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Dementia Problem : अत्यधिक नमक के सेवन से डिमेंशिया के शिकार हो रहे हैं लोग, पागलपन का भी खतरा

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Published : May 30, 2023, 8:11 AM IST

अतिरिक्त टेबल नमक की खपत के कारण दुनिया भर में डिमेंशिया के शिकार लोगों की संख्या लगातार बढ़ रही है. इससे शिकार व्यक्ति के दिमाग पर गहरा असर पड़ता है, जिसका इलाज संभव नहीं है. पढ़ें पूरी खबर..

High BP Problem
हाई बीपी

टोक्यो : देश-दुनिया में लोग जाने-अनजाने में जरूरत से ज्यादा नमक सेवन करते हैं. कई लोग खाने के समय काफी मात्रा में अतिरिक्त नमक का सेवन करते हैं. निर्धारित मात्रा से अत्याधिक नमक सेवन करते हैं. इस कारण धीरे-धीरे हाई बीपी के अलावा कई गंभीर मेडिकल समस्या से ग्रसित हो जाते हैं. इसी प्रकार की एक समस्या है डिमेंशिया (Dementia) है. इस कारण मस्तिष्क (दिमाग) के तंत्रिका कोशिकाओं को काफी नुकसान होता है. डिमेंशिया के शिकार लोगों में सोचने, याद रखने और तर्क करने की क्षमता प्रभावित हो जाता है. जापान में यह समस्या काफी आम है. डिमेंशिया के कारण कई बार पीड़ित पागलपन तक के शिकार हो सकते हैं.

मेडिकल साइंस में डिमेंशिया को बीमारी नहीं माना गया है. फिलहाल, इससे दिमाग पर पड़ने वाले असर को कम करने के लिए संतोषजनक उपचार नहीं है. या कहें डिमेंशिया को ठीक करने के लिए कोई दवा-चिकित्सा उपलब्ध नहीं है.दुनिया की बढ़ती आबादी के साथ, डिमेंशिया रोकथाम और उपचार दवाओं की खोज महत्वपूर्ण है.

WHO की अपील: प्रति दिन 5 ग्राम से कम नमक का करें सेवन
चिकित्सा विज्ञान के जानकारों का मानना है कि डिमेंशिया की समस्या के पीछे मुख्य कारण अतिरिक्त टेबल नमक की खपत से जोड़ा गया है, जो एक सर्वव्यापी भोजन अव्यव है. उच्च नमक (एचएस) का सेवन भी उच्च रक्तचाप का कारण बन सकता है. प्रतिकूल स्वास्थ्य परिणामों को रोकने के लिए, विश्व स्वास्थ्य संगठन प्रति दिन 5 ग्राम से कम नमक का सेवन सीमित करने की सिफारिश करता है.

Angiotensin II (Ang II) की भागीदारी - एक हार्मोन है, जो रक्तचाप और द्रव संतुलन को विनियमित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. और इसके रिसेप्टर 'एटी1', साथ ही शारीरिक रूप से महत्वपूर्ण लिपिड अणु प्रोस्टाग्लैंडिन ई2 (पीजीई2) और इसके उच्च रक्तचाप और न्यूरोटॉक्सिसिटी में रिसेप्टर 'ईपी1' अच्छी तरह से पहचाना जाता है. हालांकि, उच्च नमक (एचएस) मध्यस्थ उच्च रक्तचाप और भावनात्मक/संज्ञानात्मक हानि में इन प्रणालियों की भागीदारी मायावी बनी हुई है.

इसके लिए, ब्रिटिश जर्नल ऑफ फार्माकोलॉजी में प्रकाशित एक हालिया अध्ययन ने एचएस-मध्यस्थ उच्च रक्तचाप और भावनात्मक/संज्ञानात्मक हानि के पहलुओं का गहन मूल्यांकन किया है. अध्ययन जापान के सहयोगी शोधकर्ताओं की एक टीम द्वारा किया गया था. क्रॉसस्टॉक द्वारा मध्यस्थता से भावनात्मक और संज्ञानात्मक शिथिलता का कारण बनता है.

फुजिता हेल्थ यूनिवर्सिटी के ग्रेजुएट स्कूल ऑफ हेल्थ साइंस के लेखक हसायोशी कुबोता ने टिप्पणी की, 'अत्यधिक नमक का सेवन उच्च रक्तचाप, संज्ञानात्मक शिथिलता और मांसिक स्वास्थ के लिए एक जोखिम कारक माना जाता है. हालांकि, परिधीय और केंद्रीय तंत्रिका तंत्र के बीच बातचीत पर ध्यान केंद्रित करने वाले अध्ययनों ने पर्याप्त जांच नहीं की है.

प्रकाशित आंकड़ों के अनुसार, प्रोटीन 'ताऊ' में अत्यधिक फॉस्फेट का योग मुख्य रूप से इस भावनात्मक और संज्ञानात्मक परिणामों के लिए जिम्मेदार है. निष्कर्ष विशेष रूप से उल्लेखनीय हैं क्योंकि ताऊ अल्जाइमर रोग का एक प्रमुख प्रोटीन है.

डिमेंशिया के लक्षण:

  • डिप्रेशन का शिकार होना
  • चिंता का भाव होना
  • असामान्य व्यवहार
  • पागलपन का शिकार होना
  • दुखद स्वप्न की समस्या
  • व्यक्तिगत व्यवहार में परिवर्तन
  • याददाश्त खत्म होना
  • बातचीत करने या शब्दों को खोजने में कठिनाई होना
  • तर्क की समस्या प्रभावित होना

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टोक्यो : देश-दुनिया में लोग जाने-अनजाने में जरूरत से ज्यादा नमक सेवन करते हैं. कई लोग खाने के समय काफी मात्रा में अतिरिक्त नमक का सेवन करते हैं. निर्धारित मात्रा से अत्याधिक नमक सेवन करते हैं. इस कारण धीरे-धीरे हाई बीपी के अलावा कई गंभीर मेडिकल समस्या से ग्रसित हो जाते हैं. इसी प्रकार की एक समस्या है डिमेंशिया (Dementia) है. इस कारण मस्तिष्क (दिमाग) के तंत्रिका कोशिकाओं को काफी नुकसान होता है. डिमेंशिया के शिकार लोगों में सोचने, याद रखने और तर्क करने की क्षमता प्रभावित हो जाता है. जापान में यह समस्या काफी आम है. डिमेंशिया के कारण कई बार पीड़ित पागलपन तक के शिकार हो सकते हैं.

मेडिकल साइंस में डिमेंशिया को बीमारी नहीं माना गया है. फिलहाल, इससे दिमाग पर पड़ने वाले असर को कम करने के लिए संतोषजनक उपचार नहीं है. या कहें डिमेंशिया को ठीक करने के लिए कोई दवा-चिकित्सा उपलब्ध नहीं है.दुनिया की बढ़ती आबादी के साथ, डिमेंशिया रोकथाम और उपचार दवाओं की खोज महत्वपूर्ण है.

WHO की अपील: प्रति दिन 5 ग्राम से कम नमक का करें सेवन
चिकित्सा विज्ञान के जानकारों का मानना है कि डिमेंशिया की समस्या के पीछे मुख्य कारण अतिरिक्त टेबल नमक की खपत से जोड़ा गया है, जो एक सर्वव्यापी भोजन अव्यव है. उच्च नमक (एचएस) का सेवन भी उच्च रक्तचाप का कारण बन सकता है. प्रतिकूल स्वास्थ्य परिणामों को रोकने के लिए, विश्व स्वास्थ्य संगठन प्रति दिन 5 ग्राम से कम नमक का सेवन सीमित करने की सिफारिश करता है.

Angiotensin II (Ang II) की भागीदारी - एक हार्मोन है, जो रक्तचाप और द्रव संतुलन को विनियमित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. और इसके रिसेप्टर 'एटी1', साथ ही शारीरिक रूप से महत्वपूर्ण लिपिड अणु प्रोस्टाग्लैंडिन ई2 (पीजीई2) और इसके उच्च रक्तचाप और न्यूरोटॉक्सिसिटी में रिसेप्टर 'ईपी1' अच्छी तरह से पहचाना जाता है. हालांकि, उच्च नमक (एचएस) मध्यस्थ उच्च रक्तचाप और भावनात्मक/संज्ञानात्मक हानि में इन प्रणालियों की भागीदारी मायावी बनी हुई है.

इसके लिए, ब्रिटिश जर्नल ऑफ फार्माकोलॉजी में प्रकाशित एक हालिया अध्ययन ने एचएस-मध्यस्थ उच्च रक्तचाप और भावनात्मक/संज्ञानात्मक हानि के पहलुओं का गहन मूल्यांकन किया है. अध्ययन जापान के सहयोगी शोधकर्ताओं की एक टीम द्वारा किया गया था. क्रॉसस्टॉक द्वारा मध्यस्थता से भावनात्मक और संज्ञानात्मक शिथिलता का कारण बनता है.

फुजिता हेल्थ यूनिवर्सिटी के ग्रेजुएट स्कूल ऑफ हेल्थ साइंस के लेखक हसायोशी कुबोता ने टिप्पणी की, 'अत्यधिक नमक का सेवन उच्च रक्तचाप, संज्ञानात्मक शिथिलता और मांसिक स्वास्थ के लिए एक जोखिम कारक माना जाता है. हालांकि, परिधीय और केंद्रीय तंत्रिका तंत्र के बीच बातचीत पर ध्यान केंद्रित करने वाले अध्ययनों ने पर्याप्त जांच नहीं की है.

प्रकाशित आंकड़ों के अनुसार, प्रोटीन 'ताऊ' में अत्यधिक फॉस्फेट का योग मुख्य रूप से इस भावनात्मक और संज्ञानात्मक परिणामों के लिए जिम्मेदार है. निष्कर्ष विशेष रूप से उल्लेखनीय हैं क्योंकि ताऊ अल्जाइमर रोग का एक प्रमुख प्रोटीन है.

डिमेंशिया के लक्षण:

  • डिप्रेशन का शिकार होना
  • चिंता का भाव होना
  • असामान्य व्यवहार
  • पागलपन का शिकार होना
  • दुखद स्वप्न की समस्या
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  • याददाश्त खत्म होना
  • बातचीत करने या शब्दों को खोजने में कठिनाई होना
  • तर्क की समस्या प्रभावित होना

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