लंदन : ब्रिटेन में ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने लोगों को घातक निपाह वायरस से बचाने के लिए एक टीके का परीक्षण करने के लिए पहला मानव नैदानिक परीक्षण शुरू किया है. विश्वविद्यालय ने एक बयान में बताया, "18 से 55 साल की उम्र के 51 लोग ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के महामारी विज्ञान संस्थान के शोधकर्ताओं द्वारा विकसित ChAdOx1 निपाह बी टीके के परीक्षण में भाग लेंगे." निपाह वायरस एक विनाशकारी बीमारी है, जो लगभग 75 प्रतिशत मामलों में घातक हो सकती है. सिंगापुर, मलेशिया, बांग्लादेश और भारत सहित दक्षिण-पूर्व एशिया के देशों में इसका प्रकोप हुआ है, हाल ही में सितंबर 2023 में केरल, भारत में इसका प्रकोप हुआ.
![First human trial for deadly Nipah virus vaccine begins in UK](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/16-01-2024/3da06bb2c85666a7d43e3d2aa47385e8_1601a_1705385775_1010.jpg)
निपाह वायरस फ्रूट बैट्स द्वारा फैलता है. इंसानों को चमगादड़ों के मुंह लगाए फल खाने से भी निपाह वायरस हो सकता है. यह संक्रमित जानवरों (जैसे सूअर) के संपर्क में आने या एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में निकट संपर्क के माध्यम से भी फैल सकता है. 25 साल पहले मलेशिया और सिंगापुर में निपाह वायरस का पहला मामला आने के बावजूद, वर्तमान में कोई टीका या उपचार नहीं है. परीक्षण के प्रधान अन्वेषक और विश्वविद्यालय के नफिल्ड मेडिसिन विभाग में प्रोफेसर ब्रायन एंगस ने कहा, "निपाह वायरस की पहचान पहली बार 1998 में की गई थी. वैश्विक स्वास्थ्य समुदाय में 25 वर्षों के बाद भी इस विनाशकारी बीमारी के लिए कोई टीका या उपचार नहीं है."
''उच्च मृत्यु दर और निपाह वायरस संचरण की प्रकृति के कारण, इस बीमारी को प्राथमिकता वाले महामारी रोगजनक के रूप में पहचाना जाता है. यह वैक्सीन परीक्षण एक ऐसे समाधान की पहचान करने में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है जो स्थानीय प्रकोप को रोक सकता है, साथ ही दुनिया को भविष्य की वैश्विक महामारी के लिए तैयार करने में भी मदद कर सकता है.'' निपाह वायरस, खसरा जैसे रोगजनकों के रूप में पैरामाइक्सोवायरस के एक ही परिवार से संबंधित है.
वैज्ञानिकों ने ChAdOx1 प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल करके निपाह वायरस के खिलाफ वैक्सीन का उत्पादन किया. वहीं, वायरल वेक्टर वैक्सीन प्लेटफॉर्म जिसका उपयोग ऑक्सफोर्ड/एस्ट्राजेनेका कोविड-19 वैक्सीन के लिए किया गया था, जिसने दुनियाभर में अनुमानित छह मिलियन लोगों की जान बचाई है. यह परियोजना अगले 18 महीनों तक चलेगी, निपाह प्रभावित देश में आगे परीक्षण किए जाने की उम्मीद है.