वर्ष 2019 के अंत में एक गैर आमंत्रित अतिथि कोविड-19 ने दुनिया के हर हिस्से में त्राहि मचानी शुरू की थी। कोविड-19 के चलते रोग और जनहानि का दौर अभी तक जारी है। इस संक्रमण की शुरुआत से लेकर अब तक कई बार इस संक्रमण ने अपना स्वरूप बदला है। वहीं दुनिया के अलग- अलग हिस्सों के इसके विभिन्न उपप्रकार, या जिन्हे प्रचलिय भाषा में म्यूटेन्टेड वेरिएन्ट के नाम से जाना जा रहा है, नजर आए है। जिसके चलते कई बार इसका असर गंभीर तथा तीव्र नजर आया तो वहीं कई बार इसके फैलने की रफ्तार तथा इसकी तीक्ष्णता में कमी आती नजर आई।
आंकड़ों की मानें तो वर्तमान समय में कोरोना संक्रमण का मूल स्वरूप, उसके परिवर्तित स्वरूप तथा उसके विभिन्न वेरिएन्ट, सभी लोगों को अपना शिकार बना रहे हैं। आयुर्वेदाचार्य डॉ पी.वी रंगनायकुलु ने कोविड19 यानी एसएआरएस-सीओवी-2 तथा उसके अलग-अलग प्रकारों के बारे में ईटीवी भारत सुखी भव को विस्तार से जानकारी दी है।
कोरोना के म्यूटेन्टेड वेरिएन्ट और वैक्सीन
डॉक्टर रंगनायकुलु बताते हैं कि कोरोना संक्रमण के जानलेवा प्रभाव को नियंत्रित रखने में चिकित्सा क्षेत्र में लगातार हो रही तकनीकी प्रगति ने काफी सहयोग दिया है। जैसे ही कोरोना संक्रमण ने अपने शुरुआती दौर में लोगों के श्वसन तंत्र को प्रभावित करना शुरू किया चिकित्सा वैज्ञानिकों तथा जानकारों ने उसके टीके के निर्माण के लिए उसके जेनेटिक कोड का अध्ययन करना शुरू कर दिया था।
वैक्सीन को किसी भी संक्रामक रोग की रोकथाम तथा बचाव के लिए बेहतरीन माध्यम माना जाता है। उदारहण के लिए पोलियो, डिप्थीरिया, टिटनस जैसे संक्रामक रोगों पर नियंत्रण रखने में वैक्सीन काफी सफल हैं। लेकिन कोरोना संक्रमण के लिए लगाई जा रही वैक्सीन को लेकर लोगों में अभी भी संशय है क्योंकि इस संक्रमण का स्वरूप लगातार बदल रहा है, साथ ही एसएआरएस-सीओवी-2 के साथ ही उसके कई उपप्रकार भी लोगों को प्रभवित कर रहें है।
गौरतलब है कि कोरोना के जीवाणु बहुत शीघ्रता से अपना स्वरूप बदलते है । जिसके चलते वर्तमान समय में कोरोना अलग-अलग स्वरूप में लोगों को प्रभावित कर रहा है। कोरोना के इन अलग-अलग प्रकारो में कुछ मरीज पर गंभीर असर छोड़ते हैं तथा मरीज को ज्यादा लंबे समय तक प्रभावित करते हैं वहीं कुछ प्रकारों का असर तथा उनकी अवधि दोनों ही अपेक्षाकृत कम होती है।
डोमिनेंट बी.1.617
हाल ही में कोरोना के नए उपप्रकार बी.1.617 ने हिंदुस्तान में लोगों में अपनी पकड़ बनानी शुरू की है। वर्तमान में देश के अलग-अलग हिस्सों में इस संक्रमण का प्रभाव नजर आ रहे हैं। ज्ञात हो कि कोरोना का यह प्रकार दुनिया भर में 40 से ज्यादा देशों में नजर आ चुका है। हमारे देश में संक्रमण के इस स्वरूप की शुरुआत दिल्ली से हुई थी। जहां से पंजाब राज्य की तरफ इस संक्रमण का विस्तार हो रहा है। वही बंगाल तथा उत्तर पश्चिम राज्यों में संक्रमण के इस प्रकार ने पूरी तरह से अपने पांव पसार लिए हैं।
महाराष्ट्र में भी कोरोना संक्रमण के इस प्रकार का विस्तार बहुत तेजी से हो रहा है। गौरतलब है की भारत में यह संक्रमण यूनाइटेड किंगडम से आया था। आई.एन.एस.एस.ई.ओ.जी (इंडियन एस.ए.आर.एस.सी- ओवी-टू) जिनोम सीक्वेंसिंग द्वारा कोरोना तथा उसके सभी प्रकारों का विस्तृत रूप में विश्लेषण किया जा रहा है। जिसके आधार पर पता चला है कि मई माह में यूनाइटेड किंगडम में बी.1.617 द्वारा एक और उप संक्रमण का निर्माण हुआ है जिसे बी.1..617.2 नाम दिया गया है।
कोविड-19 के बी.1.617 उपप्रकार को सर्वप्रथम भारत में अक्टूबर 2020 में देखा गया था। वहीं फरवरी 2021 तक महाराष्ट्र में संक्रमण के इस प्रकार के पीड़ितों की संख्या में 60% से ज्यादा बढ़ोतरी हुई। पूना के “नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ़ यूरोलॉजी” द्वारा भी कोरोना संक्रमण के मूल स्वरूप तथा उसके विभिन्न प्रकारो का अध्ययन तथा निरीक्षण किया जा रहा है।
इसी श्रंखला में दक्षिण भारत के “सेंटर फॉर सेल्यूलर एंड मॉलेक्युलर बायोलॉजी संस्थान” द्वारा कोरोना के एन440के. प्रकार की खोज की गई है। जो बहुत तीव्रता और गंभीरता के साथ लोगों को प्रभावित करता है। वर्तमान समय में संक्रमण के इस प्रकार ने आंध्र प्रदेश तथा उसके आसपास के राज्यों में तबाही मचाई हुई है। संक्रमण का यह प्रकार कोरोना के अन्य प्रकारों के मुकाबले 15% तक ज्यादा खतरनाक है। चिकित्सा वैज्ञानिकों की मानें तो संक्रमण का यह प्रकार बी.1..617 तथा बी.1..618 से ज्यादा ताकतवर है। हालांकि संक्रमण की रफ्तार पर लगातार नजर रखने से पता चल है की एन440के. के फैलने की रफ्तार अब धीरे-धीरे कम हो रही है और उसके स्थान पर बी.1.617 तथा बी.1.618 लोगों को ज्यादा प्रभावित कर रहे हैं। इन परिस्थितियों के चलते ही इसे दोहरे म्युटेंट वेरिएन्ट की श्रेणी में रखा जा रहा है।
वैश्विक स्तर पर क्या है संक्रमण की स्थिति ?
डॉक्टर रंगनायकुलु बताते हैं कि वैश्विक स्तर पर कोरोना संक्रमण के हजारों प्रकार लोगों को प्रभावित कर रहे हैं। इनमें से कुछ म्युटेंट वायरस संक्रमण की तीव्रता को कम कर रहे हैं वहीं कुछ संक्रमण को और भी ज्यादा जटिल बना रहे हैं। चिंतनीय बात यह है की संक्रमण के यह प्रकार अपने मूल या जन्म स्थान की बजाय अन्य देशों में भी फैल रहे है।
जैसे यूनाइटेड किंगडम के बी.1.17 संक्रमण का असर 50 से ज्यादा देशों में देखा जा सकता है, वहीं साउथ अफ्रीकन वैरायटी बी.1.351 का असर 20 से ज्यादा देशों में देखा जा सकता है । कोरोना संक्रमण का ब्राजील में प्रचलित प्रकार पी.1 ,10 से ज्यादा देशों में फैल चुका है।
कोरोना के इन सभी म्युटेंट प्रकारो के संकेत तथा लक्षण भिन्न-भिन्न है, लेकिन सभी का असर सबसे ज्यादा फेफड़ों पर होता है। इन सभी प्रकारों में बी.1.617 को काफी घातक माना जाता है। पिछले दिनों देश भर में फैली ऑक्सीजन की कमी तथा कोरोना को लेकर मची त्राहि के लिए संक्रमण के इसी प्रकार को जिम्मेदार माना जा रहा है।
क्या टीकाकरण सुरक्षा की गारंटी है?
डॉक्टर रंगनायकुलु बताते हैं कि कोविशील्ड टीका कोरोना के यू.के वेरिएंट के प्रति अच्छी सुरक्षा प्रदान करता है। लेकिन यह टीका साउथ अफ्रीकन प्रकार से बचाव में ज्यादा प्रभावशाली नहीं है। लेकिन फिर भी यह शरीर में गंभीर प्रकार के रोगों और इस संक्रमण के प्रति सुरक्षा उत्पन्न करता है। वही “मोडरना वैक्सीन” कोरोना के साउथ अफ्रीकन प्रकार के लिए काफी असरदार है। “कोविक्सीन” वैक्सीन यू.के तथा ब्राजील में पाए जा रहे कोरोना के प्रकार से बचाव में असरदार मानी जा रही है।
डॉक्टर रंगनायकुलु कहते है की वैक्सीन चाहे कोई भी हो शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने में योगदान अवश्य देती है। इसलिए बहुत जरूरी है कि संक्रमण से बचाव या शरीर पर उसके प्रभाव को कम करने के लिए टीकाकरण अवश्य करवाया जाए।