विटामिन डी : विटामिन डी ना सिर्फ हड्डियों के स्वास्थ्य के लिए बल्कि शरीर में पोषण के अवशोषण के लिए तथा अन्य कई प्रकार की क्रियाओं के लिए बहुत जरूरी माना जाता है. लेकिन हाल ही में हुए शोध में कहा गया है कि रोजाना किसी भी प्राकृतिक माध्यम में जरूरी मात्रा में विटामिन डी लेने से कैंसर से मृत्यु की दर में भी कमी आ सकती है. जर्मन कैंसर रिसर्च सेंटर के इस शोध में शोधकर्ताओं ने पाया कि विटामिन डी के दैनिक सेवन से विशेषकर 70 साल से ज्यादा आयु वाले लोगों में कैंसर से होने वाली मृत्यु के जोखिम को 12% तक कम करने में मदद मिल सकती है.
शोध का उद्देश्य
एजिंग रिसर्च रिव्यूज जर्नल में प्रकाशित हुए इस अध्ययन के वरिष्ठ लेखक तथा जर्मन कैंसर रिसर्च सेंटर में क्लिनिकल एपिडेमियोलॉजी एंड एजिंग रिसर्च के डिवीजन में महामारी विज्ञानी और अनुसंधान समूह के नेता डॉ. बेन शोट्कर के अनुसार इस शोध में शोधकर्ताओं ने कैंसर मृत्यु दर पर विटामिन डी के प्रभाव का अध्ययन किया था.
शोध के उद्देश्य को लेकर दी गई जानकारी में उन्होंने बताया है कि इस अध्ययन से पूर्व भी विटामिन डी और कैंसर के बीच संबंध को लेकर कई शोध किए जा चुके हैं . लेकिन उनमें से कई के परिणाम कोई स्पष्ट धारणा नहीं दे पाए थे. हालांकि कुछ शोधों के नतीजों में इस बात का उल्लेख किया गया था तथा कुछ में संभावना जताई गई थी कि विटामिन डी की पूरकता कैंसर मृत्यु दर में कमी को लेकर बेहतर परिणाम दे सकती है. इस के आधार पर उन्होंने व अन्य शोधकर्ताओं ने इस शोध में विटामिन डी3 के लाभ पर ध्यान केंद्रित किया था.
कैसे हुआ शोध
इस अध्ययन में शोधकर्ताओं ने 14 अन्य अध्ययनों के डेटा और निष्कर्षों में शामिल 105,000 लोगों के डेटा का विश्लेषण किया था. इस अध्ययन में केवल उन प्रतिभागियों के डेटा को शामिल किया गया था जिन्हे विटामिन डी3 या प्लेसिबो लेने के लिए निर्देशित किया गया था. अध्ययन में सामने आया था कि जब तक विटामिन डी का सेवन रोजाना नहीं किया जाता है, तब तक कैंसर मृत्यु दर पर कोई खास प्रभाव नजर नहीं आता है. दरअसल इस अध्ययन में कुछ ऐसे प्रतिभागी शामिल थे जो नियमित रूप से रोजाना विटामिन डी3 की खुराक नहीं लेते थे. उनके डेटा के निरीक्षण के बाद उनमें कैंसर मृत्यु के जोखिम पर ज्यादा असर देखने में नहीं आया था. वहीं जो प्रतिभागी रोजाना विटामिन डी का सेवन करते थे उनमें 12% तक कैंसर मृत्यु का जोखिम कम पाया गया था.
शोध तथा उसके नतीजों के बारे में डॉ. शोट्कर ने मेडिकल न्यूज टुडे को एक जानकारी में बताया है कि उनकी टीम में 70 वर्ष और उससे अधिक उम्र के ऐसे प्रतिभागी भी शामिल थे जो नियमित रूप से विटामिन डी 3 का सेवन करते थे. शोध में पाया गया कि जितनी ज्यादा उम्र बढ़ने लगती हैं उतना ही कैंसर को लेकर जोखिम बढ़ने लगता है. लेकिन यदि 50 वर्ष के बाद व्यक्ति नियमित तौर पर विटामिन डी का सेवन करता है और उसके शरीर में विटामिन डी पूरकता हो तो उन्हे स्वास्थ्य संबंधी कई फायदे हो सकते हैं जिनमें से कुछ कैंसर से जुड़े भी हो सकते हैं.
- विटामिन डी के फायदे तथा स्रोत
- चिकित्सकों के अनुसार विटामिन डी व्यक्ति के समग्र स्वास्थ्य के लिए आवश्यक विटामिन है. इसके कुछ फायदे इस प्रकार हैं .
- मजबूत हड्डियों के लिए कैल्शियम का अवशोषण
- यह सुनिश्चित करना कि प्रतिरक्षा प्रणाली ठीक से काम करे
- शरीर में सूजन कम करना
- मांसपेशियों की सामान्य वृद्धि और प्रदर्शन
- स्वस्थ तंत्रिका तंत्र
गौरतलब है कि एक व्यक्ति सामान्य रूप से या तो विटामिन डी की उच्च मात्रा वाले खाद्य पदार्थ के सेवन से, सप्लीमेंट के सेवन से तथा सूर्य की पराबैंगनी किरणों के संपर्क में आने से विटामिन डी प्राप्त करता है. यदि खाद्य पदार्थों की बात करें तो कुछ खास प्रकार की मछली व अन्य सी-फूड, अंडे की जर्दी, कॉड लिवर तेल, जूस व डेयरी उत्पाद तथा कुछ खास सब्जियों में विटामिन डी भरपूर मात्रा में पाया जाता हैं. जरूरत के अनुसार बात करें आम लोगों में विटामिन डी की जरूरत दैनिक रूप से 400 से 800 IU (10 से 20 माइक्रोग्राम) के बीच होती है. इनमें छोटे बच्चों के लिए दैनिक रूप से 400 IU और 71 या उससे अधिक उम्र के वयस्कों के लिए 800 IU की जरूरत होती है. वहीं विटामिन डी की कमी होने पर लोगों में कई तरह की आम समस्याएं तथा संकेत भी नजर आने लगते हैं. जैसे-
- थकान
- हड्डी में दर्द
- मांसपेशियों में कमजोरी तथा दर्द
- जोड़ों की अकड़न
- अवसाद
- ठीक से सोने में असमर्थता, आदि.
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