बैडमिंटन स्टार सायना नेहवाल, मुक्केबाजी विश्व चैम्पियन एमसी मैरी कॉम, ओलंपिक कांस्य पदक विजेता पहलवान योगेश्वर दत्त लोगों के बीच मास्क को लेकर जागरूकता फैलाने के अभियान में आगे आए हैं. इन खेल सितारों ने बिपाशा बसु, डायना पेंटी, माउनी रॉय और कीर्ति सुरेश जैसे बॉलीवुड स्टार्स के साथ मिलकर लोगों के बीच मास्क को लेकर जागरूकता फैलाने के अभियान में स्वयंसेवी संस्था अपनामास्क के साथ साझेदारी की है.
अपनी तरह के इस पहले अभियान का उद्देश्य छोटे से हथियार- 'मास्क' द्वारा भारत की सुरक्षा करने के लिए 'कोरोना सोल्जर' नियुक्त करना है. अपनामास्क एवं स्वैच्छिक समूह स्टार्टअप्स वर्सेस कोविड ने 'आईएमएकोरोनासोल्जर' अभियान प्रस्तुत किया है. इस अभियान का उद्देश्य 'कोरोना सोल्जर्स' की एक मजबूत फौज तैयार करना है, जो एक छोटे से हथियार - 'मास्क' द्वारा देश की कोरोना वायरस से रक्षा करे. कोरोना सोल्जर्स जब भी घर से बाहर जाएंगे, तब वो मास्क पहनकर रखेंगे एवं अन्य लोगों को भी मास्क पहने रखने के लिए प्रोत्साहित करेंगे.
सेना के बहादुर जवानों लेफ्टिनेंट कर्नल एमके सिन्हा (रिटायर्ड), कारगिल लड़ाई के नायक एवं मेजर गौरव आर्य (रिटायर्ड) के साथ स्पोर्ट्स स्टार सायना नेहवाल, मैरी कॉम एवं योगेश्वर दत्त तथा बिपाशा बसु, डायना पेंटी, माउनी रॉय एवं कीर्ति सुरेश इस अभियान से जुड़ गए हैं. वो अपनामास्क के साथ मिलकर हर भारतीय को मास्क पहनकर कोरोना सोल्जर बनने एवं कोविड-19 से जीतने में भारत की मदद करने के लिए प्रेरित कर रहे हैं.
इस अभियान के तहत लोग आईएमकोरोनासोल्जर डॉट कॉम पर रजिस्टर कर 'कोरोना सोल्जर' बन सकते हैं. एक मास्क के साथ 'कोरोना सोल्जर' इस संदेश का प्रसार करने की जिम्मेदारी लेते हैं एवं सोशल मीडिया पर और ज्यादा लोगों को आमंत्रित कर ज्यादा 'कोरोना सोल्जर' नियुक्त करते हैं.
यह अभियान 15 अगस्त, 2020 को लाईव हुआ था तथा यह ओलिम्पिक मेडलिस्ट मैरी कॉम, बैडमिंटन स्टार सायना नेहवाल, भारतीय रेस्लर योगेश्वर दत्त तथा कलाकार बिपाशा बसु, माउनी रॉय, डायना पेंटी, कीर्ति सुरेश आदि को नियुक्त कर चुका है.
इस अभियान का निर्माण हाल ही में अपनामास्क डॉट ओआरजी द्वारा किए गए एक अध्ययन के आधार पर किया गया, जिसमें भारतीयों के बीच वायरस की रोकथाम की जानकारी एवं उसका पालन करने की प्रवृत्ति के बारे में जाना गया. अध्ययन में पाया गया कि मास्क एवं सोशल डिस्टेंसिंग के बारे में भारतीयों को काफी पता है, लेकिन उसका अनुपालन केवल 44 प्रतिशत है. अनुपालन कम होने का मुख्य कारण इससे होने वाली असुविधा है.
सौजन्य: आईएएनएस