सर्वाइकल कैंसर दुनिया भर में महिलाओं में पाये जाने वाले सबसे आम कैंसर में से एक है. हर साल बड़ी संख्या में महिलायें इस रोग के कारण अपनी जान गंवा बैठती हैं. चिंताजनक बात यह है की पूरी दुनिया में इस रोग से होने वाली मृत्यु में से लगभग एक चौथाई भारत में होती है. आंकड़ों की माने तो वर्ष 2018 में पूरी दुनिया में सर्वाइकल कैंसर से होने वाली मृत्यु का आंकड़ा लगभग 96,922 था, जिनमें से 60,078 भारत में हुई थी. फोर्टिस अस्पताल कल्याण की ऑब्स्टेट्रिक्स तथा गायनाकोलॉजिस्ट सलाहकार डॉ. सुषमा तोमर बताती हैं की भारतीय महिलाओं में स्तन कैंसर के उपरांत सर्वाइकल कैंसर दूसरा सबसे प्रचलित कैंसर का प्रकार है.
सर्वाइकल कैंसर
'मेडिकल पीडियाट्रिक ऑन्कोलॉजी' में प्रकाशित एक शोध में बताया गया है की भारत में 6 से 29 प्रतिशत महिलाओं में सर्वाइकल कैंसर होने का खतरा रहता है. शोध में उल्लेखित आंकड़ों के अनुसार भारत में इस रोग के सर्वाधिक मामले मिजोरम राज्य में पंजीकृत हुए है, जिनकी संख्या 23.07/ 1,00,000 है. वहीं सबसे कम मामले 4.91/1,00,000 डिब्रूगढ़ में पंजीकृत हुए.
इस बारे में ज्यादा जानकारी देते हुए डॉ. सुषमा तोमर बताती हैं की हालांकि सर्वाइकल कैंसर का इलाज संभव है, लेकिन इस बीमारी तथा उसके लक्षणों के बारे में महिलाओं में जागरूकता की काफी कमी हैं. इसी के चलते ज्यादातर मामलों में महिलाओं को अपनी इस बीमारी की जानकारी देर से होती है. यदि समय से इस रोग के लक्षण पकड़ में आ जाए, तो इसे सफलता पूर्वक ठीक किया जा सकता है.
सर्वाइकल कैंसर के दस सामान्य लक्षण
डॉ. तोमर बताती हैं की महिलाओं को अपने स्वास्थ्य तथा अपने शरीर में हो बदलावों के बारे में जागरूक तथा सचेत रहना चाहिए. जिससे उनमें जरा सा भी परिवर्तन या समस्या होने पर महिलाओं को तत्काल पता चल जाए. इसके अलावा नियमित अंतराल पर पेप जांच करवाने से भी सर्वाइकल कैंसर के लक्षणों के बारे में पता लगाया जा सकता है.
डॉ. तोमर के अनुसार सर्वाइकल कैंसर के दस सबसे सामान्य लक्षण इस प्रकार है;
- योनि में खुजली तथा जलन
- कमर के निचले हिस्से तथा पेट में दर्द
- अस्पष्टीकृत थकान
- ब्लेडर में समस्या जैसे हेमट्यूरिया यानी पेशाब में खून आना, डियूरेसिस यानी मूत्रकृच्छता जिसमें पेशाब में दर्द होता है तथा लगातार पेशाब आना
- योनि से बदबूदार डिस्चार्ज
- पेट का फूलना या सूजन
- 'लेग एडिमा' यानी शरीर में पानी या फ्लूइड के जमा होने के कारण उत्पन्न सूजन
- पेट के निचले हिस्से में दर्द
- मलाशय संबंधी समायाएं जैसे मल के साथ खून आना, दस्त लगना तथा मलाशय में दर्द
- पायलोनेफ्राइटिस यानी किडनी में सूजन के चलते पेट में दर्द तथा यूरेट्रिक बाधा
डॉ. तोमर बताती हैं की ये लक्षण सांकेतिक यानी प्रारम्भिक माने जाते हैं, तथा इन्हें सीधे-सीधे तौर पर सर्वाइकल कैंसर से जोड़ कर नहीं देखा जा सकता है. क्योंकि ये समस्याएं कुछ अन्य कारणों के चलते भी हो सकती है. जैसे पेट में सूजन, मासिक चक्र के दौरान हार्मोन में असंतुलन के कारण भी हो सकती है. वहीं मेनोपोज का चलते आमतौर पर महिलाओं को बार-बार पेशाब जाने की इच्छा होती है. वहीं घर तथा कार्य क्षेत्र में भागदौड़ के चलते ज्यादातर महिलाओं को थकान का अनुभव होता है. लेकिन ऐसे लक्षण उत्पन्न होने पर जांच बहुत जरूरी हो जाती है.
सर्वाइकल कैंसर होने के जोखिम भरे कारक
डॉ. तोमर बताती है की हालांकि अलग-अलग प्रकार के कैंसर होने के कारणों के बारे में पक्के तौर पर नहीं कहा जा सकता है. लेकिन फिर भी कुछ ऐसे कारकों को चिन्हित किया जा सकता है, जिनके बारे में माना जाता हैं की उनके कारण कैंसर जैसी समस्या हो सकती है. ये कारक इस प्रकार है;
- ह्यूमन पैपिलोमा वायरस
ह्यूमन पैपिलोमा वायरस संक्रमण यानि एचपीवी सर्वाइकल कैंसर होने के मुख्य कारणों में से एक हो सकता है. इस वायरस के सौ से ज्यादा प्रचलित प्रकार माने गए हैं. लेकिन सर्वाइकल कैंसर को सिर्फ एचपीवी16 तथा एचपीवी18 से जोड़ कर देखा जाता है.
- धूम्रपान
तंबाकू में मिलने वाले रासायनिक तत्व महिलाओं में सर्वाइकल कैंसर के खतरे को बढ़ा सकते हैं, फिर चाहे महिला स्वयं धूम्रपान करती हो या फिर ऐसे माहौल में ज्यादा रहती हो, जहां उसके आसपास कई लोग धूम्रपान करते हो.
- कमजोर रोग प्रतिरोधक क्षमता
ऐसी महिलायें जो ह्यूमन इम्यूनोडिफीसिअन्सी वायरस यानि 'एचआईवी' से पीड़ित हो, तो उनका शरीर एचपीवी संक्रमण से लड़ने में सफल नहीं हो पाता है, जिससे उनके शरीर में सर्वाइकल कैंसर के फैलने का खतरा भी ज्यादा बढ़ जाता है.
- पारिवारिक इतिहास
ऐसी महिलायें जिनके परिवार में सर्वाइकल कैंसर का इतिहास रहा हो, उनमें भी इस रोग के होने की आशंका ज्यादा रहती है.
डॉ. तोमर बताती हैं की इस रोग या किसी भी प्रकार की समस्या से बचने के लिए जरूरी हैं की महिलायें अपने स्वास्थ का हमेशा खयाल रखें तथा उम्र के अनुसार शरीर में होने वाले परिवर्तनों के प्रति जागरूक रहें तथा किसी भी प्रकार का लक्षण नजर आने की अवस्था में तुरंत चिकित्सक की सलाह लेकर अपने टेस्ट करवाएं.