आमतौर पर लोगों को लगता है कि गर्भवती महिलाओं में कोरोना संक्रमण उनके गर्भ में पल रहे बच्चे को भी प्रभावित कर सकता है या संक्रमण के चलते महिलाओं के प्रसव में समस्या का कारण बन सकता है. जो काफी हद तक सही भी है . लेकिन हाल ही में एक शोध में सामने आया है कि कोविड 19 के वायरस को हमारी कोशिकाओं में पहुंचाने वाले रिसेप्टर एसीई-2 का स्तर सामान्य गर्भावस्था के मुकाबले कोविड पॉजिटिव गर्भवती महिलाओं में काफी हद तक कम पाया जाता है.
एसीई -2 के स्तर को कम करता है प्लेसेंटा
अमेरिकन जर्नल ऑफ पैथोलॉजी में प्रकाशित बोस्टन यूनिवर्सिटी स्कूल ऑफ मेडिसिन के इस शोध में शोधकर्ताओं ने बताया है गर्भावस्था के दौरान अगर कोई महिला कोरोना पॉजिटिव हो जाती है तो उसका प्लेसेंटा एसीई -2 के स्तर को कम कर देता है, जो कि कोविड 19 के वायरस को भ्रूण तक पहुंचने से रोक सकता है. इस अध्ययन के लिए शोधकर्ताओं की टीम ने ऐसी महिलाओं के समूह से प्लेसेंटा जुटाया था जो जुलाई 2020 से अप्रैल 2021 के दौरान गर्भवती हुई थीं और बच्चों को जन्म दिया था.
गौरतलब है कि कोविड-19 एक ऐसी संक्रामक बीमारी है, जो गर्भवती महिलाओं को भी काफी प्रभावित करती है . गर्भावस्था में मां से गर्भस्थ शिशु तक संक्रमण पहुँचने के खतरे को लेकर कोरोना काल में कई शोध किए जा चुके हैं. जिनमें कोरोना संक्रमण का गर्भस्थ शिशु के स्वास्थ्य पर असर तथा प्रसव के दौरान कोरोना के कारण आ सकने वाली समस्याओं साहित कई अन्य मुद्दों को लेकर शोधकर्ताओं और वैज्ञानिकों ने जांच की . इसी श्रंखला में बोस्टन यूनिवर्सिटी स्कूल ऑफ मेडिसिन के इस शोध में प्रसव से पहले और प्रसव के दौरान कोरोना के चलते उत्पन्न शारीरिक स्तिथ्यों को लेकर शोध किया गया था. शोध में प्लेसेंटा की भूमिका तथा रिसेप्टर एसीई -2 की स्तिथि को लेकर ज्यादा जानकारी लेने का प्रयास किया गया.
निष्कर्ष
शोध के निष्कर्षों में शोधकर्ता तथा यूनिवर्सटी में पीडियाट्रिक्स की सहायक प्रोफेसर एलिजाबेथ एस. टैगलूर ने बताया है कि इस अध्ययन में यह बात सामने आई है कि कोविड वायरस को हमारी कोशिकाओं में पहुंचाने वाले रिसेप्टर एसीई-2 का स्तर सामान्य गर्भावस्था के मुकाबले कोरोना संक्रमित गर्भवती महिलाओं में काफी हद तक कम पाया जाता है.
कैसे किया गया अध्ययन
गौरतलब है कि इस शोध के नतीजे तुलनात्मक अध्धयन पर आधारित रहे , जिनमें एक समूह में ऐसी महिलाओं को शामिल किया गया था जिनकी गर्भावस्था सामान्य थी और जो कोरोना संक्रमण से पीड़ित नही थी. वही दूसरे समूह में वे महिलाएं थी, जो या तो प्रसव के दौरान कोरोना से संक्रमित थी या फिर गर्भावस्था की अवधि में कोविड पॉजिटिव पाई गई थी.
शोध में शोधकर्ताओं ने माइक्रोस्कोप के माध्यम से उनके प्लेसेंटा में एसीई-2 की स्तिथि तथा उसकी गतिविधियों को जानने का प्रयास किया . इसके अलावा शोध में जेनेटिक व प्रोटीन एनालिसिस तकनीक की मदद से एसीई-2 की गतिविधियों का तुलनात्मक अध्धयन भी किया गया.
इस शोध में शोधकर्ताओं ने प्लेसेन्टा तथा उसके शरीर के अन्य अंगों पर प्रभाव को लेकर भी अध्धयन किया . साथ ही विभिन्न प्रकार के फेफड़ों की बीमारियों को समझने की दिशा में जानकारी एकत्रित करने का भी प्रयास किया. शोध के निष्कर्षों में बताया गया है कि यह शोध कोरोना संक्रमण के वायरस को रोकने के तरीके के रूप में एसीई-2 को नियंत्रित करने की जरूरी भूमिका को सिद्ध करता है. शोध में यह भी बताया गया है कि यदि बच्चों को कोविड से बचाने में प्लेसेंटा की क्षमताओं को लेकर ज्यादा शोध किए जाए तो यह ना सिर्फ बच्चों में कोरोना संक्रमण के फैलने को रोकने तथा दूसरे उपचारों और रणनीतियों के क्षेत्र में भी महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान कर सकता है.
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