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women Reproductive Health : महिलाओं के प्रजनन स्वास्थ्य को प्रभावित कर सकती है खराब जीवनशैली - महिलाओं में स्वास्थ्य संबंधी परेशानियां

खराब व सुस्त जीवनशैली तथा आहार से संबंधित खराब आदतें कई बार महिलाओं के आम स्वास्थ्य ही नहीं बल्कि उनके प्रजनन स्वास्थ्य को भी नुकसान पहुंचा सकती हैं. बांझपन तथा प्रजनन स्वास्थ्य से जुड़ी अन्य समस्याओं के जोखिम को कम करने के लिए जरूरी हैं कि शुरुआत से ही स्वस्थ जीवनशैली तथा स्वस्थ आहार के नियम का पालन किया जाय.

women Reproductive Health
खराब जीवनशैली
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Published : Aug 8, 2023, 10:03 PM IST

हैदराबाद: ज्यादातर महिलारोग विशेषज्ञ मानते हैं कि महिलाओं में बांझपन के लगातार बढ़ते मामलों तथा कमजोर प्रजनन स्वास्थ्य के लिए खराब जीवनशैली तथा खराब आहार संबंधी आदतें व व्यवहार काफी बड़ी भूमिका निभाते हैं. देश विदेश में हो चुके कई शोधों व रिपोर्टों में भी इस बात का उल्लेख किया गया है कि जीवनशैली तथा आहार से जुड़ी अस्वस्थ आदतें महिलाओं में बांझपन तथा अन्य प्रजनन समस्याओं का जोखिम बढ़ा सकती हैं.

बढ़ रहीं हैं प्रजनन संबंधी समस्याएं
उत्तराखंड की महिलारोग विशेषज्ञ डॉ विजयलक्ष्मी बताती हैं कि आजकल ऐसी महिलाओं की संख्या लगातार बढ़ रही है जो सामान्य यौन संबंध बनाने के बावजूद गर्भधारण नहीं कर पाती हैं. वहीं पुरुषों में भी स्पर्म संबंधी समस्याएं आमतौर पर देखने में आने लगी हैं. वह बताती हैं इसके लिए जिम्मेदार तथा जोखिम भरे कारकों में खराब जीवनशैली व खाने पीने की खराब आदतों को काफी हद तक जिम्मेदार माना जा सकता हैं.

डॉ विजयलक्ष्मी बताती हैं कि पुरुष हो या महिलायें दोनों के प्रजनन स्वास्थ्य पर खानपान और जीवनशैली का बड़ा असर पड़ता है. आज के दौर में भागदौड़ भरी जीवनशैली में शारीरिक सक्रियता में कमी, सोने जागने के समय में अनियमितता, पार्टी कल्चर का बढ़ता चलन, अप्राकृतिक खाध्यपदार्थों का बढ़ता उपयोग जैसे व्यवहार देखे जाते हैं. जो शरीर के काम व आराम के संतुलन को कम करते हैं, शरीर में पोषण की पूर्ति को प्रभावित करते है, शरीर की जैविक घड़ी तथा उसके कार्य को प्रभावित करता है, तनाव व अवसाद जैसी समस्याओं का कारण बनते हैं तथा अलग-अलग प्रकार की शारीरिक कमजोरी व कई रोगों व समस्या का कारण भी बनते हैं.

विशेषतौर पर महिलाओं की बात करें तो ऐसी आदतें व व्यवहार तथा उनके कारण होने वाले हार्मोनल तथा अन्य रोग व समस्याएं उनके प्रजनन स्वास्थ्य को काफी ज्यादा प्रभावित करते हैं.

क्या कहते हैं शोध व रिपोर्ट

वर्ष 2022 में इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ पॉपुलेशन साइंसेज की एक रिपोर्ट में कहा गया था कि भारत में पिछले कुछ वर्षों में लगभग 15-20 मिलियन से अधिक भारतीयों में बांझपन की समस्या देखने में आई थी. पारिवारिक स्वास्थ्य एवं सर्वेक्षण रिपोर्ट के अनुसार भी राष्ट्रीय स्तर पर महिलाओं में प्रजनन दर में 2.2 से 2.0 की गिरावट देखी गई थी. वहीं इंडियन सोसाइटी ऑफ असिस्टेड रिप्रोडक्शन के एक अध्ययन में इस बात पर प्रकाश डाला गया है कि बांझपन लगभग 10% से 14% भारतीय जोड़ों को प्रभावित करता है. यह समस्या शहरी क्षेत्रों में ज्यादा देखने में आ रही हैं जहां हर छह जोड़ों में से एक चिकित्सीय मदद मांग रहा है.

गतिहीन और व्यस्त जीवनशैली से समस्याएं बढ़ी हैं
शोध में कहा गया हैं कि एक गतिहीन और व्यस्त जीवनशैली महिलाओं में उनके कार्य-जीवन को संतुलन को बिगाड़ रही है. जो ना सिर्फ उनमें स्त्री रोगों के बढ़ने का कारण बन रही हैं बल्कि उनके प्रजनन स्वास्थ्य को भी प्रभावित कर रही है. शोध में कहा गया हैं कि गतिहीन जीवनशैली या शारीरिक निष्क्रियता के कारण पुरुष की तुलना में महिला के बांझ होने की संभावना अधिक होती है, क्योंकि यह अक्सर हार्मोनल असंतुलन, पॉलीसिस्टिक डिम्बग्रंथि रोग और वजन संबंधी समस्याओं का कारण बनता है जो भ्रूण को प्रभावित करते हैं.

इसके अलावा देश दुनिया के कई शोधों तथा रिपोर्टों में भी इस बात का उल्लेख किया गया है कि पिछले कुछ वर्षों में महिलाओं में जीवनशैली, तनावपूर्ण पेशेवर जीवन, अस्वास्थ्यकर आहार, धूम्रपान तथा शराब जैसी आदतों के कारण बांझपन से जुड़ी समस्याएं बढ़ीं हैं.

क्या कहते हैं जानकार

  • डॉ विजयलक्ष्मी बताती हैं कि ज्यादातर महिलायें नहीं जानती हैं कि आहार या जीवनशैली उनके प्रजनन स्वास्थ्य को किस हद तक तथा कैसे प्रभावित कर सकती हैं. वह बताती हैं कि आज के समय में रोजमर्रा की दिनचर्या में भागदौड़ तो बढ़ी है लेकिन शरीर के लिए जरूरी सक्रियता जैसे व्यायाम या ऐसे कार्य जो शारीरिक स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद होते हैं, काफी कम हो गए है.
  • कभी भी सोना जागना, जरूरी मात्रा में नींद पूरी ना होना, ज्यादा देर तक एक स्थान पर बैठे रहना, जरूरत से ज्यादा तनाव, किसी भी समय कुछ भी खाना या लंबे समय तक पौष्टिक आहार ना खाना तथा पानी कम पीना जैसी आदतें महिलाओं के शरीर की जैविक घड़ी को तो प्रभावित करती ही हैं साथ ही कई अन्य समस्याओं का कारण भी बनती हैं. जो उनके सामान्य स्वास्थ्य के साथ उनके हार्मोनल स्वास्थ्य को भी काफी ज्यादा प्रभावित करती हैं. जिसके प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष प्रभाव के चलते महिलाओं का प्रजनन स्वास्थ्य तो कमजोर होता ही है साथ ही यह अवस्था कई अन्य स्त्री रोगों तथा कई बार बांझपन का कारण भी बनती है.
  • वह बताती हैं कि वर्तमान जीवनशैली में धूम्रपान या शराब का सेवन महिलाओं के लिए भी काफी आम होने लगा है. ऐसी महिलाएं जो धूम्रपान, तंबाकू तथा शराब का सेवन करती हैं उनकी प्रजनन क्षमता अन्य महिलाओं की तुलना में काफी कमजोर होती है क्योंकि यह आदतें हार्मोन में असंतुलन का कारण बन सकती हैं साथ ही अंडाशय, गर्भाशय ग्रीवा और फैलोपियन ट्यूब को भी नुकसान पहुंचाती है. जिससे महिलाओं में गर्भपात का खतरा बढ़ जाता है. इसलिए महिलाओं को विशेषतौर पर बच्चों के लिए प्लान करना शुरू करने से पहले महिलाओं को धूम्रपान व शराब से दूरी बनाने की सलाह दी जाती है.
  • वहीं खराब डाइट या असमय खाने की आदतें भी महिलाओं में इनफर्टिलिटी का कारण बनती हैं. दरअसल हमारे आहार में पोषक तत्वों की कमी कई रोगों तथा शरीर में जरूरी तत्वों की मात्रा में असंतुलन का कारण बनती हैं . जिसका असर प्रत्यक्ष तथा अप्रत्यक्ष रूप से महिलाओं के प्रजनन स्वास्थ्य पर भी पड़ता है. उदारहण के लिए कुछ विशेष प्रकार के आहार जैसे एनर्जी ड्रिंक, केक, तले हुए खाद्य पदार्थ व अन्य प्रकार के जंक फूड, कैफीन युक्त आहार तथा प्रोसेसड़ आहार का ज्यादा मात्रा में सेवन प्रजनन के लिए जरूरी हार्मोन की मात्रा को प्रभावित कर सकते है या उनमें असंतुलन का कारण बन सकता है.
  • वहीं कई बार खराब आहार के कारण होने वाली मोटापे, मधुमेह, ह्रदय रोग तथा अन्य समस्याओं के चलते भी महिलाओं के प्रजनन स्वास्थ्य पर असर पड़ता है. खासतौर पर ओबेसिटी को महिलाओं में इनफर्टिलिटी के सबसे बड़े कारणों में से एक माना जाता है.

सावधानियां
डॉ विजलक्ष्मी बताती हैं कि वे सिर्फ उन महिलाओं को ही नहीं जो कि बच्चे के लिए प्लान कर रही हैं बल्कि बालपन से ही सभी लड़कियों व महिलाओं को अपने आहार को स्वास्थ्य रखने तथा जीवनशैली को संतुलित रखने की सलाह देती हैं. इससे शुरुआत से ही शरीर मजबूत बन सकता है जिससे समय आने पर महिलाओं को स्त्री रोगों तथा प्रजनन संबंधी समस्याओं का सामना ना करना पड़े.

इसके अलावा जहां तक संभव हो स्वस्थ, पौष्टिक व नियमित आहार के साथ, एक्टिव लाइफस्टाइल जिसमें व्यायाम भी शामिल हो, को अपनाना तथा मानसिक स्वास्थ्य को दुरुस्त रखने के लिए भी हर संभव प्रयास करना भी बेहद जरूरी हैं . क्योंकि तनाव व अवसाद भी प्रजनन में समस्या के कारण बन सकते हैं. इसके अलावा महिलाओं को मासिक धर्म से जुड़ी समस्याओं या किसी भी प्रकार के स्त्री रोग को अनदेखा नहीं करना चाहिए तथा उनका तत्काल इलाज करवाना चाहिए.

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बढ़ रहीं हैं प्रजनन संबंधी समस्याएं
उत्तराखंड की महिलारोग विशेषज्ञ डॉ विजयलक्ष्मी बताती हैं कि आजकल ऐसी महिलाओं की संख्या लगातार बढ़ रही है जो सामान्य यौन संबंध बनाने के बावजूद गर्भधारण नहीं कर पाती हैं. वहीं पुरुषों में भी स्पर्म संबंधी समस्याएं आमतौर पर देखने में आने लगी हैं. वह बताती हैं इसके लिए जिम्मेदार तथा जोखिम भरे कारकों में खराब जीवनशैली व खाने पीने की खराब आदतों को काफी हद तक जिम्मेदार माना जा सकता हैं.

डॉ विजयलक्ष्मी बताती हैं कि पुरुष हो या महिलायें दोनों के प्रजनन स्वास्थ्य पर खानपान और जीवनशैली का बड़ा असर पड़ता है. आज के दौर में भागदौड़ भरी जीवनशैली में शारीरिक सक्रियता में कमी, सोने जागने के समय में अनियमितता, पार्टी कल्चर का बढ़ता चलन, अप्राकृतिक खाध्यपदार्थों का बढ़ता उपयोग जैसे व्यवहार देखे जाते हैं. जो शरीर के काम व आराम के संतुलन को कम करते हैं, शरीर में पोषण की पूर्ति को प्रभावित करते है, शरीर की जैविक घड़ी तथा उसके कार्य को प्रभावित करता है, तनाव व अवसाद जैसी समस्याओं का कारण बनते हैं तथा अलग-अलग प्रकार की शारीरिक कमजोरी व कई रोगों व समस्या का कारण भी बनते हैं.

विशेषतौर पर महिलाओं की बात करें तो ऐसी आदतें व व्यवहार तथा उनके कारण होने वाले हार्मोनल तथा अन्य रोग व समस्याएं उनके प्रजनन स्वास्थ्य को काफी ज्यादा प्रभावित करते हैं.

क्या कहते हैं शोध व रिपोर्ट

वर्ष 2022 में इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ पॉपुलेशन साइंसेज की एक रिपोर्ट में कहा गया था कि भारत में पिछले कुछ वर्षों में लगभग 15-20 मिलियन से अधिक भारतीयों में बांझपन की समस्या देखने में आई थी. पारिवारिक स्वास्थ्य एवं सर्वेक्षण रिपोर्ट के अनुसार भी राष्ट्रीय स्तर पर महिलाओं में प्रजनन दर में 2.2 से 2.0 की गिरावट देखी गई थी. वहीं इंडियन सोसाइटी ऑफ असिस्टेड रिप्रोडक्शन के एक अध्ययन में इस बात पर प्रकाश डाला गया है कि बांझपन लगभग 10% से 14% भारतीय जोड़ों को प्रभावित करता है. यह समस्या शहरी क्षेत्रों में ज्यादा देखने में आ रही हैं जहां हर छह जोड़ों में से एक चिकित्सीय मदद मांग रहा है.

गतिहीन और व्यस्त जीवनशैली से समस्याएं बढ़ी हैं
शोध में कहा गया हैं कि एक गतिहीन और व्यस्त जीवनशैली महिलाओं में उनके कार्य-जीवन को संतुलन को बिगाड़ रही है. जो ना सिर्फ उनमें स्त्री रोगों के बढ़ने का कारण बन रही हैं बल्कि उनके प्रजनन स्वास्थ्य को भी प्रभावित कर रही है. शोध में कहा गया हैं कि गतिहीन जीवनशैली या शारीरिक निष्क्रियता के कारण पुरुष की तुलना में महिला के बांझ होने की संभावना अधिक होती है, क्योंकि यह अक्सर हार्मोनल असंतुलन, पॉलीसिस्टिक डिम्बग्रंथि रोग और वजन संबंधी समस्याओं का कारण बनता है जो भ्रूण को प्रभावित करते हैं.

इसके अलावा देश दुनिया के कई शोधों तथा रिपोर्टों में भी इस बात का उल्लेख किया गया है कि पिछले कुछ वर्षों में महिलाओं में जीवनशैली, तनावपूर्ण पेशेवर जीवन, अस्वास्थ्यकर आहार, धूम्रपान तथा शराब जैसी आदतों के कारण बांझपन से जुड़ी समस्याएं बढ़ीं हैं.

क्या कहते हैं जानकार

  • डॉ विजयलक्ष्मी बताती हैं कि ज्यादातर महिलायें नहीं जानती हैं कि आहार या जीवनशैली उनके प्रजनन स्वास्थ्य को किस हद तक तथा कैसे प्रभावित कर सकती हैं. वह बताती हैं कि आज के समय में रोजमर्रा की दिनचर्या में भागदौड़ तो बढ़ी है लेकिन शरीर के लिए जरूरी सक्रियता जैसे व्यायाम या ऐसे कार्य जो शारीरिक स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद होते हैं, काफी कम हो गए है.
  • कभी भी सोना जागना, जरूरी मात्रा में नींद पूरी ना होना, ज्यादा देर तक एक स्थान पर बैठे रहना, जरूरत से ज्यादा तनाव, किसी भी समय कुछ भी खाना या लंबे समय तक पौष्टिक आहार ना खाना तथा पानी कम पीना जैसी आदतें महिलाओं के शरीर की जैविक घड़ी को तो प्रभावित करती ही हैं साथ ही कई अन्य समस्याओं का कारण भी बनती हैं. जो उनके सामान्य स्वास्थ्य के साथ उनके हार्मोनल स्वास्थ्य को भी काफी ज्यादा प्रभावित करती हैं. जिसके प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष प्रभाव के चलते महिलाओं का प्रजनन स्वास्थ्य तो कमजोर होता ही है साथ ही यह अवस्था कई अन्य स्त्री रोगों तथा कई बार बांझपन का कारण भी बनती है.
  • वह बताती हैं कि वर्तमान जीवनशैली में धूम्रपान या शराब का सेवन महिलाओं के लिए भी काफी आम होने लगा है. ऐसी महिलाएं जो धूम्रपान, तंबाकू तथा शराब का सेवन करती हैं उनकी प्रजनन क्षमता अन्य महिलाओं की तुलना में काफी कमजोर होती है क्योंकि यह आदतें हार्मोन में असंतुलन का कारण बन सकती हैं साथ ही अंडाशय, गर्भाशय ग्रीवा और फैलोपियन ट्यूब को भी नुकसान पहुंचाती है. जिससे महिलाओं में गर्भपात का खतरा बढ़ जाता है. इसलिए महिलाओं को विशेषतौर पर बच्चों के लिए प्लान करना शुरू करने से पहले महिलाओं को धूम्रपान व शराब से दूरी बनाने की सलाह दी जाती है.
  • वहीं खराब डाइट या असमय खाने की आदतें भी महिलाओं में इनफर्टिलिटी का कारण बनती हैं. दरअसल हमारे आहार में पोषक तत्वों की कमी कई रोगों तथा शरीर में जरूरी तत्वों की मात्रा में असंतुलन का कारण बनती हैं . जिसका असर प्रत्यक्ष तथा अप्रत्यक्ष रूप से महिलाओं के प्रजनन स्वास्थ्य पर भी पड़ता है. उदारहण के लिए कुछ विशेष प्रकार के आहार जैसे एनर्जी ड्रिंक, केक, तले हुए खाद्य पदार्थ व अन्य प्रकार के जंक फूड, कैफीन युक्त आहार तथा प्रोसेसड़ आहार का ज्यादा मात्रा में सेवन प्रजनन के लिए जरूरी हार्मोन की मात्रा को प्रभावित कर सकते है या उनमें असंतुलन का कारण बन सकता है.
  • वहीं कई बार खराब आहार के कारण होने वाली मोटापे, मधुमेह, ह्रदय रोग तथा अन्य समस्याओं के चलते भी महिलाओं के प्रजनन स्वास्थ्य पर असर पड़ता है. खासतौर पर ओबेसिटी को महिलाओं में इनफर्टिलिटी के सबसे बड़े कारणों में से एक माना जाता है.

सावधानियां
डॉ विजलक्ष्मी बताती हैं कि वे सिर्फ उन महिलाओं को ही नहीं जो कि बच्चे के लिए प्लान कर रही हैं बल्कि बालपन से ही सभी लड़कियों व महिलाओं को अपने आहार को स्वास्थ्य रखने तथा जीवनशैली को संतुलित रखने की सलाह देती हैं. इससे शुरुआत से ही शरीर मजबूत बन सकता है जिससे समय आने पर महिलाओं को स्त्री रोगों तथा प्रजनन संबंधी समस्याओं का सामना ना करना पड़े.

इसके अलावा जहां तक संभव हो स्वस्थ, पौष्टिक व नियमित आहार के साथ, एक्टिव लाइफस्टाइल जिसमें व्यायाम भी शामिल हो, को अपनाना तथा मानसिक स्वास्थ्य को दुरुस्त रखने के लिए भी हर संभव प्रयास करना भी बेहद जरूरी हैं . क्योंकि तनाव व अवसाद भी प्रजनन में समस्या के कारण बन सकते हैं. इसके अलावा महिलाओं को मासिक धर्म से जुड़ी समस्याओं या किसी भी प्रकार के स्त्री रोग को अनदेखा नहीं करना चाहिए तथा उनका तत्काल इलाज करवाना चाहिए.

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