के दशक में पुरुषों में टेस्टोस्टेरोन नाम का हार्मोन, जिससे शारीरिक संबंधों के दौरान उत्तेजना बढ़ाने के लिए जिम्मेदार माना जाता है, सबसे ज्यादा मात्रा में पाया जाता है. इसीलिए आम अवधारणा है कि इस उम्र में पुरुष यौनिक संबंधों को लेकर ज्यादा सक्रिय रहते हैं, लेकिन यह सही नही है. आमतौर पर देखने में आता है कि 30 से 40 वर्ष की आयु में पुरुष सेक्स संबंधों को लेकर सबसे ज्यादा सक्रिय होते हैं.
इन दौर में यौन इच्छा में कमी के कारणों को लेकर बात करें तो यह सत्य है कि सामान्यतः 35 वर्ष की आयु के बाद पुरुषों में टेस्टोस्टेरोन हार्मोन का स्तर शरीर में धीरे-धीरे कम होने लगता है. लेकिन यही वह समय भी होता है जब व्यक्ति अपनी सामाजिक तथा आर्थिक स्थिति को सुदृढ़ करने के लिए कड़ी मेहनत कर रहा होता है. ऐसे में कई पुरुषों में व्यस्तता, तनाव, घर की परेशानियों तथा काम से दबाव के चलते सेक्स ड्राइव में कमी आने लगती है. जिसे उम्र कए शरीर पर असर से लोग जोड़ कर देखने लगते हैं.
बढ़ती उम्र का महिलाओं के सेक्सुअल रिश्तों पर असर
वहीं महिलाओं की बात करें तो प्रजनन के लिए 20 से 30 वर्ष की उम्र महिलाओं के लिए आदर्श मानी जाती है. वहीं, हमारे समाज में भी ज्यादातर शादी के लिए भी इसी आयु को आदर्श माना जाता है, ऐसे में लोगों को लगता है कि इस उम्र में महिलाओं की कामेच्छा काफी तीव्र होती है. लेकिन 30 से 40 की उम्र वाली महिलाओं में यौन इच्छा उनके जीवन के सबसे प्रबल दौर में होती है. महिलाओं में बढ़ती उम्र में यौन इच्छा में कमी के कारणों की बात करें तों 30 साल के उपरांत महिलाओं की प्रजनन क्षमता कम होने लगती है. वहीं, 45 वर्ष के बाद उनमें रजोनिवृत्ति के लक्षण नजर आने लगते हैं. लेकिन इन दोनों कारणों को उनमें यौन इच्छा की कमी के लिए पूरी तरह से जिम्मेदार नही ठहराया जा सकता है. यह सत्य है की रजोनिवृत्ति की प्रक्रिया के दौरान शारीरिक बदलावों के चलते कुछ हद तक महिलाएं यौन इच्छा में कमी महसूस कर सकती हैं, लेकिन ऐसा भी माना जाता है की कुछ महिलाओं में जब रजोनिवृत्ति के उपरांत गर्भधारण करने की चिंता समाप्त हो जाती है ऐसे में वह यौन संबंधों को लेकर ज्यादा उत्साहित महसूस करने लगती हैं. यौन इच्छा में कमी के लिए उम्र के शरीर पर असर से ज्यादा बच्चों को जन्म देने के उपरांत माता की शारीरिक व मानसिक स्तिथि, घर तथा बाहर की जिम्मेदारी तथा मानसिक तनाव को जिम्मेदार माना जा सकता है.
क्या कहते हैं विशेषज्ञ
सेक्सलॉजिस्ट डॉ इब्राहिम बेग इस संबंध में ज्यादा जानकारी देते हुए बताते हैं कि आमतौर पर पुरुषों और महिलाओं में बढ़ती उम्र में यौन इच्छा में कमी या शारीरिक संबंध बनाने में परेशानी जैसी समस्याएं नजर आ सकती हैं. जिसके लिए शारीरिक बदलाव से ज्यादा स्वास्थ्य तथा परिस्तिथि जिम्मेदार हो सकती है. लेकिन ऐसा सबके साथ नहीं होता है. वृद्धावस्था की बात छोड़ दें तो आमतौर पर 40 से 50 वर्ष की आयु तक किसी प्रकार की शारीरिक या मानसिक समस्या ना होने तो महिला तथा पुरुष दोनों स्वस्थ यौन जीवन का अनुभव ले सकते हैं. हालांकि पुरुषों के मुकाबले महिलाओं में बच्चे को जन्म देने के उपरांत तथा उसके बाद रजोनिवृत्ति के उपरांत कामेच्छा में अपेक्षाकृत कमी आ सकती है.
मनोचिकित्सक डॉक्टर वीना कृष्णन बताती हैं कि किसी भी उम्र में जो समस्याएं सबसे ज्यादा महिलाओं और पुरुषों की यौन सक्रियता या शारीरिक संबंध बनाने की इच्छा को कम करती हैं, उनमें शारीरिक समस्याओं के अलावा प्रमुख रूप से आपसी प्रेम या तालमेल में कमी, झगड़ा, थकान, तनाव, चिंता या अवसाद, तथा आपसी संवाद में कमी शामिल हैं. वह बताती है कि एक आयु के बाद पति और पत्नी के रिश्ते में सिर्फ वही दोनों नहीं रह जाते हैं बल्कि बच्चों की परवरिश, बड़ों की जिम्मेदारी, सामाजिक व आर्थिक समस्याएं भी रिश्तो में शामिल हो जाती हैं. जिसके चलते दोनों में प्रेम भाव तथा एक दूसरे के प्रति असक्तता में कमी आने लगती है. जिसका असर उनके शारीरिक संबंधों पर भी पड़ता है.
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