हमारे देश में अधिकांश लोग खुलेआम यौन संबंधों के बारे में बात करने में भी हिचकिचाते हैं. लेकिन वहीं कई पुरुष मर्दानगी को अपने सर का ताज समझ कर पहनना पसंद करते हैं. सर के इसी ताज को बरकरार रखने के लिए कथित तौर पर संसर्ग को बेहतर बनाने के लिए कई बार वे उत्तेजनावर्धक दवाईयों को बगैर जरूरत के भी लेने से गुरेज नहीं करते हैं. लेकिन क्या आप जानते हैं कि सेक्स टेबलेट के नाम से मशहूर वायग्रा जैसी दवाईयां बगैर चिकित्सीय सलाह के लेने पर संसर्ग के दौरान उत्तेजना बढ़ना तो दूर, ये आपके शरीर पर नकारात्मक प्रभाव भी डाल सकती हैं.
क्या हैं सेक्स टेबलेट
एंडरोलॉजिस्ट डॉ. राहुल रेड्डी सेक्स टेबलेट्स के नाम से बाजार में मशहूर दवाईयों और उससे पुरुषों के शरीर पर होने वाले प्रभावों के बारे में जानकारी देते हुए बताते हैं कि हमारे देश में मुख्य रूप से तीन प्रकार की जेनेरिक दवाईयां मिलती हैं: सिल्डेनाफिल, टडालाफिल तथा वार्डेनफिल. इनमें सिल्डेनाफिल सबसे ज्यादा प्रचलित है और बाजार में वायग्रा के नाम से बिकती है. ये सभी दवाईयां फॉस्फोडिएटरेज टाइप-5 अवरोधक की श्रेणी में आती हैं, जो इरेक्टाइल डिस्फंक्शन या नपुंसकता की विभिन्न श्रेणियों के मरीजों के लिए निर्धारित हैं.
चूंकि हमारे देश में विशेषकर पुरुषों में यौन संबंधों के दौरान प्रदर्शन का दबाव इतना हावी रहता है कि लोग बगैर चिकित्सीय सलाह और जरूरत के भी इन दवाईयों का सेवन कर लेते हैं. जैसे कि जगजाहिर है कि बगैर चिकित्सकीय सलाह के ली गई ज्यादातर दवाईयां हमारे शरीर पर उलटा असर दिखा सकती हैं, वैसे ही ये दवाईयां भी नुकसानदायक होती हैं.
क्या है नपुंसकता, शीघ्रपतन या स्तंभन दोष
यह एक ऐसी गंभीर समस्या है, जिसमें पुरुष लिंग, यौन संबंधों के दौरान पर्याप्त उत्तेजित नहीं हो पाता है. मधुमेह, थायराइड, हृदय घात, बढ़ती उम्र तथा अवसाद या अन्य मनोविकारों के कारण पुरुषों में यह समस्या उत्पन्न होती हैं.
क्या सेक्स टेबलेट उपयोगी और सुरक्षित होती है
डॉ. रेड्डी बताते हैं कि सेक्स टेबलेट कोई जादू की गोली नहीं होती है. ऐसे पुरुष जिन्हें स्तंभन दोष होता है, उनके लिए ये दवाईयां काफी हद तक फायदेमंद होती हैं. लेकिन हर किसी के लिए ये असर नहीं दिखाती हैं. दरअसल यह गोलियां शरीर में खून का संचार बढ़ाती हैं, जो पुरुष के लिंग में कुछ समय के लिए तनाव उत्पन्न करने में मदद करती हैं. साथ ही यह शरीर में नाइट्रिक ऑक्साइड की मात्रा बढ़ा देती हैं, जो नसों को मोटा करता है. यह संसर्ग के दौरान पुरुष लिंग को सामान्य समय की अपेक्षा थोड़ी ज्यादा देर के लिए उत्तेजित रख सकते हैं. लेकिन पहली बात है कि यह दवाई हर किसी के लिए कामगर नहीं होते हैं. साथ ही इन दवाईयों के शरीर पर नकारात्मक प्रभाव भी होते हैं. खास तौर पर उन लोगों को जो हृदय घात तथा उच्च रक्तचाप सहित विशिष्ठ श्रेणी में आने वाली विभिन्न बीमारियों से पीड़ित होते है, इन दवाईयों का सेवन बिलकुल भी नहीं करना चाहिए.
साधारण तौर पर भी यह दवाईयां सुरक्षित नहीं होती है और इनके काफी दुष्प्रभाव होते हैं, जो कई बार खतरनाक साबित हो सकते हैं. इन दवाईयों के परिणाम स्वरूप तीव्र सिर दर्द, चक्कर आना, उल्टी आना, गर्मी लगना, साधारण अवस्था में उत्तेजना पर असर, सीने में दर्द, सांस लेने में समस्या, चेहरे पर सूजन या कई बार अंधापन या दृष्टि दोष जैसी समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं.
महिलाएं भी ले सकती है वायग्रा
डॉ. रेड्डी बताते है कि महिलाओं और पुरुषों की शारीरिक संरचना में अंतर होता है, वहीं उनकी हार्मोंस और क्रियाविधि में भी अंतर होता है. पुरुषों के लिए मिलने वाली इन दवाईयों का महिलाओं के शरीर पर बहुत ज्यादा असर नजर नहीं आता है. लेकिन बाजार में महिलाओं में कामेच्छा बढ़ाने वाली भी बहुत सी दवाईयां उपलब्ध हैं. फिलबान्सेरिन सहित वायग्रा,फीमेल वायग्रा तथा अन्य नामों से मिलने वाली ये दवाईयां उन महिलाओं के दिमाग को शांत कर उनमें कुछ हद तक कामेच्छा बढ़ाने का कार्य करती हैं. जिनकी विभिन्न कारणों से शारीरिक संबंधों में रुचि नहीं होती हैं.