प्रोबायोटिक खाद्य पदार्थ पाचन तंत्र में सुधार करके, ऑटिस्टिक बच्चों की मदद कर सकते हैं। डॉक्टरों के अनुसार, ऑटिज्म से पीड़ित बच्चे अक्सर पेट की गड़बड़ी को ठीक से व्यक्त नहीं कर पाते हैं और परिणाम स्वरूप गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल संबंधी लक्षण नजर आने लगते हैं। इससे सामान्य बच्चों के साथ ऑटि्स्टिक बच्चों की व्यवहारिक विशेषताओं की तुलना गलत हो सकता है। पुरानी दस्त और कब्ज ऑटिज्म की गंभीरता के साथ बढ़ जाते हैं, और कई बार यह बच्चे सामाज से दूरी बना लेते है और जिसकी वजह से उनमें ठहराव नहीं रहता।
डॉक्टरों ने बताया कि यह ऐसे खाद्य पदार्थ हैं, जो आंत के स्वास्थ्य को बेहतर बनाने में मदद करते हैं, और ये दर्द से राहत देते हैं। दही और अन्य प्रोबायोटिक खाद्य पदार्थ पाचन तंत्र को बेहतर बनाने, आंत-मस्तिष्क एक्सिस विकसित करने और किसी भी विकारों का इलाज करने में मदद करते हैं।
डॉ. दलजीत कौर, सलाहकार मनोचिकित्सक, कॉन्टिनेंटल हॉस्पिटल्स ने बताया कि ऑटिज्म स्पेक्ट्रम डिसऑर्डर (एएसडी) के मरीजों में आंत माइक्रोबायोटा की अलग-अलग रचनाएं पायी जाती हैं। विशेष रूप से, एएसडी वाले रोगियों में गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल लक्षणों की गंभीरता को आंत माइक्रोबायोटा के गड़बड़ी से जोड़ा गया है। प्रोबायोटिक्स जीवित लाभकारी बैक्टीरिया हैं, जिन्हें भोजन या दवाइयों के रूप में लिया जाता है। ये लाभकारी बैक्टीरिया, जब पर्याप्त मात्रा में डाले जाते हैं, तो डिस्बिओसिस (आंत बैक्टीरिया संबंधी स्थिति) को ठीक कर सकते हैं। क्योंकि प्रोबायोटिक्स ने संवेदनशील आंत सिंड्रोम के इलाज में सफलता दिखाई है, यह एएसडी के व्यवहार संबंधी लक्षणों को कम करने में मदद कर सकता है।
डॉक्टर्स अनुषा कररा, इंटरनल मेडिसिन, वेस्टर्न प्लेन्स हॉस्पिटल, डॉज सिटी, यूएसए का कहना है कि प्रोबायोटिक्स का सेवन सुरक्षित हैं और इससे साइड इफेक्ट की संभावना कम होती हैं, जैसे कि पेट का फूलना, जो आमतौर पर कुछ दिनों के नियमित उपयोग के बाद चली जाती है। बहुत कम मामलों में ऐसा होता है, जब प्रोबायोटिक्स एलर्जी या दस्त या संक्रमण का कारण बनता हैं, और प्रोबायोटिक्स ऑटिस्टिक बच्चों के लिए एक वरदान हैं, जिससे की बच्चों को गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल संबंधी समस्याओं से निजात मिल सकता हैं। कुछ टेस्ट और डॉक्टरों की सिफारिश से बच्चे को शुरूआती समय में स्वस्थ आहार के लिए सही विकल्प की पहचान करने में मदद मिल सकती है, जिससे उसका आंत का स्वास्थ्य बेहतर बना रहे।
पिनेकल ब्लूम्स नेटवर्क (पीबीएन), की डायटेटिक्स, संस्थापक और नैदानिक पोषण विशेषज्ञ, श्रीजा रेड्डी सरिपल्ली, को लगता है कि आंत बैक्टीरिया मस्तिष्क और व्यवहार को कैसे प्रभावित कर सकता है, यह पूरी तरह से 'अकल्पनीय' है। पीबीएन, जो सात लाख से अधिक चिकित्सा कार्यक्रमों का संचालन करने का दावा करता है, ने एक फ्री राष्ट्रीय हेल्पलाइन नंबर 9100181181 सांझा किया है, जिसपर संपर्क कर आप अतिरिक्त जानकारी और मदद ले सकते है।
एसएलजी हॉस्पिटल्स की कंसल्टेंट न्यूरोलॉजिस्ट, डॉ. सुमा कंदुकुरी का कहना है कि ऑटिज्म स्पेक्ट्रम डिसऑर्डर दुनिया भर में बच्चों के बीच बढ़ती घटनाओं के कारण एक चिकित्सीय और सामाजिक चिंता है। ऑटिज्म एक न्यूरोडेवलपमेंटल डिसऑर्डर है, जिसमें मल्टीफॉर्मोरियल एटियलजिक (आनुवांशिक और पर्यावरण) और प्रारंभिक उपचार के कार्यान्वयन के लिए प्रारंभिक निदान महत्वपूर्ण है, जो व्यवहार में सुधार के साथ-साथ उनके बच्चे के संज्ञानात्मक कार्यों में काफी सुधार कर सकता है।
एएसडी के लक्षणों की अभिव्यक्ति और गंभीरता व्यापक रूप से भिन्न होती है, और उपचार में व्यवहारिक, मनोसामाजिक, शैक्षिक, चिकित्सा और पूरक दृष्टिकोण शामिल होते हैं, जो बच्चे की उम्र और विकास की स्थिति पर निर्भर होते हैं।
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एएसडी के लिए उपचार के लक्ष्य आम तौर पर संचार, सामाजिक मेल मिलाप या प्रतिबंधित व्यवहारों में मुख्य कमी में सुधार पर ध्यान केंद्रित करते हैं, क्योंकि इन मूलभूत कमी को बदलने से बच्चों को अधिक कार्यात्मक कौशल और स्वतंत्रता विकसित करने में मदद मिल सकती है।
डॉक्टरों के अनुसार, उपचार के लिए अलग-अलग बच्चों के लिए भिन्न लक्ष्य होते हैं और इसमें व्यवहार, बोलचाल, शिक्षा और चिकित्सा उपचार जैसे दृष्टिकोण शामिल होते हैं।