मकर संक्रांति को हमारे देश में सूर्य की आराधना का उत्सव माना जाता है. इस मौके पर लोग तरह-तरह से उत्सव मनाते हैं जिसमें से सबसे खास है स्वादिष्ट आहार तथा पतंग उड़ाने की परंपरा. लेकिन जैसा की ज्यादातर पुरातन परंपराओं के साथ होता है इन परंपराओं को मनाने के पीछे भी एक वैज्ञानिक आधार है. दरअसल, देश के सभी हिस्सों में इस उत्सव पर ऐसे आहार बनाए जाते हैं जो शरीर को प्राकृतिक रूप से गर्मी प्रदान करते हैं, जो सर्दियों के मौसम में काफी जरूरी तथा फायदेमंद होता है.
वहीं, पतंग उड़ाने जैसी परंपरा के पीछे मनोरंजन के साथ, ज्यादा समय धूप में बिताने के अवसर उपलब्ध कराना, कारण माना जा सकता है. जानकार मानते हैं कि सही मात्रा में धूप में बैठना शरीर को कई तरह के फायदे देता है. विशेष तौर पर सर्दियों की धूप कई बीमारियों के जोखिम को कम कर सकती है.
वैसे तो लोग सर्दियों के मौसम में समय मिलने पर धूप में बैठना पसंद करते ही हैं लेकिन मकर संक्रांति के आसपास बहुत से बड़े और बच्चे धूप में काफी देर तक पतंगबाजी करते हैं. जिससे शरीर को मिलने वाले विटामिन डी तथा अन्य फायदों के चलते ना सिर्फ शरीर सक्रिय रहता है बल्कि हड्डियों और मांसपेशियों के ऊतकों की भी मरम्मत होती है. लेकिन लगातार बदलती मान्यताओं और आज की भागदौड़ भारी जिंदगी में ज्यादातर लोगों को समय नहीं मिल पाता है कि वे धूप में समय बिता सकें.
स्तन कैंसर का जोखिम कम करती है धूप
धूप में बैठने से मिलने वाले फायदों को लेकर दुनिया भर में शोध तथा अध्ययन होते रहते हैं. इसी श्रंखला में हाल ही में कैंसर एपडेमियॉलॉजी बायो मार्कर्स एंड प्रीवेंशन जर्नल में प्रकाशित एक शोध में यूनिवर्सिटी ऑफ बफैलो तथा यूनिवर्सिटी ऑफ प्युटोरिको के शोधकर्ताओं ने यह दावा किया कि ज्यादा देर धूप में रहने से महिलाओं में स्तन कैंसर का खतरा कम हो सकता है.
इस शोध में शोधकर्ताओं ने बफैलो तथा प्युटोरिको में महिलाओं की त्वचा के पिगमेंट्स का तुलनात्मक अध्ययन किया था. दरअसल इन दोनों ही देशों की मौसमी परिस्तिथियां बिल्कुल भिन्न हैं. एक और जहां बफैलो में भीषण सर्दी पड़ती है, वहीं प्युटोरिको में मौसम अच्छा गर्म रहता है. शोध में पाया गया कि ऐसी महिलायें जो ज्यादा देर तक धूप में रहती हैं उनमें स्तन कैंसर का जोखिम काफी कम होता है.
यही नहीं, मेडिसिन के प्रतिष्ठित जर्नल लैंसेट में प्रकाशित एक शोध में भी यह बताया गया है कि सूरज के प्रकाश में ज्यादा समय बिताने वाले लोग अपेक्षाकृत लंबा जीवन जीते हैं. वहीं सूर्य से सीधे सम्पर्क में कम आने वालों में कई शारीरिक और मानसिक दिक्कतें नजर आती हैं.
विटामिन डी के फायदे
सूर्य के सीधे संपर्क में आने पर होने वाले फायदों में से ज्यादातर के लिए सूर्य से मिलने वाले विटामिन डी को जिम्मेदार माना जाता है. बच्चों से लेकर बुजुर्गों तक, उम्र के हर पड़ाव में व्यक्ति के शारीरिक विकास तथा शरीर के सही कार्यान्वन के लिए विटामिन डी काफी जरूरी माना जाता है. लेकिन समस्या यह है कि बड़ी संख्या में लोगों में विटामिन डी की कमी पाई जाती है. इंडियन एकेडमी ऑफ पीडियाट्रिक्स द्वारा किए गए शोध के आंकड़ों तथा आईसीएमआर के शोधों की मानें तो लगभग 70 प्रतिशत भारतीय विटामिन डी की कमी के शिकार हैं, जिनमें बच्चे एवं बड़े दोनों ही शामिल हैं.
दिल्ली के फिजिशन डॉ मनीन्द्र सिंह बताते हैं कि सूर्य से दूरी यानी बीमारियों को आमंत्रण होता है. दरअसल सूर्य से मिलने वाला विटामिन डी शरीर को कैल्शियम और फॉस्फेट पचाने में मदद करता है जो हड्डियों, दांतों और मांसपेशियों को मज़बूत और स्वस्थ रखने में मदद करते हैं. यही नहीं कई शोधों में भी इस बात की पुष्टि हो चुकी है कि रिकेट्स तथा ऑस्टियोपोरोसिस जैसी हड्डी की बीमारियां विटामिन डी की कमी से ही होती हैं. लेकिन विटामिन डी के फायदे सिर्फ यहीं तक ही सीमित नहीं हैं. यह शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने में भी मदद करता है.
विटामिन डी की कमी से शरीर में कैंसर, हृदयरोग संबंधी बीमारियों, मधुमेह और संक्रमण व सूजन संबंधी रोगों का ख़तरा बढ़ जाता है. इसके अलावा इसकी कमी से कई बार एलर्जी, अवसाद, हाथ-पैर में दर्द, थकावट, भूलने की बीमारी तथा अनिद्रा का खतरा भी बढ़ जाता है.
विटामिन डी की पूर्ति के अलावा सूर्य के सीधे संपर्क में आने के अन्य फायदे
2003 में जर्नल ऑफ इन्वेस्टिगेटिव डर्मेटोलॉजी में प्रकाशित एक अध्ययन के अनुसार, सूर्य की किरणें शरीर में हैप्पी हॉर्मोन यानी एंडोर्फिन के स्राव में उत्प्रेरक होती हैं. इसीलिए जब ज्यादा दिन तक धूप ना दिखे और बदल रहें तो कई लोगों की मनोदशा खराब होने लगती है, लेकिन जब लंबी अवधि के बाद जब धूप आती है तो मन ख़ुशी से भर जाता है. इसके अलावा सूर्य की किरणें हमारे शरीर में सेरोटोनिन एवं मेलाटोनिन नामक दो महत्वपूर्ण हार्मोन के स्राव में मदद करती हैं, जो अवसाद एवं अनिद्रा की समस्या में राहत देते हैं. यही नहीं, मेलाटोनिन हॉर्मोन त्वचा को सूर्य की पराबैंगनी किरणों से नुकसान से बचाता है. साथ ही शरीर की सर्काडियन रिदम को भी बनाए रखने में मदद करता है.
इसके अलावा धूप प्राकृतिक ऑटोक्लेव यानी कीटाणुनाशक का भी कार्य करती है. धूप के सम्पर्क में आकर बहुत से हानिकारक बैक्टीरिया तथा वायरस मर जाते हैं. यही नहीं, त्वचा के कैंसर के लिए आमतौर पर जिम्मेदार माने जाने वाले मेलानोमा के होने की आशंका भी धूप में बैठने से कम होती है.